पिछले अध्याय मे इच्छा शक्ति के बारे मे विवेचन किया था । इच्छा शक्ति का प्रभाव हमारे जीवन पर विशेष रूप से पड़ता है । इच्छा शक्ति से दूसरो के मन पर मन चाहा प्रभाव डाला जासकता है । इच्छा शक्ति से आंखो मे एक विशेष प्रकार की चमक व चुंबक उत्पन्न हो जाता है । वही चुंबक शक्ति आंखो के जरिये सामने वाले पर प्रभाव डालती है ।
आपने कभी बाल हट देखा होगा , बालक किसी वस्तु के लिए हट करता है तो उसके नेत्रों मे वह प्राप्त करने का दृढ निश्चय नजर आता है । उस निश्चय के आगे न चाहते हुए भी झुकना पड़ जाता है । यहां यह उदाहरण मात्र है जो दृढ इच्छा को कुछ क्षण के लिए समझा जा सकता है । इच्छा शक्ति से पहलवान अपने प्रतिद्वंदी को हरा सकता है । साधनो के अभाव मे भी व्यक्ति लंबे समय तक भूखा रहकर जीवित रह सकता है ।
स्त्री को कामी पुरूष प्रणय निवेदन बिना कुछ कहे कर देता है । वह प्रणय निवेदन स्त्री तक पहुंच भी जाता है और वह असहज हो जाती है । उससे पूछा जाये तो वह यही कहेगी कि यह आदमी ठीक नही है । बल्कि प्रगट मे ऐसा कुछ हुआ ही नही है । इस तरह से ही निश्छल स्नेह आंखो के जरिए पशु पक्षी भी समझ लेते हैं और हमारे मनोनुकूल आचरण करने लगते हैं ।
अतः अपनी भावनाओ को प्रेषित करने का अभ्यास साधक यदि करता है तो उसमे दृढ इच्छा शक्ति विकसित होती जायेगी । इच्छा शक्ति कुछ स्तर तक सबमे होती है और यह घटती बढती रहती है । हर व्यक्ति अपनी इच्छा शक्ति के अनुसार सामने वाले को मित्र बना लेता है । किसी के लिए अच्छी भावनाएं छोड़ने से वे बार बार उसके मन से टकरा टकराकर मित्र बना सकती है ।
हमारी पूजा पद्धति मे व शादी समारोह मे स्वस्तिवाचन करवाते है । पंडित जी तो करते है पर अपने सुहृद आकर मंगल कामनाएं देते है , उनके द्वारा दी गयी मंगलकानाओं की तरंग भी काम करती है जिसे हम आशीर्वाद कहते हैं । यहां भी इच्छा शक्ति ही काम कर रही है ।
मैने पिछले अध्यायो मे त्राटक करने के बाद कुछ खेल खेलने को कहा था । जैसे जाते हुए किसी व्यक्ति की गर्दन पर नजर जमाकर भावना करना कि वह पीछे मुड़कर देखे । ऐसा करते रहने से कुछ देर बाद वह पीछे मुड़कर देखने लग जाता है । ऐसे ही बैठे हुए को खड़े होने को कहना वह यदि खड़ा हो जाता है तो आप सही दिशा मे है । यह सब त्राटक का अभ्यास आधे घंटे तक ले जाने पर होने लगता है । यह सब इच्छा शक्ति के ही विकसित होने से होता है ।
अपनी इच्छा शक्ति से किसी को भी सम्मोहित भी किया जा सकता है । रोगी को रोग मुक्त भी किया जा सकता है ।
सम्मोहन करते समय रोगी की आंखो मे झांककर उसे नींद की भावना देकर उसके शरीर को शिथिल कर रोग से मुक्त करने हेतु अपनी प्राण ऊर्जा अपनी अंगुलियों के जरिए प्रेषित कर अंत मे उसके रोग मुक्त हो जाने की घौषणा करना । फिर चुटकी बजाकर उसकी नींद तोड़ना । जब रोगी जगेगा तो खुदको अच्छा महसूस करेगा ।