Prabodh Kumar Govil लिखित उपन्यास सबा

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सबा द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
- तेरी पगार कितनी है? - तीन हज़ार! - महीने के? - और नहीं तो क्या, रोज़ के तीन हज़ार कौन देगा रे मुझको? - ऐसा मत बोल, दे...
सबा द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
इस मुलाकात में दोनों कुछ खुल गए। एक दूसरे के बारे में जानकारी भी हासिल कर ली। अब जब कभी काम से सुविधा होती, दोनों कुछ दू...
सबा द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
दोनों की घनिष्ठता बढ़ने लगी और अब उनकी यही कोशिश रहती कि जब भी मौक़ा मिले, वो कहीं न कहीं मिलने की योजना बनाएं। लड़की ने...
सबा द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
आज लड़का नहीं आया। लड़की पेड़ के नीचे अपनी साइकिल लिए बहुत देर तक खड़ी रही। बार- बार उस सड़क की ओर देखती जिससे लड़का आया...
सबा द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
लड़की रात भर न सो सकी। रह रह कर यही सोचती रही कि दीदी ने उन्हें कब और कहां देख लिया। लड़के का नाम उन्होंने कैसे जान लिया...