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प्रेत-लोक - उपन्यास
Satish Thakur
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
ये समूचा विश्व सिर्फ एक भावना के चलते गतिमान है वो है विश्वास, कहा जाता रहा है कि " मानो तो मैं गंगा माँ हूँ, न मानो तो बहता पानी"। पर आज यहाँ पर बात गंगा माँ को मानने या न मानने को लेकर नही है, बात है कि जैसे हम भगवान को मानते हैं, हम ये मानते हैं कि भगवान का अस्तित्व है और वो कण-कण में विराजमान है। ठीक बैसे ही हम मानें या न मानें पर एक और शक्ति भी इस संसार में है जिसके होने का हम में से कई लोगों को प्रमाण मिला भी है
ये समूचा विश्व सिर्फ एक भावना के चलते गतिमान है वो है विश्वास, कहा जाता रहा है कि " मानो तो मैं गंगा माँ हूँ, न मानो तो बहता पानी"। पर आज यहाँ पर बात गंगा माँ को मानने ...और पढ़ेन मानने को लेकर नही है, बात है कि जैसे हम भगवान को मानते हैं, हम ये मानते हैं कि भगवान का अस्तित्व है और वो कण-कण में विराजमान है। ठीक बैसे ही हम मानें या न मानें पर एक और शक्ति भी इस संसार में है जिसके होने का हम में से कई लोगों को प्रमाण मिला भी है
अब तक आपने पढ़ा कि चारों दोस्त रायसेन किले की यात्रा पर निकलते हैं और बापसी में रात का खाना भोपाल से बीस किलोमीटर पहले एक ढाबे में करने का प्लान बना कर रायसेन से चलते हैं। पर ढाबे ...और पढ़े2 किलोमीटर पहले सुनसान घने जंगल में उनकी गाड़ियों का पेट्रोल खत्म हो जाता है।अब आगे…...उस समय कोई मदद की उम्मीद करना बैमानी था अभी तक के सफर में एक भी गाड़ी उन्हें नहीं मिली थी और न ही आस-पास किसी बस्ती के होने का कोई अंदेशा था।रुद्र शांति को भंग करते हुए बोला " इस समय यहाँ इस वीरान
अब तक आपने पढ़ा- चारों दोस्त रायसेन का किला देख कर भोपाल बापस जा रहें हैं पर रास्ते मे उनका पेट्रोल खत्म हो जाता है और वो एक ढाबे पर रात रुकने का सोचते हैँ पर उस ढाबे पर ...और पढ़ेअलावा और कोई नहीं होता है वो सभी दो भाग में बटकर खाना बनाने और ढाबे में किसी को खोजने का प्लान बनाते हैं, ढाबे में खोज करते समय उन्हें कुछ मिलता है। वो रात को सो रहे होतें हैं तब रुद्र को सपने में कुछ दिखता है जिसे देख कर वो घबरा जाता है।अब आगे………..रुद्र जोर से चीखा, उसके
सुनील की आँखें लाल सुर्ख हो रहीं हैं, मानो जैसे खून उतर आया हो। रुद्र और मनोज दोनों की हालत बयाँ करने की जरूरत ही नहीं है, उन्हें तो मानों साँप सूंघ गया हो। कमरे की टयूब लाइट चर-चर ...और पढ़ेआवाज के साथ कभी जलती है और कभी बुझ जाती है, पूरे कमरे में सड़न की बदबू फैल गई। सुनील ने किताब से सर उठा कर रुद्र और मनोज की तरफ देखा।उसके देखने मात्र से रुद्र और मनोज के प्राण हलक तक आ गए, उसके देखने का तरीका बहुत ही डरावना और भयावह था। सुनील की चमड़ी का रंग बदलने
प्रेत लोक – 05 अब तक आपने पढ़ा : चारों दोस्त एक सफ़र पर निकलते हैं और धीरे-धीरे वो सफ़र उनकी जिन्दगी का सबसे मनहूस सफ़र साबित होने लगता है, वो न चाहते हुए भी अनजाने में ...और पढ़ेपारलौकिक शक्तियों के संपर्क में आ जाते हैं और फिर ये शक्तियां उनके साथ उनके घर तक पहुँच कर अपने होने का अनुभव देने लगती हैं। सुनील और विकास इन शक्तियों के चंगुल में आ जाते हैं पर रुद्र और मनोज अभी भी सुरक्षित हैं। अब आगे : रुद्र और मनोज सुनील को और विकास को देख रहे हैं पर समझ