पार्ट -4
अमन की बात सुनकर जैसे हमारी सोचने -समझने की शक्ति ही चली गयी | हम सब खामोश थे | तभी सुमन कहती है -यही बात बतानी थी |
नेहा - सुमन ,ये प्यार तुम्हे हुआ कब ? जरा बताना ?
प्राची -सच में प्यार है या अप्रैल फूल बना रही हो ? अगर बना रही हो तो तुम जान लो ये फरवरी का महीना है अप्रैल का नहीं |
मैं -सुमन ,ऐसा मजाक भी कोई करता है क्या ?
सुमन -नहीं, मैं सच में प्यार करती हूँ अमन से |
अमन -मैं भी |
मैं -देखो अमन ,माना की हमने तुम्हे मारा था | धमकाया भी था | कहीं तुम उन सब का बदला तो नहीं ले रहे सुमन से ?
अमन -नहीं चाहत ,मेरा तरीका गलत था पहले | लेकिन मैं पसंद शुरू से ही करता हूँ सुमन को | मैंने सिर्फ सुमन को परपोज़ किया है | और उसने एक्सेप्ट किया है |
सुमन -हाँ ! मैंने एक्सेप्ट किया है purposal | उस दिन के बाद अमन ने मुझे कभी भी परेशान नहीं किया | यही है मेरा मिस्टर राइट !
हम सब ने एक दूसरे को देखा और हाँ में सर हिलाया | फिर हमने दोनों को congratulate किया | तब तक शिव भैया और सलिल भी आ गए | उन दोनों ने भी सुमन और अमन को badahi दी | फिर हम सब कैंटीन चले गए | शिव भैया ,सलिल और अमन अलग टेबल पर एक कोेने में बैठे हैं | और हम चारों अलग टेबल पर बैठे हैं | सुमन सब के लिए कॉफ़ी आर्डर करती है |
प्राची -सुमन ,अब तो खुश है न ?
सुमन -हाँ ! अमन अच्छा लड़का है | स्टडी में भी ठीक है | और पहले उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं रही |
नेहा -चल ठीक है | अब तेरा मिस्टर राइट ढूंढ़ने के अभियान से पीछा तो छूटा |
मैं -सुमन ,हम खुश हैं तेरे लिए | फिर भी ध्यान से रहना |
नेहा -पता नहीं यार। हमें कब कोई मिलेगा ?
मैं -बड़ी जल्दी है तुझे।
नेहा -हाँ यार। अब सुमन तो अमन के साथ घूमेगी | बचे हम तीनों |
सुमन -वैसे चाहत ,तुम्हे कभी किसी से प्यार हुआ है?
नेहा -गलत इंसान से सवाल किया है तुमने। जवाब हमे पता ही है। ना।
मैं -नहीं। ये प्यार -शादी मेरी समझ से बाहर है।
(कॉफी आ जाती है )
नेहा -प्राची ,तुम बताओ। तुमने किया है प्यार कभी?
प्राची -हाँ !
(हम सब एक -दूसरे को देखते हुए किससे ?)
प्राची -शिव से।
मैं -यार ये अब शिव कौन है ?
प्राची -तुम्हारा भाई शिव।
मैं -(सदमे में ) मेरे भाई से कब से ?
प्राची -पिछले पंदरह साल से।
नेहा -क्या ? दोबारा कहना।
प्राची -चाहत तुम तो जानती हो की शिव और हमारा परिवार शुरू से एक -दूसरे से जुड़ा हुआ है। फिर मैं, सलिल भैया और शिव बचपन से दोस्त रहे हैं। जब से मैंने प्यार को समझा है तब से शिव को ही चाहा है मैंने।
मैं -तुमने ये बात शिव भैया को बताई।
प्राची -हाँ ! एक साल पहले बताई थी। शिव भी मुझसे प्यार करता है।
नेहा -वाह यार ! तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले।
मैं -तुमने और शिव भैया ने घर पर बताया किसी को ?
प्राची -अभी तक तो नहीं। शिव ने कहा कुछ ही महीनों में उसकी एम.बी.ए. पूरी हो जाएगी। फिर जॉब मिलते ही सब को बता देंगे।
सुमन -प्राची ,तुमने अपने भाई सलिल को इस बारे में बताया ?
प्राची -नहीं। उन्हें हमारे बारे में कुछ नहीं पता। मुझे और शिव को उनके रिएक्शन का ही सबसे ज्यादा डर है। पता नहीं वो क्या कहेंगे ?
