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चाहत

"ओ रे पिया रे उड़ने लगा मन बावरा रे........." गाना म्यूजिक प्ले पर बज रहा है,और मैं इस गाने पर ज़ूम -ज़ूम कर डांस कर रही हूँ | तभी रूम में कोई आता है और म्यूजिक ऑफ कर देता है और आवाज़ आती है चाहत बहुत कर लिया डांस अब फ्रेश हो के आ जाओ ब्रेकफास्ट कर लो तुम्हारे भैया कब से वेट कर रहे है तुम्हारा ?

मैं -भाभी , डांस करने दो ना प्लीज !

रिया भाभी - नहीं बिलकुल नहीं , बहुत हुआ तुम्हे कॉलेज एडमिशन के लिए भी जाना है सो जल्दी करो नहीं तो फिर लेट हो जाओगी |

(भाभी चली जाती है और मैं नहाने वॉशरुम में घुस जाती हूं )

(भैया नाश्ते पर बैठे हैं, भाभी परोस रही हैं ,तभी मैं आती हूँ सॉरी थोड़ा लेट हो गया अब जल्दी नाश्ता दो भाभी नहीं तो लेट हो जाउंगी )

भाभी - अच्छा जी ,कल से डांस थोड़ा कम किया करो |

भैया - ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि मेरी गुड़िया डांस का टाइम कम कर दे वैसे भी अब तो मुझे आदत हो गयी है गुड़िया का इंतज़ार करने की | जब तक इंतज़ार ना करूँ मेरा दिन ही शुरू नहीं होता |

मैं -भैया आप मुझे चिड़ा रहे हो ना,देखो ना भाभी |

भाभी -बस अब नाश्ता खत्म करो और आप हॉस्पिटल जाइये अब आपको लेट नहीं हो रहा ?

भैया -जो हुकुम मेरे आका !

मैं -भाभी , मैं कॉलेज बस से चली जाउंगी दोपहर तक शायद एडमिशन की फॉर्मैलिटी हो जाएँगी |

भैया -गुड़िया तुम अपनी स्कूटी क्यों नहीं ले जाती ?

मैं- भैया ,आज तो मैं रास्ता अच्छे से देख लूँ | फिर कल से ले जाउंगी |

भैया -अच्छा ! कोई दिक्कत हो तो शिव से बात कर लेना वो कॉलेज में ही होगा |

मैं -जी भैया |

भैया -ok मैं अभी हॉस्पिटल के लिए निकलता हूँ | bye !

(भैया घर से निकल गए हैं ,और मैं भी बस स्टैंड के लिए निकल गयी | )

मैं जैसे ही बस स्टैंड पहुंची बस आ गयी और मैं बस में बैठ गयी | खिड़की से बाहर देखते हुए मैंने सोचा दो महीने पहले तक हम इस शहर से अनजान थे | और अब देखो यह भीड़ -भाड़ से भरी दिल्ली कितनी अपनी लगती है | फिर मन उन पुरानी यादों में खो गया कैसे माँ -पापा ,भैया -भाभी ,और मैं कितने खुश थे अपने करनाल में | फिर वक़्त को हमारी खुशिओं से ऐसी जलन हुई कि पहले पापा चले गए | हम अपने दुःख को भूलने ही लगे थे की ईश्वर ने माँ को भी हमसे छीन लिया | अब हम तीनो अनाथ हो गए थे | भैया ने हिम्मत करके मुझे और भाभी को संभाला |

भैया ने हमारे जीवन में बदलाव के उद्देशय से अपना ट्रांसफर दिल्ली में करवा लिया | हम दिल्ली आ गए | भैया और भाभी मुझे अपनी पलकों पे रखते हैं | कभी -कभी सोचती हूँ ईश्वर इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है कि पहले उसने इतनी जल्दी हमसे हमारे बड़ो को छीन लिया और भाभी की गोद में सात साल होने पर भी कोई फूल नहीं खिल सका | भाभी कभी दिखाती नहीं हैं पर मुझे पता है वो अंदर ही अंदर टूट गयी हैं | जब कोई भैया -भाभी से उनके बच्चे के बारे में पूछता है तो वो गर्व से कहते हैं हमारी 22 साल की बेटी है चाहत |

(कंडक्टर की आवाज़ आती है मैडम आपका स्टेशन आ गया है | तो मैं अपने ख्यालो से बाहर आकर बस से उतरती हूँ | )

सामने की तरफ देखने पर कॉलेज दिखाई दिया | तो मुँह से निकल गया तो यह है बी.न. कॉलेज ऑफ़ मार्केटिंग एंड बिज़नेस मैनेजमेंट | not bad |

फिर मैं अंदर जाकर एडमिशन सेल में अपने डॉक्यूमेंट वेरीफाई करवा कर फीस जमा करवा देती हूँ | और घर के लिए निकल आती हूँ | आते वक़्त सोच ही रही थी की मेरा एडमिशन तो दो महीने लेट हुआ है | सिलेबस कवर करने में प्रॉब्लम तो होगी फिर सोचा शिव भैया हेल्प कर देंगे | घर पहुंचने पर भाभी बड़ा खुश हुई कि मेरा एडमिशन इतना जल्दी हो गया | फिर शाम तक मैंने और भाभी ने ढेर सारी बातें की |

(भैया हॉस्पिटल से आ चुके हैं | हम लोगो ने डिनर कर लिया है | अब हम हॉल में बैठ कर बातें कर रहे हैं | )

भैया -गुड़िया ,अब कल तुम नए कॉलेज जाओगी | नए दोस्त बनाना ,खूब मस्ती करना |

मैं -क्या भैया ? आप भी |

भाभी -ठीक ही तो कह रहे हैं | देख चीनू तू पढ़ने में बेजोड़ है | हमेशा फर्स्ट रैंक होती है तेरी | पर हम चाहते हैं तू दोस्त बना | यही तो समय है ज़िंदगी को नए नजरिये से देखने का |

भैया -हाँ ! देख अब तू एम.बी.ए. के फर्स्ट ईयर में है | यही दो साल तो हैं तेरे पास अपनी ज़िंदगी जीने के |

मैं -दो साल ही क्यों ?

भैया -पगली फिर तू जॉब के पीछे भागेगी |

मैं -ये तो है |

भाभी -राघव ,चलिए सब सोते हैं | कल चीनू का पहला दिन है कॉलेज में | उसे जल्दी उठना भी होगा |

(हम सब सोने चले जाते हैं | )

मैं ऊपर अपने रूम में आ जाती हूँ | और बेड पर बैठ कर सोचती हूँ पता नहीं कल कॉलेज में क्या होगा | अब ग्रेजुएशन कम्पलीट होने तक तो कभी दोस्तों की जरुरत ही नहीं महसूस हुई | फॅमिली ही मेरी दुनिया थी | अब भी नहीं किसी की जरूरत मुझे अपनी लाइफ में | भैया और भाभी ही काफी है मेरे लिए | फिर म्यूजिक ON किया और लेट गयी |

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