चाहत - 6 sajal singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चाहत - 6

पार्ट -6

अब तक हमने देखा कि सलिल अपने प्यार का इज़हार चाहत से कर देता है। ये सुनकर चाहत सदमें में है। अब आगे -

किसी ने ठीक ही कहा है कि अनएक्सपेक्टेड इंसिडेंट सहने की क्षमता हर किसी में नहीं होती। मेरे साथ भी यही हो रहा है। सलिल की बाते सोच -सोच कर मैं पागल हुए जा रही हूँ।

मैं -(खुद से ही ) अब क्या करूँ ? कैसे सब दोस्तों को बताऊँ ? और नेहा ने तो पहले ही इस बारे में बताया था। मेरा सर फटा जा रहा है। कुछ भी समझ नहीं आ रहा। पहले सो जाती हूँ थोड़ी देर | फिर कुछ सोचूंगी। (अपना मुँह साफ़ किया जो सलिल ने रंग दिया था और बिस्तर में घुस गयी। ) थोड़ी देर बाद सोकर उठी तो भैया -भाभी आ चुके थे। वो मेरे पास बैठे हैं।

भाभी -चीनू ,अब तेरी तबियत ठीक है ना ?

मैं -हाँ भाभी। मैं ठीक हूँ।

भैया -ठीक है गुड़िया। फ्रेश होकर आ जाओ हम साथ में डिनर करेंगे। और हाँ शिव का फ़ोन आया था वो लोग थोड़ा लेट आएंगे।

मैं -जी भैया।

(मैं फ्रेश होकर डिनर के लिए गयी और हमने ढेर सारी बातें की। उसके बाद मैं नेहा का इंतज़ार करते -करते ना जाने कब सो गयी। )

सुबह ब्रेकफास्ट पर नेहा मिली तो मैंने पूछा -और नेहा ,तुम्हारी होली पार्टी कैसी रही ? (इसी बीच भैया हॉस्पिटल के लिए चले गए और भाभी किचन में )

नेहा -तुम तो आयी नहीं ,पर हम सब ने बहुत एन्जॉय किया। और हाँ। प्राची तुम्हारे ना जाने से गुस्से मे है।

मैं -मैं प्राची से फ़ोन पर सॉरी बोल दूंगी।

नेहा -तुझे पता है प्राची की फैमिली कितनी अमीर है ? उनका टेक्सटाइल का बिज़नेस है। फिर भी सब लोग इतने सिंपल। स्पेशली प्राची के दादा जी।

मैं -अच्छा ! ये तो अच्छी बात है। और सुमन ने तो अमन के साथ बड़े चाव से होली खेली होगी ?

नेहा -हाँ। सब ने बहुत एन्जॉय किया पर....

मैं -पर क्या ?

नेहा -पता नहीं बीच में सलिल कहीं गायब हो गया था। और जब लौट कर आया तो बहुत खुश था।

मैं -(मन ही मन ) अब इसे क्या बताऊँ कि वो यहाँ आया था मेरा सर खाने।

नेहा -चाहत कहाँ खो गयी ?

मैं -वो .......वो (आगे कुछ कहती इससे पहले किचन से ज़ोर की आवाज़ आयी। )

हम दोनों भागकर किचन में गए देखा तो भाभी फर्श पर बेहोश पड़ी हैं। हमें समझ नहीं आ रहा क्या करें ?

मैं -नेहा ,जल्दी से भैया को फ़ोन मिला।

नेहा -ओके !(फ़ोन रखकर ) मैंने भैया को सब बता दिया है। भैया आ रहे हैं।

मैं भाभी के मुँह पर पानी डाल रही हूँ पर उन्हें होश नहीं आ रहा।

मैं -नेहा जल्दी से शिव भैया की मम्मी को बुलाकर ला।

नेहा जल्दी से भागी और अंकल -ऑन्टी ,शिव भैया के साथ आ पहुंचे।

आंटी -क्या हुआ रिया को ?

मैं -पता नहीं।

अंकल -तुम चिंता मत करो। अपने मोहल्ले में एक डॉक्टर है मैं उसे बुलाकर लाता हूँ। (ये कह कर अंकल चले गए। )

(हमने और शिव भैया ने भाभी को किचन से उठाकर बेड पर लेटा दिया है। अंकल एक फीमेल डॉक्टर को ले आये हैं। वो भाभी को चेक कर रही हैं। राघव भैया भी आ गए हैं। आंटी मुझे तस्सली दिए जा रही हैं। तभी डॉक्टर बाहर आती है। )

राघव भैया -डॉक्टर ,रिया ठीक तो है ना ?