मैं -इसमें डरने वाली क्या बात है ? शिव भैया कितने अच्छे इंसान हैं। उनसे अच्छा लाइफ पार्टनर तुम्हे नहीं मिलेगा। सो डोंट वोर्री।
प्राची -हाँ। तुम ठीक कह रही हो। पर भैया को प्यार -मोहब्त सब हुआ नहीं कभी। क्या पता वो हमारी बात समझे या नहीं।
मैं -हो सकता है वो किसी को प्यार करते हो तुम ना जानती हो।
प्राची -नहीं ऐसा नहीं हैं। वो शिव और दादाजी से हर बात शेयर करते हैं। अगर कोई लड़की भैया की लाइफ मे होती तो शिव तो मुझे जरूर बताता।
सुमन -सच में यार प्राची। तेरा भाई विश्वामित्र है। (ये सुनकर हम सब हॅंसते हैं )
प्राची -मुझे पता है सब भाई को इस नाम से बुलाते हैं। बाकी ये नाम सूट करता है उन पर।
(उधर हमारी बातों से अनजान कोने में बैठे हुए लड़के अपनी ही बातों में वयस्त हैं। )
सलिल -अमन। तुझे मार खाने के बाद भी सुमन से प्यार हो गया।
अमन -हाँ भाई। वो प्यार ही क्या जिसमे मार -तकरार ना हो।
शिव -जियो मेरे लाल ! लगता है प्यार की गिरफत में कैद हो ही गए।
अमन -बिलकुल। वैसे आप दोनों बताओ अपनी लव लाइफ के बारे में।
शिव -(कुछ छुपाते हुए ) मेरी लाइफ में अभी प्यार आने में समय है। और सलिल महाशय तो इन चकरो से दूर ही रहते हैं।
सलिल -वैसे रखा भी क्या है इन सब चकरो में ?
अमन -देखना सलिल। एक बार कोई पसंद आ गयी तो प्यार -मोहब्त से बच नहीं पाओगे।
सलिल -देखते हैं। (ये कहकर सलिल और शिव हँसते हैं )
बीतते वक़्त के साथ अब अमन भी हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया था। अब सुमन और अमन साथ में अच्छे लगते थे। अमन ने अपने घरवालों को सुमन से मिलवा दिया था। अमन के परिवार को सुमन बहु के रूप में पसंद थी। ऐसा हो ही नहीं सकता कि लव मैरिज हो और सब सहमत हों। यहाँ पर भी यही हुआ। अब दिक्कत थी तो सुमन के पापा की ओर से। उन्हे इंटर कास्ट मैरिज से परेशानी थी। अब हम सब इस प्रॉब्लम का सोल्युशन ढूंढने में लगे हुए हैं।
सुमन -अमन ,अगर पापा ने मेरी शादी कहीं और करवा दी तो ?
प्राची -सुमन ,ज़रा अच्छा सोच। जब भी बोलेगी तो सिर्फ उल्टा ही बोलेगी।
नेहा -तुम दोनों कोर्ट मैरिज कर लो। फिर सुमन के पापा को मानना ही पड़ेगा।
सलिल -वैसे अब यही रास्ता बचा है।
मैं -ये तो कोई उपाय नहीं है। इससे अंकल (सुमन के पापा ) को कितनी ठेस लगेगी कभी सोचा है ?
अमन -तो फिर अब हम क्या करें ? सुमन के पापा तो मुझसे एक बार मिलना भी नहीं चाहते।
मैं -एक इंसान है जो हमारी मदद कर सकता है।
सब मिलकर पूछते हैं -कौन ?
