एक बेवकूफ - 12 Priyansu Jain द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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एक बेवकूफ - 12

विक्रम-" मेजर साहब, कुछ भी हो, आपसे अनजाने में ही सही, कुछ गुनाह हो ही गए है। पर मैं आपका बहुत सम्मान करता हूँ। एक बार प्रोसीजर के तहत मुझे आपको गिरफ्तार करना होगा पर मैं आपको तकलीफ न देते हुए अपने रिस्क पर आपको यहीं छोड़ रहा हूँ। बस आप टाइम टू टाइम टच में रहिएगा और शहर से बाहर न जाइएगा जब तक असली मुजरिम पकडे़ नहीं जाते."
 
फिर गौतम की और देखते हुए विक्रम बोला-" अब इस चूजे और आपके बयानों से बहुत कुछ क्लियर हो गया है। अब उन गुरूजी और उनके चमचों की खैर नहीं और इस गोयल कंस्ट्रक्शन के तो समझो अब ताला ही लगेगा और मालिक हवालात के ताले के पीछे जायेंगे।"
 
फिर विक्रम अभिमन्यु को कहता है-" चलो अब हम उस बिल्डिंग की भी सैर कर आते है।" ऐसा कहते हुए विक्रम के भींचे हुए जबड़े यही जता रहे थे कि आज तो शहर में कोहराम मचेगा।
 
फिर क्या था, युद्ध स्तर पर कार्यवाही हुई। खूब धरपकड़ हुई। गोयल कंस्ट्रक्शन के मालिकों ने खूब हाथपैर चलाये। विक्रम को वारंट निकलवाने में भी दिक्कत हुई पर उसने अपने अफसरों को मना ही लिया। पुलिस स्टेशन पर बड़े-बड़े नेताओं-अफसरों के कॉल आये पर विक्रम ने सबको कह दिया कि जिनको तकलीफ है वो स्टेशन आकर लिख कर देन। ट्रांसफर, प्रमोशन यहाँ तक कि वर्दी की धमकियों और लालच की भी कोई सुनवाई न हुई क्यूंकि विक्रम ने मीडिया वालों को पहले ही इन्फॉर्म कर दिया था। जिन-जिन पावरफुल लोगों का म्यूजिक क्लास को सपोर्ट था वो सब अब चुपचाप किनारे हो गए थे।
 
गौतम की निशानदेही से कई ड्रग्स के गोदामों का भी पता चला। सारे शहर में विक्रम की खूब तारीफ हुई। विक्रम के प्रमोशन की भी अनुशंसा हुई। सब कुछ ठीक हो गया था।
 
परन्तु अचानक सेंट्रल गवर्नमेंट से इस केस को यहीं बंद करने का कह दिया गया था। विक्रम को इतना होने पर संतोष न था। क्यूंकि न तो म्यूजिक टीचर मिला और न ही गायब लड़कियों का कोई सुराग। अगर वो ज़िंदा न भी थी तो भी उनके अवशेष तो मिलने ही चाहिए थे। इतना हाई प्रोफाइल केस इतने बड़े रैकेट के पर्दाफाश के बाद बंद ही कर दिया गया था। कोई भी विक्रम की नाकामी न देख रहा था, परन्तु विक्रम को ये बातें चुभ सी गयी थी। क्यूंकि उसके अनुसार कुछ तो था जो उसकी नज़रों से चूक गया था।
 
इस सब के दो दिन पश्चात अभिमन्यु विक्रम से विदा लेने आया।
अभिमन्यु-" तो दोस्त अब इतना ही साथ रहा। तुम्हारी दोस्ती के पल साथ लिए जा रहा हूँ। बहुत सी यादें है इस शहर की। बस याद रखना और जब भी मन करे इस नाचीज को याद करना।"
 
विक्रम-" तुम जा रहे हो, मैं ऐसा नहीं चाहता था। इतने दिनों से तुम्हारे साथ रहते-रहते तुम्हारी आदत सी हो गयी है। कभी पता लगा ही नहीं कि कब दोस्त बन गए और जब मैं तुमपे इतना भरोसा करने लगा तब तुमने ही मुझे धोखा दिया। तुम्हें सब कुछ पता होते हुए भी तुमने मुझसे सब कुछ छुपाया।" कहते-कहते विक्रम की आवाज में तल्खी और व्यंग्य आ गया और वो अभिमन्यु को अपनी आँखों में कठोरता लिए सीधे घूरने लगा।
 
अभिमन्यु कुछ छणों के लिए तो सकपका गया पर तुरंत संभल भी गया। मुस्कुराते हुए बोला-" क्या तुम मेरे बारे में बोल रहे हो?? मैंने ऐसा क्या किया है दोस्त???"
 
