एक बेवकूफ - 14 Priyansu Jain द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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एक बेवकूफ - 14

अभिमन्यु-" विक्रम जरा यहाँ आना।"
विक्रम आता है, उसकी तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखता है।

अभिमन्यु कहता है- " विक्रम ये लड़का अम्बीडेक्सट्रॉस( दोनों हाथों से सामान रूप से लिखने वाला) है।"

विक्रम-" क्या!!! पर तुम्हें कैसे पता??"

अभिमन्यु-" गौर से देखो विक्रम, लिखने की वजह से मिडिल फिंगर में जो काला निशान उभर कर आता है, वो इसके दोनों हाथों में है। ये निशान सिगरेट से भी बन सकते हैं पर इसके होंठ और दांतों से पता चलता है कि ये सिगरेट नहीं पीता। इस से कुछ दोनों हाथों से लिखवा कर देखो। मुझे लगता है कि इसकी राइटिंग मेजर को मिले माफीनामे से मिलेगी।"

विक्रम अभिमन्यु से सहमत होता है। वो उस लड़के से कहता है- "तो मिस्टर प्रियांशु आप लेफ्टी हैं??"

वो लड़का कहता है-" जी सर, मैं लेफ्टी ही हूँ पर ये आप क्यों पूछ रहे है??"

विक्रम -"कुछ नहीं बचपन में दादी कहती थी कि जो बाएं हाथ से काम करते हैं, वो शैतान का काम करते है।" (फिर हँसते हुए) "खब्बू (लेफ्टी) बहुत कम देखने को मिलते हैं।इस दुनिया में सिर्फ 10% लोग ही खब्बू होते हैं।"

लड़का-" जी हाँ, और देखिये न दादी कितनी गलत थी। खब्बू होना तो सिर्फ एक दिमागी प्रक्रिया है।"

विक्रम-" जी हाँ, और आपने तो बहुत अच्छा काम ही किया है, इन्हीं हाथों से। पक्के देशभक्त हैं आप तो।"

लड़का ये सुन कर कुछ चौंक जाता है पर वो बयान लिखने का काम करता रहता है। उसमें उसकी गति बिलकुल कम नहीं होती। वो बोलता है-" जी, आपके कहने का मतलब मैं समझा नहीं इंस्पेक्टर साहब!!!"

विक्रम-" अरे, मेरे कहने का मतलब है कि आप जो उस दिन पुलिस चौकी में ज्ञान दे रहे थे। इतना सच बोलने की हिम्मत तो किसी देशभक्त में ही हो सकती है।"

विक्रम ऐसा कहते हुए एक पेपरवेट उठा लेता है। उसके साथ खेलते-खेलते वो चलते हुए इस तरह सीध में आता है कि वो लड़का उसके और अभिमन्यु के बीच में हो जाता है। "अभिमन्यु कैच" कहकर विक्रम वो पपरवेइट फेंकता है पर निशाना वो लड़का ही होता है।

विक्रम और अभिमन्यु मुस्कुराने लगते हैं क्यूंँकि वो पेपरवेट उस लड़के के हाथ में होता है। उसने बाएं हाथ से लिखते-लिखते दाएं हाथ से उसे खूबसूरती से लपक लिया था।

उस लड़के के चेहरे पर बेवकूफों वाले सभी लक्षण गायब हो चुके थे। उसकी जगह एक कुटिल मुस्कान ने ले ली पर अभी तक उसने नजरें नीची ही रखी हुई थी। विक्रम बोला-" तो मिस्टर प्रियांशु, आप हमें कब बताने वाले थे कि आप अम्बीडेक्सट्रॉस हैं?? खैर कोई बात नहीं, देर आये दुरुस्त आये। अपनी जिंदगी में मैंने कभी नहीं देखा पर अब किसी एक इंशान के दोनों हाथों का कमाल देखूंगा। प्लीज प्रियांशु जी, मेरी इच्छा पूरी करके कुछ दाएं (राइट) से भी लिख दीजिये न।"

प्रियांशु की नजरें विक्रम और अभिमन्यु से बारी-बारी मिली। तीनों के चेहरों पर बड़ी-सी मुस्कान थी। तीनों ही जानते थे कि वो एक-दूसरे को परख चुके हैं।

प्रियांशु-" सर, मैं तो आपका प्रशंसक हो गया हूँ। आपकी इच्छा जरूर पूरी करता पर एक एक्सीडेंट में इस हाथ की हड्डी टूट जाने की वजह से मैं लिखने की क्षमता खो चूका हूँ। हाँ, बाकी काम मैं जरूर दोनों हाथो से बराबर कर सकता हूँ , जैसे धोना।"

विक्रम को ताव आ गया वो बोला-" सर, मैं आपको पहचान गया हूँ और आपकी इज्जत करता हूँ कि आप क्या हो, पर आपने कानून से खिलवाड़ किया है। मैं आपको यूँ ही नहीं छोड़ सकता।"

प्रियांशु-" खिलवाड़!!!! नहीं सर, मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता। आप तो हाकिम हो। आप से मैं कैसे उलझ सकता हूँ। मैं कोई क्रिमिनल थोड़ी न हूँ, शरीफ आदमी हूँ, मुझे तो पुलिस से डरना ही पड़ेगा।"

विक्रम का पारा अंतिम वाक्य सुनते ही बहुत गरम हो गया। उसने सीधा प्रियांशु की कॉलर पर हाथ डाल दिया।

अभिमन्यु जो इतनी देर से चुपचाप खड़ा था इतना सब देखते ही-" विक्रम ये क्या कर रहे हो छोड़ो इसे।"

वो बड़ी मुश्किल से विक्रम के हाथ से प्रियांशु को छुड़वाता है। प्रियांशु जहरीली मुस्कान के साथ-" हाँ- हाँ, बदमाश तो चौकी में आकर इनकी उतार कर जाते हैं, तो सारा गुस्सा किसी शरीफ पर ही निकालेंगे न।"

विक्रम और भी ज्यादा चिढ़ जाता है. वो आपे से बाहर होने लगता है तो अभिमन्यु बोलता है-" प्रियांशु,आप चले जाओ यहाँ से, आपका अब यहाँ कोई काम नहीं है।"

प्रियांशु कुटिलता से मुस्कुराता है और वहांँ से चला जाता है। उस समय उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये वही बेवकूफ
है।

अभिमन्यु कैसे भी करके विक्रम को रोकता है। विक्रम अब अपना गुस्सा अभिमन्यु पर निकालने लगता है। वो चिल्लाया -" तुमने उसे जाने क्यों दिया?? अपनी बिरादरी का मिलते ही रंग बदल लिया। अच्छी दोस्ती निभाई???"

अभिमन्यु(चिल्लाते हुए)-" और क्या करता?? तुम तो गुस्से में अंधे हो जाते हो ये भी नहीं देखते कि सामने वाला कौन है। हमें सिर्फ शक हुआ है कि ये वही एजेंट है। अदालत में कैसे साबित करोगे?? पीटकर तो तुमने भी देख लिया इसे, मुँह से आवाज भी निकाली इसने??? जो अब उगलवा लोगे??? वो तुम्हें उकसा कर चला गया वो जनता था कि हम कैसे भी करके उसे लिखने पर मजबूर कर सकते थे। तो उसने ठन्डे दिमाग से ऐसी स्थिति कर दी कि तुम भड़क गए। आगे क्या होता, मैं जानता हूँ। वो या तो तुमसे मार खाता और हाथ टूटने का बहाना बना लेता या मारकर जाता। दोनों ही स्थिति में उसके दाएं हाथ से हम नहीं लिखवा सकते थे।"

To be continued........