मैं -भाभी। वही एक हैं जो सुमन के पापा (अंकल ) को मना सकती हैं। बस आप सब कल मेरे घर आ जाना। और सुमन तुम अंकल को लेकर मेरे घर आ जाना।
सुमन - चाहत ,पर मैं पापा को तेरे घर किस बहाने से लेकर आऊं।
मैं -तुम अंकल को बोल देना कल मेरे घर पूजा है। तो हमने कल तेरी पूरी फॅमिली को invite किया है।
शिव भैया -चीनू ,कल कौन सी पूजा है। भाभी ने मुझे तो नहीं बताया।
मैं -कल माँ का जन्मदिन है। उनकी याद में हर साल हम पूजा रखवाते हैं।
नेहा -ये सही आईडिया है वर्क करेगा।
मैं -तो कल सब मेरे घर पर मिलेंगे। (सब ने अपनी सहमति दी )
घर आकर मैंने भैया -भाभी को सारी बात बताई। साथ में ये भी बताया कि मैंने सब को पूजा के लिए invite किया है। भैया -भाभी ने भी मदद का आश्वासन दिया।
आज सुबह से ही हम पूजा की तैयारियों में लगे हुए हैं। शिव भैया और उनके पेरेंट्स भी हमारी मदद करने में लगे हुए हैं। तभी सलिल और प्राची ,नेहा और अमन के साथ घर में घुसे।
शिव भैया -आओ ! तुम ठीक टाइम पर आए हो। मैं तुम्हे सब से मिलवाता हूँ। सलिल और प्राची तुम मेरे पेरेंट्स को तो जानते ही हो। (फिर राघव भैया और भाभी की और इशारा करते हुए ) ये चीनू के भैया -भाभी हैं।
सलिल ,प्राची ,अमन और नेहा भैया -भाभी को नमस्ते बोलते हैं।
भाभी -नमस्ते ! आज मैं बहुत खुश हूँ। पहली बार चीनू के दोस्त घर आए हैं।
नेहा -हाँ भाभी। ये बुलाती ही नहीं वरना मैं तो रोज ही आऊं।
भाभी -आप सब का घर है जब मन हो आ जाना।
तभी सुमन अपने माँ -पापा के साथ आ जाती है। मैं सबका परिचय आपस में करवाती हूँ। उसके बाद पंडित जी के आते ही पूजा शुरू की जाती है। सब पूजा में बैठते हैं। एक घंटे में पूजा संपन्न हो जाती है। पंडित जी दकिश्ना ले कर चले जाते हैं। मैं और भाभी मिलकर सबके लिए नाश्ता लगाते हैं। नाश्ता करने के बाद हम सब हॉल में बैठे भाभी के खाने की तारीफ कर रहे हैं। तभी शिव भैया के पापा (शांतनु अंकल ) विषय को बदलते हुए कहते हैं -और मिश्रा जी(सुमन के पापा ) आपने बेटी के लिए कोई लड़का देखा है क्या ?
मिश्रा अंकल -जी ,बस देख रहे हैं।
भाभी -अंकल जो सुमन ने अपने लिए चुना है उसमे क्या बुराई है ?
मिश्रा अंकल -बेटी। वो हमारी जाति का नहीं है। समाज क्या कहेगा अगर बेटी की शादी दूसरी जाति में कर दी तो ?
भाभी -अंकल। समाज का तो काम ही कहना है। फिर आप क्यों दुसरों के लिए अपनी बेटी की ख़ुशी कुचल रहे हो ? आप सुमन की शादी उसकी पसंद से करवा दीजिये। यकीन मानिये वो खुश रहेगी।
मिश्रा अंकल -ये सब कहने में ही अच्छा लगता है। लेकिन समाज के नियम निभाने तो पड़ते हैं। हमारा समाज इंटर कास्ट मैरिज को कहाँ अपनाता है ?
भाभी - समाज को एक तरफ रखकर आप एक बार सुमन की ख़ुशी के बारे में सोचिये।
राघव भैया -अंकल। मेरी और रिया की लव मैरिज हुई थी। देखो आज हम साथ में कितने खुश हैं।
भाभी -अंकल। मैं तो अनाथ आश्रम में पली -बड़ी थी। मुझे तो अपनी जाति क्या धर्म का भी पता नहीं था। फिर भी राघव और उसके परिवार ने मुझे बिना किसी शिकायत के अपनाया।
ऑन्टी (सुमन की माँ )-जी। ये सही ही तो कह रहे हैं। हमारे लिए तो बेटी की ख़ुशी ही मायने रखती है। आप एक बार लड़के से मिल तो लीजिये।
फिर हम सब दोस्तों ने अंकल से रिक्वेस्ट की। तभी भाभी कहती हैं -अंकल। समाज तो तब भी कुछ ना कुछ कहेगा जब आप अपनी ही जाति में सुमन की शादी कर देंगे। लोगों का काम ही कहना है।
मिश्रा अंकल -(सुमन की ओर देखते हुए )ठीक है। कल मैं लड़के से मिलूंगा। अब सब खुश।
नेहा -अंकल कल क्यों ? अभी मिल लो। (अमन की ओर इशारा करते हुए )
मिश्रा अंकल -क्या ? अमन ही सुमन की पसंद है ?
