एक अंधेरा कमरा, जहाँ एक बल्ब जल रहा है और उस बल्ब के नीचे एक आदमी कुर्शी से बंधा हुआ है, वो काफी अधमरा सा था. मद्धम सी रौशनी में उसकी शक्ल नहीं दिख रही थी। पर डील-डौल से कोई 45-50 साल का लग रहा था। उसको तेज प्यास लगी थी, वो पानी-पानी कर रहा था. कुछ ही पल बीते होंगे की उस कमरे का गेट खुला और एक और शक्शियत का प्रवेश हुआ. उसने फेल्ट हैट लगा रखी थी। शरीर से काफी फिट लग रहा था। डील-डौल से वो नौजवान ही लग रहा था।
वो बंधा हुआ आदमी जोर-जोर से चिल्लाने लगा -" कौन हो तुम?? मुझे यहाँ क्यों लाये हो?? मुझे खोलो जल्दी, मेरा तुमसे कोई लेना-देना नहीं है।"
आगंतुक ने मुँह पर उंगली रखी और जोर से सीईईईई की आवाज की। उस आवाज में पता नहीं क्या चेतावनी थी कि बंधे हुए आदमी के शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी और वो शांत होकर आगंतुक का चेहरा देखने की कोशिश करने लगा।
आगंतुक ने बंधे हुए आदमी के पास वाली टेबल पर रखी लाईट जलाई और उसके चेहरे पर फोकस किया। लाईट में बंधे आदमी का चेहरा साफ नजर आने लगा। वो और कोई नहीं भगोड़ा म्यूजिक टीचर ही था। यानी कि वो फरार न हो पाया था बल्कि उसका अपहरण ही हो गया था।
आगंतुक के गले से खरखराती हुई पर सर्द आवाज में कहा -" क्या खूब टीचर हो, जहर बेचते हो, स्टूडेंट्स पर बुरी नजर रखते हो, यूँ तो कहते हो कि स्वर ही ईश्वर है, परन्तु उसी ईश्वर रुपी स्वर को कौड़ियों में बेच डाला???? स्टूडेंट्स में भेदभाव करते हो, उनकी पीछे से अफवाहें उड़ाते हो, कोई गलत करता है तो उसके गलत में साथ देते हो??? वाह्ह्हह्ह्ह...... बहुत खूब, क्या टीचिंग करते हो. आप जैसे गुरु ही तो गुरु का पद बदनाम करते हैं।
फिर 1 मिनट तक वहांँ शांति रही। आगंतुक ने आगे कहना शुरू किया। आपको पता है!!!! मैंने ही आपकी तीन स्टूडेंट्स को गायब किया। वो जो खास आपकी चमची थी अब वो ऐसी जगह आराम कर रही है कि उन्हें कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा।
कोमल(पार्ट-२) को उसी के मामा संतोष, जिसकी नजर अपने बहनोई (मोहन कुमार) की दौलत पर थी, की मदद से गायब किया। संतोष बेचारा नहीं जनता था कि मैं उसकी मदद नहीं कर रहा बल्कि खुद की कर रहा हूँ। उसने तो सोचा कि मैं फिरौती की भारी रकम लेकर उसे हिस्सा दूंगा। पर पैसे चाहिए ही किसको मुझे तो वो लड़की ही चाहिए थी। हाहाहाहाहा.......
फिर एम. पी. की भतीजी (भावना) को गायब करना ज्यादा मुश्किल था नहीं। वो तो अपने ताऊ से वैसे भी नफरत करती थी। उसके दिमाग में ये भरना कि उसके ताऊ उसकी संपत्ति हड़प कर 25 की होते ही उसे गायब करवा देगा और किसी को पता भी न चलेगा। उसको तो ये हीन्ट भी उसके एक नौकर से दिलवाया कि उसके ताऊ ने उसके पीछे निगरानी लगा रखी है ताकि मौका मिलते ही उसे पागल साबित कर सके।
बस फिर क्या था वो बचने की कोशिश में मेरे हाथ में आ गयी फिर बेहोश करना क्या बड़ी बात रही। हाँ, मानसी को ला पाना थोड़ा मुश्किल रहा क्यूंकि तब तक दो किडनेपिंग से सब सचेत हो चुके थे। परन्तु तुम सब की जरुरत से ज्यादा होशियारी ने मेरा काम आसान कर दिया और मैंने मेजर को इस्तेमाल करके अपना काम कर लिया। और गुरूजी, तुम.....सॉरी सॉरी.....आप; आप तो यहाँ से अपना पैसा समेटने आये थे। बड़े चालू हो गुरूजी....."
"हाँ तो एस. आई. साहब आप सब सुन रहे है न। आप के नए नए दोस्त सीक्रेट एजेंट अभिमन्यु जी और आप को सुनने में कोई तकलीफ हो तो बताना।"
विक्रम और अभिमन्यु ऐसे चौंके जैसे उन्हें बिच्छू ने डंक मारा हो। अभिमन्यु को अंदेशा था कि म्यूजिक क्लास में कोई न कोई हलचल जरूर होगी। तो उसने माइक्रोफोन लगवा दिए थे। परन्तु ये बात वो शख्स जानता है। यानी वो आगंतुक ट्रैप नहीं हुआ था। अभिमन्यु बोला -"प्रियांशु, मैं तुम्हें पहचान गया हूँ, हम दोनों एक ही जैसे है।हम दोनों ही एक ही काम करते थे। मैं तुम्हारी इज्जत करता हूँ इसलिए चाहता हूँ कि तुम हमसे सहयोग करो। हम सारा कुछ इन लोगों ( ड्रग डीलर्स) पर डाल देंगे और तुम चुपचाप चले जाना। बस बता दो कि लड़किया कहाँ है, वो जिन्दा है या..... "
आगंतुक-" नहीं अभिमन्यु, हम एक जैसे नहीं है। तुम्हें पता है, मैंने कभी भी देश के अलावा कुछ नहीं सोचा?? मैंने अगर कुछ सीखा है तो सिर्फ मारना। तुम्हारे सर पर जितने बाल नहीं है उस से ज्यादा देशद्रोहियों को तो मैं नर्क पहुंँचा चूका हूँ। सबने मुझे बेवकूफ समझा कोई फर्क नहीं, मेरी इंसल्ट की कोई फर्क नहीं, परन्तु जिस लड़की को मैंने चाहा है, जिसने मुझे किलिंग मशीन से इंसान बनाया, उसे....' मेरी नूतन' को, तकलीफ देने की कोशिश की, उसे मारने की कोशिश की,ये मैं कैसे बर्दाश्त कर सकता हूँ??"
अभिमन्यु, विक्रम यहाँ तक कि टीचर की भी आँखे फ़ैल गयी ये सब सुनकर। टीचर बोला -" त.... तुम!!! तुम... तुम तो....."
"बेवकूफ हूँ न ??? ना, मैं सच में 'एक बेवकूफ' नहीं हुँ। बेवकूफ तो तुम लोग हो जो खुद को होशियार और दूसरों को बेवकूफ समझते रहते हो।" वो बात काट कर बोला।