The Holy Scriptures - Teachings of the Bhagavad Gita - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

पावन ग्रंथ - भगवद्गीता की शिक्षा - 2


दादी जी— अनुभव मैं तुम्हें नकारात्मक और सकारात्मक विचारों की आपस में लड़ाई की एक कथा, जो महाभारत में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी वह सुनाती हूँ ।

(१) सत्यवादी

एक बार कहीं एक महान साधु रहते थे, वह साधु सदा सत्य बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने सत्य बोलने की शपथ ली थी इसलिए वह ‘सत्यमूर्ति’ के नाम से प्रसिद्ध थे। वह जो भी कहते लोग उनका विश्वास करते थे क्योंकि जिस समाज में वह रहते और तपस्या करते थे,उसमें उन्होंने महान कीर्ति अर्जित कर ली थी ।
एक दिन शाम के समय एक डाकू किसी व्यापारी को लूट कर उसकी हत्या करने के लिए उसका पीछा कर रहा था ।व्यापारी अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था ।डाकू से बचने के लिए वह व्यापारी गॉंव से बाहर उस वन की ओर भागा , जहॉं वह साधु रहते थे ।

व्यापारी ने अपने आप को बहुत सुरक्षित महसूस किया क्योंकि जिस जंगल में वह छिपा था,उसका पता लगाना डाकू के लिए असंभव था ; किंतु साधु ने उस दिशा को देख लिया था ,जिस ओर व्यापारी भागा था ।

डाकू साधु की कुटिया के पास आया ।उसने साधु महाराज को प्रणाम किया ।डाकू को पता था कि साधु सत्य ही बोलेंगे उनका विश्वास किया जा सकता है ।
उसने साधु से पूछा— क्या आपने किसी व्यक्ति को भागते हुए देखा है? साधु जानता था कि डाकू अवश्य किसी को लूट कर उसकी हत्या करने के लिए उसे ढूँढ रहा होगा ।

अब साधु के सामने बहुत बड़ी समस्या थी। यदि वह सच बोलते है , तो निश्चित ही व्यापारी मारा जाएगा ।
यदि झूठ बोलते हैं तो वह झूठ बोलने के पाप के भागी होंगे और अपनी कीर्ति खो बैठेंगे ।
अहिंसा और सत्य सभी धर्मों की दो महत्वपूर्ण शिक्षाएँ हैं,जिनका पालन करना चाहिए ।
अब यदि इनमें से किसी एक को चुनना पड़े तो किसे चुनें? यह बहुत कठिन चुनाव है।

अपने सत्य बोलने के स्वभाव के कारण साधु ने कहा—“हॉं,मैंने किसी को उस ओर भागते हुए देखा है”इस प्रकार डाकू ने व्यापारी व्यक्ति को ढूँढ कर मार दिया,डाकू अपने काम में सफल हो गया ।
सच को छिपा कर वह साधु एक व्यक्ति का जीवन बचा सकते थे,किंतु उन्होंने ध्यान से नहीं सोचा और ग़लत निर्णय लिया ।

भगवान श्री कृष्ण का अर्जुन को यह कहानी सुनाने का उद्देश्य,अर्जुन को यह शिक्षा देना था कि कभी-कभी दो में से किसी एक को चुनना आसान नहीं होता ।अर्जुन के सामने भी यही समस्या थी ।
भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि एक व्यक्ति की हत्या करने के पाप में डाकू के साथ साधु भी भागी है ।इसलिए जब दो आदर्शों में टकराव होता है तो हमें देखना होगा कि कौन सा सिद्धांत ऊँचा है ।अहिंसा सबसे ऊँची है,इसलिए साधु को एक व्यक्ति के प्राण बचाने के लिए इस परिस्थिति में झूठ बोलना चाहिए था । यदि सच बोलने से एक व्यक्ति को किसी प्रकार की हानि पहुँचती हैं तो सच बोलना ज़रूरी नहीं है ।कभी-कभी जीवन की वास्तविक स्थितियों में धर्म का पालन आसान नहीं है और कभी-कभी इस बात का निर्णय करना भी बहुत कठिन है कि धर्म -अधर्म क्या है ।ऐसी स्थिति में बड़ों और विद्वानों की सलाह लेनी चाहिए ।


भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को एक और उदाहरण दिया है कि एक डाकू किसी गॉंव को लूटने और गॉंव वालों की हत्या करने गया था ।ऐसी अवस्था में डाकू की हत्या करना अहिंसात्मक कर्म होगा,क्योंकि एक की हत्या करने से बहुत से व्यक्तियों के प्राण बचेंगे ।स्वयं भगवान श्री कृष्ण को बहुत बार महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए और सब पापियों को ख़त्म करने के लिए ऐसे निर्णय लेने पड़े थे ।

अनुभव, याद रखो, झूठ मत बोलो,किसी की हत्या न करो,किसी को हानि भी नहीं पहुँचाओ। किंतु सबसे बड़ी प्राथमिकता है किसी की जान बचाना ।
पहले अध्याय का सार है—— अर्जुन ने अपने मित्र भगवान श्री कृष्ण से अपना रथ दोनों सेनाओं के बीच में ले जाने को कहा, ताकि वह कौरवों और पाण्डवों की सेना को देख सके। विरोधी पक्ष में अपने मित्रों और सम्बन्धियों को देख कर, जिनकी हत्या युद्ध जीतने के लिए उसे करनी होगी, अर्जुन के हृदय में गहरी करुणा उपजी।
उसका मन संशय से भर उठा ।
उसने युद्ध के दोषों का वर्णन किया और युद्ध करने से मना कर दिया ।

दादी जी- अनुभव आज इतना ही आगे की गीता मैं तुम्हें सरल भाव में अगली बार सुनाऊँगी ।

क्रमश:✍️


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