हम सब ज़ोर से हाँ में जवाब देते हैं। फिर कुछ देर सुमन और उसके पेरेंट्स को अकेले बात करने देते हैं। कुछ देर बात अंकल अपनी सहमति सुमन और अमन के प्यार को दे देते हैं। सिर्फ इस शर्त्त पर कि शादी अमन की जॉब लगने के बाद होगी। हम सब बहुत खुश हुए। सुमन ने तो भाभी को ख़ुशी के मारे गले ही लगा लिया। फिर कुछ ही समय बाद सब अपने घर चले गए।
आज की सुबह कुछ ज्यादा ही सुहानी लग रही है। आसमान साफ़ नीले रंग का ,पेड़ो पर हरियाली, पक्षियों का कलरव। मार्च की मीठी -मीठी ठण्ड बड़ी रोमांचक लग रही है। इंसान कितना भी अपनी ज़िन्दगी में अचीव क्यों न कर ले लेकिन जो सुख parkrti की गोद में है वो भौतिक वस्तुओं में कहाँ। तभी फ़ोन की आवाज़ आती है।
मैं -(फ़ोन उठाते हुए ) हेलो !सुमन।
सुमन -हेलो चाहत। गुड मॉर्निंग !
मैं -गुड मॉर्निंग !और बता इतनी सुबह कॉल कैसे किया ?
सुमन -तुम जल्दी से कॉलेज आ जाओ।
मैं -क्या हुआ ? कोई प्रॉब्लम है क्या ?
सुमन -सब ठीक है। मैंने सबको बुलाया है। जल्दी आना।
मैं -ओके !(ये कहकर मैंने फ़ोन रख दिया )
मैं जल्दी से तैयार होकर नाश्ता कम्पलीट करके कॉलेज पहुंची। मेरे अलावा सब पहले से ही मौजूद थे। मैं भी सबके पास जाकर बैठ गयी। (तभी कॉफी आती है। हम सब कॉफी लेते हैं। )
मैं -क्या हुआ सुमन ? क्यों बुलाया है सबको ?
सुमन -एक गुड न्यूज़ देनी है सबको।
नेहा -क्या बात कर रही है सुमन अभी से ?
सुमन -(नेहा को कोहनी मारते हुए ) इडियट पूरी बात सुन तो लो।
मैं -हाँ ! बताओ।
सुमन -कल पापा अमन की फेेमिली से मिले थे। सब ने मिलकर हमारी सगाई एक महीने बाद एग्जाम होते ही तय की है।
प्राची -वाह ! CONGO !
नेहा -तेरी तो लाटरी लग गयी।
मैं -वाह सुमन ! ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है।
सुमन -हाँ चाहत ,ये तुम सब की वजह से संभव हुआ है।
मैं -दोस्तों का काम ही होता है अपने दोस्तों की मदद करना। सो चिल कर।
सलिल -भाई अमन BADAHI हो तुम्हे और सुमन भाभी को।
शिव भैया -हाँ भाई। तुमने तो जंग जीत ही ली आखिरकार।
अमन -थैंक्स !
(मैंने देखा नेहा कुछ सोच रही है। )
मैं -नेहा ,क्या हुआ ?
नेहा -यार आज हॉस्टल बंध हो जायेगा एक वीक के लिए होली की वजह से । मैं घर भी नहीं जा सकती क्यूंकि 20 दिन बाद एग्जाम हैं। तुम मेरे लिए कोई रहने की जगह ढूंढो ना।
मैं -बस इतनी सी बात। तुम मेरे घर आकर रहो।
नेहा -पर मैं कैसे ?
मैं -कोई पर -वर नहीं। भाभी कितना खुश होंगी तेरे आने से सोच जरा ?
शिव भैया -हां नेहा, चीनू सही कह रही है।
नेहा -ठीक है।
अब हम उठ कर जाने ही वाले थे कि सलिल ने सबको रुकने के लिए कहा।
शिव भैया -क्या हुआ सलिल ?
सलिल -मुझे आप सब को मेरे घर आने के लिए invite करना है।
नेहा -पर किसलिए ?
सलिल -होली की पार्टी के लिए। आप सब को अपनी फेेमिली के साथ आना है।
प्राची -हाँ ! दादाजी ने सबको बुलाया है।
हम सब आने के लिए बोलकर अपनी -अपनी क्लास में चल पड़े।