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जादुई मन - उपन्यास
Captain Dharnidhar
द्वारा
हिंदी मानवीय विज्ञान
शरीर की ताकत, मनकी ताकत, बुद्धि की ताकत, आत्मा की ताकत, ये चार प्रमुख ताकते (बल) है । इसके अलावा भी शक्तियां है । जैसे धन बल, अधिकार बल, छल
बल, संख्या बल, ये सारी ताकते आत्मा की ताकत के सामने नगण्य है ।
शरीर बल से श्रेष्ठ मनोबल है क्योंकि हाथी के पास शारीरिक बल होता है किन्तु शेर के पंजे की मार से भाग खड़ा होता है.. मनो बल को बुद्धि बल से नियंत्रित किया जा सकता है ।
और आत्मबल के सामने बुद्धि बल भी नतमस्तक हो जाता है ।
धन की ताकत – प्रायः देखा जाता है कि जिनके पास धन बल होता है वे लोग अपने धन के बल पर समाज मे अपना प्रभाव जमाने में कामयाब हो जाते है । कम पढे लिखे होकर भी समाज को प्रभावित करते देखे जाते है । समाज भी धनाढ्य लोगों को सार्वजनिक जीवन में सम्मान देता है । धन बल त्यागी असंग्रही के सामने प्रभाव हीन हो जाता है । अर्थात धन की चाह न रखने वाले के सामने बोना हो जाता है ।
अधिकार की ताकत – किसी पद पर आसीन व्यक्ति के पास प्रशासनिक अधिकार होने से वह भी प्रतिष्ठा पा लेता है ।
किंतु कर्तव्यपरायणता न हो तो प्रतिष्ठा की हानि होती है ।
संख्या बल भी एक बल है समान विचार वालो का संगठित बल राजतंत्र को प्रभावित करता है ।
छल बल भी बल है इससे भी लोग सफल होना मानते है । यह बल दुष्ट लोगों का बल होता है ।
लेखक परिचय – कैप्टन धरणीधर पारीक, पुत्र श्री राधेश्याम पारीक जयपुर राजस्थान। धर्मगुरू भारतीय सेना (सेवा निवृत्त) शिक्षा – संस्कृत व हिन्दी से शास्त्री शिक्षा शास्त्री (एमए बी एड) विषय - चमत्कारी है मन प्रस्तावना – शरीर की ...और पढ़ेमनकी ताकत, बुद्धि की ताकत, आत्मा की ताकत, ये चार प्रमुख ताकते (बल) है । इसके अलावा भी शक्तियां है । जैसे धन बल, अधिकार बल, छलबल, संख्या बल, ये सारी ताकते आत्मा की ताकत के सामने नगण्य है । शरीर बल से श्रेष्ठ मनोबल है क्योंकि हाथी के पास शारीरिक बल होता है किन्तु शेर के पंजे की मार
अध्याय एक उन व्यक्तियों का मन अधिक कमजोर होता है, जिनकी दिनचर्या अस्त व्यस्त रहती है, जो लोग अपनी पूरे दिन की कार्य योजना नहीं बनाते, जो अनुशासन में अपने आपको नहीं ढालते । ऐसे लोगों का संकल्प ...और पढ़ेही कमजोर होता है,ये दृढ़ निश्चयी नहीं होते । इनका मन बदलता रहता है । जो कहते है वह करते नहीं । इस वजह से ऐसे लोग परिवार में, समाज में, अपने कार्य क्षेत्र में, सम्मान नहीं पाते । 01 शुरूआत कहां से करें – सबसे पहले अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करना होगा । सुबह से शाम तक जो भी
बाह्य मन की अपेक्षा अन्तर्मन अधिक शक्तिशाली होता है । मन को शक्तिशाली बनाने के लिए हम कुछ साधनाओं की चर्चा करेंगे ।त्राटक साधना में बिंदु त्राटक से शुरुआत कर सकते हैं – बिन्दु त्राटक - एक सफेद कागज ...और पढ़ेबीच में एक रूपये के सिक्के जितना काला बिंदु बनायें फिर काले बिंदु में पीली सरसों जितना गोल बिन्दु बनाये । फिर एकांत में अपने कमरे की दीवार पर उसे इस तरह से लगा दे कि उसमे लगा काला बिन्दु ठीक हमारी आंखों के सामने हो । कमरे में रोशनी इतनी ही हो कि हमें उसमे लगा पीला बिन्दु दिखाई
अध्याय 3 के आगे --बिन्दु त्राटक में अनुभूति – जब हम बिन्दु त्राटक कर रहे होते हैं, तो हमें कैसे पता चले ? कि हम बिन्दु त्राटक सही कर रहे हैं। अभ्यास में शुरू में हमें कठिनाई जरूर होती ...और पढ़ेकिन्तु धीरे धीरे अभ्यास बढता है तो त्राटक सही से होने लगता है, हमें वह बिन्दु सुनहरी रंग का दिखाई देने लगता है सुनहरी से कभी नीला दिखाई देने लगेगा, फिर वह नीले से हरा दिखाई देने लगेगा आगे चलकर वह बिन्दु शुभ्र वर्ण का सूर्य के समान चमकता हुआ दिखाई देने लगेगा । कभी कभार वह गायब हो जायेगा,
अध्याय 4 के आगे - मन का पूरे शरीर पर नियंत्रण – ईश्वर के बाद मन को ही अधिक शक्तिशाली मान सकते हैं क्योंकि मन का पूरे शरीर पर नियंत्रण होता है । यह मन ही है जो ज्ञानेन्द्रियों ...और पढ़ेकर्मेन्द्रियों के जरिये भोग करता है । ( पाच ज्ञानेन्र्दियां-- आंख, नाक, कान, जीभ, त्वचा )( पांच कर्मेन्द्रियां — हाथ, पांव, गुदा, मूत्रेन्द्री, मुख )इस मन के जरिये ही ईश्वर को जाना जा सकता है अर्थात ईश्वर की शक्तियों को पहचाना जा सकता है । मन के दो भाग- अन्तर्मन व बाह्य मन । बाह्य मन आंखों से भौतिक जगत