Pawan Granth book and story is written by Asha Saraswat in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pawan Granth is also popular in पौराणिक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पावन ग्रंथ - भगवद्गीता की शिक्षा - उपन्यास
Asha Saraswat
द्वारा
हिंदी पौराणिक कथा
अनुभव को जब भी समय मिलता वह लाइब्रेरी से अपनी मनपसंद पुस्तकें लाकर पढ़ लेता । छुट्टियों में वह घर में रखी हुई पुस्तकें निकाल कर पढ़ता,उसे पढ़ने का बहुत शौक़ था । एक दिन उसने दादी जी को पुस्तक पढ़ते हुए देखा, जब दादी जी पुस्तक रख कर चली गईं तो अनुभव उस पुस्तक को अपने कमरे में लाकर पढ़ने लगा । शुरू से उस पुस्तक को वह पढ़ने लगा लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रही थी। अनुभव दादी जी के पास जाकर किताब दिखाते हुए बोला— दादी जी मुझे यह
अनुभव को जब भी समय मिलता वह लाइब्रेरी से अपनी मनपसंद पुस्तकें लाकर पढ़ लेता । छुट्टियों में वह घर में रखी हुई पुस्तकें निकाल कर पढ़ता,उसे पढ़ने का बहुत शौक़ था । एक दिन ...और पढ़ेदादी जी को पुस्तक पढ़ते हुए देखा, जब दादी जी पुस्तक रख कर चली गईं तो अनुभव उस पुस्तक को अपने कमरे में लाकर पढ़ने लगा । शुरू से उस पुस्तक को वह पढ़ने लगा लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रही थी। अनुभव दादी जी के पास जाकर किताब दिखाते हुए बोला— दादी जी मुझे यह
दादी जी— अनुभव मैं तुम्हें नकारात्मक और सकारात्मक विचारों की आपस में लड़ाई की एक कथा, जो महाभारत में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी वह सुनाती हूँ । ...और पढ़े (१) सत्यवादी एक बार कहीं एक महान साधु रहते थे, वह साधु सदा सत्य बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने सत्य बोलने की शपथ ली थी इसलिए वह ‘सत्यमूर्ति’ के नाम से प्रसिद्ध थे। वह जो भी कहते लोग उनका विश्वास करते थे क्योंकि जिस समाज में वह रहते और तपस्या करते
अध्याय दो- ब्रह्मज्ञान अनुभव— दादी जी,अगर अर्जुन के हृदय में उन सबके लिए, जिन्हें युद्ध में मारना था,इतनी करुणा भरी थी,तो वह कैसे रणक्षेत्र में युद्ध कर सकते थे? दादी ...और पढ़ेबिलकुल यही तो अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा था । उन्होंने कहा — मैं युद्ध में अपने बाबा, गुरु और अन्य संबंधियों पर कैसे बाण चला सकता हूँ?अर्जुन की बात ठीक थी ।वैदिक संस्कृति में गुरु और वृद्धजन आदर के पात्र हैं । किंतु धर्मग्रंथों में यह भी कहा गया है कि कोई
दादी जी— अनुभव मैं तुम्हें सफलता के रहस्यों को विस्तार से बताती हूँ जो अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने बताया था । हमें अपने काम या पढ़ाई में पूरी तरह इस प्रकार खो जाना ...और पढ़ेऔर किसी बात का,यहाँ तक कि काम के फल का भी ध्यान न रहे । हमें अपने कर्म के श्रेष्ठतम परिणामों की प्राप्ति के लिए हमें पूरे मन को अपने काम पर ही केन्द्रित करना चाहिए इधर-उधर नहीं । कर्म को परिणामों की चिंता किए बिना पूरे मन से करना चाहिए ।यदि हम अपना पूरा ध्यान और पूरी शक्ति कर्म
अध्याय तीन- ...और पढ़ेया कर्तव्य मार्ग अनुभव — दादी जी हमें अपनी इच्छाओं पर क़ाबू क्यों करना चाहिए? दादी जी— जब इंद्रियों के सुख के लिए ग़लत व्यवहार चुनते हो,तो तुम उसके परिणामों को भी चुनते हो ।इसलिए कोई भी काम सबके भले के लिए किया जाना चाहिए,अपनी इच्छाओं को शांत करने के लिए या व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं ।कर्मयोग के अभ्यास करने वाले को कर्मयोगी कहते है ।कर्मयोगी सेवा का सही