डॉक्टर -हाँ ! वो बिलकुल ठीक है।

मैं -पर वो बेहोश क्यों हुई ?

डॉक्टर -ऐसी हालत में ये सब होता रहता है।

मैं -मतलब ?

डॉक्टर -मतलब तुम्हारी भाभी माँ बनने वाली हैं।

राघव -डॉक्टर सच ??

मैं - (ख़ुशी से ) सच में मैं बुआ बनने वाली हूँ ?

डॉक्टर -हाँ। रिया दो महीने से गर्भवती है। वो और उसका बच्चा दोनों ठीक हैं। (अच्छा अब मुझे चलना चाइये )

हम सब ख़ुशी के मारे एक -दूसरे की ओर नम आँखों से देखे जा रहे हैं। (तभी अंकल डॉक्टर को बाहर छोड़ कर वापस आ गए )मैं राघव भैया के गले लग जाती हूँ। फिर हम सब अंदर भाभी के पास जाते हैं।

भाभी -(आँखे खोलते हुए ) क्या हुआ मुझे ?

आंटी -हुआ नहीं होने वाला है।

भाभी -जी ??????

आंटी -तुम माँ बनने वाली हो बेटा।

भाभी -(भैया की ओर देखते हुए ) क्या ये सच है ?

भैया -हाँ। हम माता -पिता बनने वाले हैं। (भाभी की आँखों से आंसू बहने लगते हैं। )

मैं -(भाभी के आंसू पोंछते हुए ) अब आप बिलकुल नहीं रोयेंगी। आप ने सात सालों में बहुत आंसू बहा लिए।

भाभी -अब मैं नहीं रोउंगी। अब मैं दोबारा माँ जो बन रही हूँ। ईश्वर ने एक बार तो तुम्हें मेरी झोली में डाला था। tumahre होते हुए मुझे कभी बच्चे की कमी मह्सूस ही नहीं हुई। अब मैं चाहती हूँ आने वाला बच्चा tumahri परछाई हो।

राघव भैया -बिलकुल ऐसा ही होगा।

शिव भैया -अब तो मेरा भी प्रमोशन हो गया है मैं चाचू बनने वाला हूँ। (भैया की बात सुन कर सब ज़ोर से हँसते हैं। )

आंटी -हाँ भाई। हम भी तो दादा -दादी बनने वाले हैं।

नेहा -और मैं बुआ।

राघव भैया -अच्छा। अब हमें रिया को आराम करने देना चाइये। (फिर हम सब बाहर आ गए। )

हम सबके ख़ुशी के मारे पैर जमीन पर ही नहीं पढ़ रहे। आंटी भाभी को समझाये जा रही हैं ऐसी हालत में क्या करना है और क्या नहीं। भैया ने भाभी की मदद के लिए एक मेड को काम पर रखा है। मैं और नेहा ऑनलाइन टॉयज आर्डर करने में लगे हुए हैं। इन सब में हम एक चीज भूल गए थे वो थी अपने दोस्तों को ये गुड न्यूज़ देना।

मैं -नेहा ,मैं सब दोस्तों को फ़ोन कर न्यूज़ शेयर करती हूँ।

नेहा -हाँ। तू बता दे तब तक मैं भाभी के पास जा कर बैठती हूँ। (नेहा चली गयी )

मैं -(सुमन को फ़ोन लगाते हुए ) हेलो सुमन !

सुमन -हेलो !हमें आज कैसे याद किया ?

मैं -गुड न्यूज़ थी। मैं बुआ बनने वाली हूँ।

सुमन -वाह !ये तो सच में गुड न्यूज़ है।

मैं -सुन तू अमन को भी बता देना।

सुमन -ओके !बता दूंगी।

मैं -(चल ठीक है फिर मिलते हैं ) bye !(कहकर मैंने फ़ोन काट दिया। अब प्राची को कॉल लगाते हुए ) ये क्या उसका फ़ोन स्विच ऑफ है। कोई न घर वाले नंबर पर मिलाती हूँ। (लैंडलाइन पर रिंग जा रही थी किसी ने फ़ोन उठाया ) हेलो ! मैं चाहत बोल रही हूँ।

सामने से आवाज़ आती है -मुझे पता है तुम हो बताने की ज़रूरत नहीं है।

मैं -(ये तो सलिल की आवाज़ है ) आप ?

