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एक बेवकूफ - उपन्यास
Priyansu Jain
द्वारा
हिंदी जासूसी कहानी
देखने में अच्छा ही लगता था। चेहरे पे प्रतिक्रिया कम ही रहती थी जैसे पता नहीं क्या सोचता रहता था हरवक्त, परन्तु आँखें बोलती थी उसकी। कुल मिलाकर एक सीधा सादा भोला भाला लड़का लगता था। लोग सोचते थे की बड़ा बेवकूफ है ये तो। जहाँ भी जाता उसके पीठ पीछे हँसते रहते थे कुछ लोग की कितना अजीब है ये एक ही मुद्रा में घंटों तक चुपचाप बैठा रहता है कोई रिएक्शन नहीं, बहुत ही अजीब है। परन्तु कई कई बार इसे देखना अच्छा लगता है। परन्तु जब वो कोई भी रिएक्शन ना देता तो बहुत ही ज्यादा खीज होती थी। उस खीज को सब लोग मज़ाक बनाने की कोशिश करते रहते थे। परन्तु उस बेवकूफ को तो पता ही ना चलता था, इस बात पे और मज़ाक बनता था ।
एक जगह जहाँ उसकी दोस्त (नूतन) म्यूजिक सीखने जाती थी, उस दोस्त ने उस से कहा की "मुझे आते-आते लेट हो जाती है तो तुम मेरे साथ वहां चल कर बैठ सकते हो?" वो उसकी प्रिय दोस्त थी तो उसने मना नहीं किया। वो वहां नियमित जाने लगा और वहां भी वही हुआ जो सब जगह होता था, उसका मज़ाक बनाया जाने लगा। सबको लगता की इसको क्या पता चलता है...
एक बेवकूफ??? देखने में अच्छा ही लगता था। चेहरे पे प्रतिक्रिया कम ही रहती थी जैसे पता नहीं क्या सोचता रहता था हरवक्त, परन्तु आँखें बोलती थी उसकी। कुल मिलाकर एक सीधा सादा भोला भाला लड़का लगता था। लोग ...और पढ़ेथे की बड़ा बेवकूफ है ये तो। जहाँ भी जाता उसके पीठ पीछे हँसते रहते थे कुछ लोग की कितना अजीब है ये एक ही मुद्रा में घंटों तक चुपचाप बैठा रहता है कोई रिएक्शन नहीं, बहुत ही अजीब है। परन्तु कई कई बार इसे देखना अच्छा लगता है। परन्तु जब वो कोई भी रिएक्शन ना देता तो बहुत ही
अगले दिन पुलिस केस हुआ, सबके बयान हुए। वो लड़का अभी भी गुमशुम बैठा था ज्यादा कुछ बोल ही नहीं रहा था। कुछ लोगों ने उस पर शक भी जताया परन्तु वो तो उस लड़की को छोड़ कर ही ...और पढ़ेगया था और आया तब तक वो लड़की कहीं नहीं मिली, वो गायब हो चुकी थी तो वो हर इलज़ाम से बरी हो गया था। परन्तु सबसे अचरज की बात ये थी कि उसने किसी पर अपना शक भी नहीं जताया। अजीब मुर्ख था। पुलिस कुछ लोकल प्रभावशाली लोगों के प्रभाव में आकर छानबीन करती रही पर नतीजा वही ढाक
फिर क्या था, जम के तुड़ाई हुई। सारी फ़्रस्ट्रेस्शन उसी पे निकाली गयी।ऊपर से सच बोलने की कुछ तो सजा मिलनी ही थी उसे। फिर अच्छे से अधमरा करने के बाद उसे सेल में ही रात भर छोड़ दिया। ...और पढ़ेपरेशान की ये इतनी मार खाके भी चीखा क्यों नहीं। पर फिर उसे उसी के हाल पे छोड़ दिया जब मारते मारते थक गए तब।अगले दिन दोपहर में एस.आई. उसके पास आया और बोला कि-" क्या हाल है, कुछ मिज़ाज़ बदले की नहीं?? परन्तु वही.... वो(बेवकूफ) बिना किसी एक्सप्रेशन के उसकी आँखों में घूरता रहा। एक बारगी एस.आई. भी सकपका
जब एस.आई. बाहर आया तो कमल(हवलदार), जो कि उसका मुहलंगा था, ने पूछा "अंदर क्या हुआ साहब??" एस.आई. भयंकर मूड में था। कुछ देर तो कमल को घूरा फिर चिढ़ कर बोला कि मेरा मुजरा हुआ अंदर, तुझे भी ...और पढ़ेचाहिए था, दोनों साथ मैं करते। उसका मूड देख कर कमल भौचक्का हो गया और दूसरा हवलदार मुँह दबा के हंसने लगा। एस.आई. ने कहर भरी नज़र से उसे देखा और चुपचाप गाडी में बैठ गया। दोनों हवलदार भी थोड़ा झेंप गए थे पर वो भी गाड़ी में बैठ गए। जब वो लोग चौकी पहुंचे तब उन्होंने देखा कि चौकी
चौकी पहुँच कर दोनों कुछ देर आमने सामने बैठ जाते है। एकदम चुप बस एक दूसरे को घूरते हुए। विक्रम की आँखों में गुस्सा था और अभिमन्यु की आँखों में कौतुहल। फिर अभिमन्यु ने मौन तोड़ते हुए कहा " ...और पढ़ेएम.पी. खुद को ज्यादा नहीं समझता?? खुद तो बैठा रहता है और बाकियों को अपना खरीदा हुआ नौकर समझता है। सच्ची बताऊं तो इन जैसे नेताओं को तो उल्टा लटकाने का मन करता है। विक्रम ये सुनते ही चौंक कर सीधा हो गया,वो अचरज से अभिमन्यु को घूरता जा रहा था।अभिमन्यु (मुस्कुराते हुए)" क्या हुआ दोस्त; मेरे सर पर सींग