एक बेवकूफ - 3 Priyansu Jain द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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एक बेवकूफ - 3

फिर क्या था, जम के तुड़ाई हुई। सारी फ़्रस्ट्रेस्शन उसी पे निकाली गयी।ऊपर से सच बोलने की कुछ तो सजा मिलनी ही थी उसे। फिर अच्छे से अधमरा करने के बाद उसे सेल में ही रात भर छोड़ दिया। एस.आई. परेशान की ये इतनी मार खाके भी चीखा क्यों नहीं। पर फिर उसे उसी के हाल पे छोड़ दिया जब मारते मारते थक गए तब।अगले दिन दोपहर में एस.आई. उसके पास आया और बोला कि-" क्या हाल है, कुछ मिज़ाज़ बदले की नहीं?? परन्तु वही.... वो(बेवकूफ) बिना किसी एक्सप्रेशन के उसकी आँखों में घूरता रहा। एक बारगी एस.आई. भी सकपका गया पर जल्दी संभल कर बोला कि " देखो दोस्त, मैं तुम्हारी फीलिंग्स समझ रहा हूँ। शायद तुम उस लड़की को बहुत चाहते हो।परन्तु मैं भी पूरी कोशिश कर रहा हूँ। मैं ये नहीं कहता कि मैं बहुत ईमानदार हूँ पर मैं ड्यूटी से कभी बेईमानी नहीं करता। मेरा भी परिवार है, उनकी भी जरूरतें है तो मैं उनके लिए सक्षम लोगों से पैसे ले लेता हूँ। पर लोगों की जो जिम्मेदारी उठाने के लिए सरकार ने मुझे ये वर्दी दी है उस से कभी भी धोखा नहीं करता। मैं तुम्हें समझा रहा हूँ कि अपने दिमाग को शांत रखो और हमें हमारा काम करने दो। हम उसे ढुंढ कर ही शांति से बैठेंगे। अब मैं तुम पर भरोसा करके तुम्हें छोड़ रहा हूँ इस उम्मीद के साथ कि अब तुम ऐसी कोई हरकत न करो जिस से हमारी परेशानी और बढे़।" फिर भी वो लड़का कोई एक्सप्रेशन नहीं देता बस घूरता रहता है।एस.आई. तंग आकर बोलता है "बेवकूफ" और उसे जाने देता है।उसके जाने के बाद एस.आई. राहत की सांस लेता है.
अगले दिन अपने एस.आई. (विक्रम) बेचारे को चैन ही नहीं मिलता और एक फ़ोन आता है जिसके बाद सामने से जो भी कहा गया उसके बाद उसके ललाट पे पसीने की धारें छूट गयी। वो तुरंत अपने कपडे़ ठीक किया, कैप उठायी, रूलर(डंडा) लिया और कमल को चिल्ला के बोला "जल्दी गाडी़ निकालो और दो जने मेरे साथ चलो।"
वो फटाफट निकलकर एक बंगले के आगे पहुँचता है जिसे देख कर वो नर्वस फील करता है और थूक सटकते हुए अंदर जाता है। अंदर एक लगभग ७० साल का आदमी शानदार सोफों के बीच बैठा होता है। उसके पास कुछ और भी प्रभावशाली लोग बैठे होते है। वो आदमी भी नेताओं की तरह कुरता पजामा पहना हुआ था।बँगला बाहर से जितना शानदार था उस से भी ज्यादा अंदर से शानदार था। परन्तु एस.आई. की नज़र बंगले की सुंदरता पर नहीं बल्कि उस आदमी के पास बैठे एस.पी. पर थी। उस ने जाते ही अंदर एस.पी. को सेल्यूट मारा और फिर उस आदमी को सेल्यूट मार के बोला कि" आपने कैसे याद किया एम. पी. साहब????"
वो आदमी जो एम.पी. था और जिसके आगे अपने एस.पी. साहब भी शांत और परेशान से बैठे थे, बोला " अरे नहीं एस.आई. साहब, हम आपको कैसे याद कर सकते हैं? आप हुए बड़े आदमी हमारी क्या औकात? हम तो आपको आने के लिए विनती ही कर सकते हैं और आप जैसे महापुरुष जब ये विनती स्वीकार कर ले तो खुद को धन्य समझ सकते हैं।"एस.आई. बेचारा समझ ही नहीं पाया कि उसको यूँ सबके सामने भिगो भिगो के जूता क्यों मारा जा रहा है।
वो घबराकर बोला " आखिर हुआ क्या है साहब?? आप इतने गुस्से में क्यों है??"
इतना सुनना था कि एम.पी. उखड़ गया और चिल्ला के बोला "मेरी भतीजी सुबह कॉलेज से घर नहीं लौटी और तुम पूछ रहे हो कि मैं गुस्से में क्यों हूँ गधे।"
एस.आई. की हवा ही निकल गयी ये सुनकर। उसको ज़मीन हिलती सी लगी। वो हकलाते हुए बोला " क्या !!!!"
एम.पी." उल्लू के पट्ठे सुनाई नहीं दे रहा जो पूछ रहा है, क्या... मेरी भतीजी कॉलेज से घर नहीं लौटी और उसके छुट्टी हुए ६ घंटे से ऊपर हो गए।"
एस.आई.- " पर साहब हो सकता है किसी फ्रेंड के घर हो, लौट आएगी।"
एम.पी.- "तो अब तू मुझे बताएगा कि वो कहाँ जायेगी या नहीं जाएगी, या ये कि मैं इतना बड़ा गधा हूँ कि मैं उसके सब दोस्तों को फ़ोन करके पता नहीं कर सकता या मैंने यहाँ पर तुझसे मुज़रा करने के लिए तुझे बुलाया है। एस.आई. ( बुरी तरह भड़कते हुए सोचता है कि "साले, मेरा बस चले तो तुझे ही नंगा करके मुजरा कराऊँ पर मजबूर हूँ तेरे जैसे भ्रष्ट और घटिया आदमी को बर्दाश्त करना पड़ रहा है, परिवार वाला ना होता तो पूरी छह की छह तेरे भेजे में उतार देता" पर ऊपर से कहता है) "मेरा वो मतलब नहीं है सर, आप फिक्र मत करो मैं आपकी भतीजी को जल्दी से जल्दी ढूंढता हूँ।"
एम.पी.- "हूँ हह..., जैसे पहले दो लड़कियों को ढूंढा वैसे ही?? ना रे ना, मैं अपनी भतीजी का रिस्क नहीं ले सकता।इसलिए मैंने होम मिनिस्टर से बात करके इंटेलिजेंस ब्यूरो से एक पूर्व जासूस को बुलाया है।जो बहुत तेज़ और खतरनाक है। तुझे बस उसका साथ देना है और उसकी मदद करनी है।"


अब ये किसने एम.पी. के परिवार पे हाथ डाल दिया?? किसी को अपनी मौत को खींच के बुलाना है या वो खुद ही एक मौत है? क्या मामला जैसा दिख रहा है उस से भी बड़ा है और तीनों लड़कियों के गायब होने के पीछे कोई एक ही कारण है या ये तीनों केस अलग ही है? एस आई विक्रम को तो पिंजरे में बंद शेर की तरह कर दिया गया है। कौन है वो जासूस और वो क्या कर पायेगा ????? जानने के लिए अगले पार्ट में बने रहिये। So be continue...