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चाहत - उपन्यास
sajal singh
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
"ओ रे पिया रे उड़ने लगा मन बावरा रे........." गाना म्यूजिक प्ले पर बज रहा है,और मैं इस गाने पर ज़ूम -ज़ूम कर डांस कर रही हूँ | तभी रूम में कोई आता है और म्यूजिक ऑफ कर देता है और आवाज़ आती है चाहत बहुत कर लिया डांस अब फ्रेश हो के आ जाओ ब्रेकफास्ट कर लो तुम्हारे भैया कब से वेट कर रहे है तुम्हारा ? मैं -भाभी , डांस करने दो ना प्लीज ! रिया भाभी - नहीं बिलकुल नहीं , बहुत हुआ तुम्हे कॉलेज एडमिशन के लिए भी जाना है सो जल्दी करो नहीं तो फिर
"ओ रे पिया रे उड़ने लगा मन बावरा रे........." गाना म्यूजिक प्ले पर बज रहा है,और मैं इस गाने पर ज़ूम -ज़ूम कर डांस कर रही हूँ | तभी रूम में कोई आता है और म्यूजिक ऑफ ...और पढ़ेदेता है और आवाज़ आती है चाहत बहुत कर लिया डांस अब फ्रेश हो के आ जाओ ब्रेकफास्ट कर लो तुम्हारे भैया कब से वेट कर रहे है तुम्हारा ? मैं -भाभी , डांस करने दो ना प्लीज ! रिया भाभी - नहीं बिलकुल नहीं , बहुत हुआ तुम्हे कॉलेज एडमिशन के लिए भी जाना है सो जल्दी करो नहीं तो फिर
पार्ट -3 शाम को डिनर के बाद मैंने भैया और भाभी को अपने कॉलेज में फर्स्ट डे के बारे में बताया | साथ में नेहा और ...और पढ़ेके बारे में भी बताया | ये भी बताया कि वो कितनी supportive हैं | ये सुन कर भैया -भाभी बहुत खुश हुए ,कि मुझे दोस्त मिल गए हैं कॉलेज में | भाभी -ये हुई ना बात | कॉलेज के दोस्तों की तो बात ही अलग है | मैं -अच्छा भाभी ,मैं रूम में जा रही हूँ | मुझे नोट्स कवर करने हैं | गुड नाईट |
पार्ट -4 अमन की बात सुनकर जैसे हमारी सोचने -समझने की शक्ति ही चली गयी | हम सब खामोश थे | तभी सुमन कहती है -यही बात बतानी थी | नेहा - सुमन ,ये प्यार ...और पढ़ेहुआ कब ? जरा बताना ? प्राची -सच में प्यार है या अप्रैल फूल बना रही हो ? अगर बना रही हो तो तुम जान लो ये फरवरी का महीना है अप्रैल का नहीं | मैं -सुमन ,ऐसा मजाक भी कोई करता है क्या ? सुमन -नहीं, मैं सच में प्यार करती हूँ अमन से | अमन -मैं भी | मैं -देखो अमन ,माना
पार्ट -5 कॉलेज के बाद मैं और नेहा उसका जरुरी सामान लेकर घर आ गए थे। भैया -भाभी बहुत खुश थे कि नेहा हमारे साथ एक वीक रहेगी। भाभी ने नेहा को गेस्ट रूम में शिफ्ट कर ...और पढ़ेथा। अब डिनर के बाद मैं और नेहा छत पर बैठकर गप्पे मार रहे हैं। मैं -नेहा ,मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हम इतनी जल्दी दोस्त बन जायेंगे। नेहा -सोचा तो मैंने भी नहीं था कि तुम जैसी अपने में ही खोये रहने वाली लड़की ऐसे सबसे घुल -मिल जाएगी। मैं -अच्छा जी। मेरा मजाक उडा रही हो...... नेहा -कुछ