विक्रम-" तुम शुरु से जानते थे कि असली माजरा ड्रग्स का ही नहीं है, कुछ और भी है जो इन सब से बड़ा है। तुम कहाँ तो इतना पटर पटर बोल रहे थे पर जैसे ही असली घटना का पता चला तुमने तो मुँह ही सील लिया। मेजर साहब ने जब हमें सारी बात बताई तब तुम ही थे जो चौंके नहीं थे। तुम तो इंटेलिजेंस में हो, इस से भी बड़े-बड़े मामले सुलझाए होंगें तुमने,पर इस मामले में तुमने विशेष कुछ न किया। जिन मंत्री जी की बेटी का केस लेने तुम दिल्ली से अपोइंट हुए उनकी बेटी के भी मरने कि संभावना जब मेजर साहब ने जताई तब भी तुमने कुछ नहीं कहा। जबकि ये एक सामान्य नियम है कि जब तक लाश न मिले किसी को मृत नहीं माना जा सकता। तुमने अपने तौर पर छानबीन भी की, पर उसका कोई भी पॉइंट मुझे नहीं बताया बस हम मेजर साहब के घर गए और केस सोल्व... बस!!!! इतना ही!!!! जो केस इतना प्रोब्लम दे रहा था वो एक अंधे मेजर की गवाही से ही खत्म हो गया!!!!!"
 
अभिमन्यु शांति से-" देखो दोस्त, तुम्हे धोखा देने का कोई इरादा नहीं है मेरा,न ही कभी था। पर जो कुछ मेरी समझ में आ रहा है, मैं कहता हूँ कि अब इस मामले में कुछ नहीं रखा। अब कोई फायदा नहीं है। अपने हिसाब से इस मामले को रंग देकर इस केस को क्लोज करो और भूल जाओ।"
 
विक्रम-" ऐसे कैसे भूल जाऊँ, तीन लड़कियां और म्यूजिक टीचर गायब है। जिनमें लड़कियों की संभावना है कि वो मर चुकी है। उनमें से दो लड़कियांँ ड्रग एडिक्ट थी। परन्तु एक लड़की का ड्रग से कोई लेना देना न था!!! कोई प्लान पर प्लान बना कर उनको गायब कर देता है और उनमें से सिर्फ एक का ही कुछ सुराग मिलता है कि ये कैसे हुआ, पर बाकी दो??? मतलब साफ है कि यहाँ मामला ड्रग्स का ही नहीं है। हम गुमराह हो रहे है। ऊपर से तुम!!मेरे दोस्त!! मुझे केस को दूसरा रंग देकर बंद करने को कह रहे हो??
मेरे दोस्त, मेरी मदद करो मुझे बताओ कि ये क्या चक्कर है?? यदि तुम्हे पता है कि कोन है इसके पीछे तो मुझे बताओ। हमें कुछ तो करना ही होगा। "
 
अभिमन्यु(लम्बी सांस छोड़ते हुए)-" देखो विक्रम, तुम्हारे जैसा तेज और ईमानदार पुलिसवाला ऐसे ही चुप बैठ जाये ये हो नहीं सकता और जो तुम समझ रहे हो, वो शायद सही ही है। क्यूंँकि जो मेरी समझ कह रही है तो इन सब के पीछे जो है हम उससे यूँ उलझ नहीं सकते क्यूंकि कोई सबूत नहीं है।यदि फिर भी तुम जिद्द कर ही रहे हो तो मैं तुम्हारी मदद जरूर करूँगा। हम दोनों को इन्वेस्टीगेशन को नए सिरे से शुरु करना होगा। पर मुझे बहुत कम उम्मीद है कि जिस तरीके से ये सब हुआ है, अब कोई फायदा होगा।"
 
To be continue....