सलिल -हाँ मैं। वैसे तुमने मुझे कॉल किया मुझे अच्छा लगा।

मैं -मैंने प्राची को कॉल किया है। उससे बात करनी है।

सलिल -वो घर पर नहीं है तुम मुझे बता सकती हो अगर कुछ ज़रूरी हो।

मैं -आप प्राची को बता देना कि मेरी भाभी माँ बनने वाली हैं। और मैं बुआ।

सलिल - (हँसते हुए )और मैं फूफा !वाह ! what a ग्रेट न्यूज़ ?

मैं -क्या कहा आपने ?

सलिल -बुआ का पति फूफा ही होता है।

मैं -अपनी बकवास बंध कीजिये। (ये कह कर मैंने फ़ोन काट दिया ) और सोचा ये तो पीछे ही पड़ गया। खैर ,कोई ना बस एग्जाम होते ही ये passout हो जायेगा मेरी जान छूटेगी इस विश्वामित्र से।

वक़्त अपनी गति तय कर रहा था और हम हमारी दिशा में आगे बढ़ रहे थे। 6 महीने बीत गए थे इन् 6 महीनों में मैंने और भैया ने मिलकर भाभी का खूब ख्याल रखा। शिव भैया और उनके पेरेंट्स भी भाभी की खूब केयर करते थे। आंटी तो बच्चे के आने की ख़ुशी में हर वक़्त कुछ ना कुछ इंतज़ाम करती रहती थी। प्राची ,नेहा ,और सुमन तीनो वक़्त मिलते ही भाभी के पास आती और ढेर सारी बातें करती। भाभी भी खूब एन्जॉय करती सबका साथ।

दूसरी ओर हम सब फ्रेंड्स फाइनल ईयर में हो गए थे। मैंने फर्स्ट ईयर में टॉप किया था। अब हम अपने लास्ट सेमेस्टर में हैं। शिव भैया ,सलिल और अमन passout हो चुके हैं। सलिल ने अपना फॅमिली बिज़नेस ज्वाइन कर लिया है। शिव भैया और अमन भी सलिल की ही कंपनी ज्वाइन किये हैं। अमन की जॉब के बाद सुमन और अमन की सगाई हो चुकी है। प्राची और शिव भैया ने अपने प्यार के बार्रे में सबको बता दिया है किसी को कोई आपत्ति नहीं है। अब उन दोनों की सगाई है। मैं और नेहा अपनी स्टडी में बिजी हैं। इस दौरान मैंने सलिल को खूब इग्नोर किया है। वो जब भी बात करने की कोशिस करता मैं नेहा को ढाल बना लेती। अब उसके दिमाग से प्यार का बुखार उतर गया या बाकी है मैं कह नहीं सकती।

आज शिव भैया की सगाई है प्राची के साथ। सारी तैयारी हो चुकी हैं। अंकल और आंटी ने घर को बड़े अच्छे से सजाया है। शिव भैया की दादी भी गांव से आयी हुई हैं। दादी भी हम सब को बड़ा मानती हैं। मैंने पीच कलर का लहंगा पहना हुआ है और बालों की चोटी बनायीं हुई है ,माथे पे छोटी सी बिंदी ,कानों में छोटे -छोटे मैचिंग झुमके पहने हुए हैं। मैं नेहा का वेट कर रही हूँ पर वो अब तक आयी नहीं है।

भाभी -चीनू ,बालों को खुले रखती तो और सुन्दर लगती।

दादी -नहीं बेटा। बंधे बालों में भी परी जैसी लग रही हो। खुले बालों में परेशान हो जाओगी।

मैं -जी दादी। (नेहा ,सुमन और अमन के साथ आती है और सब से मिलती है। )

नेहा -(मुझे एक कोने में ले जाते हुए ) चाहत ,आज तो तू लहंगे में कहर ढा रही है।

मैं -चल हट। कुछ भी।

नेहा -देखना ,आज तुझे किसी ना किसी की नज़र ज़रूर लगेगी। काला टीका लगा ले।

मैं -मैं इन सब बातों को नहीं मानती।

नेहा -ठीक है। (तभी प्राची की पूरी फॅमिली आ जाती है। सब आपस में कुशल -मंगल पूछते हैं। ) चल हम भी प्राची की फॅमिली से मिलते हैं। ( ये कहकर नेहा मुझे अपने साथ ले जाती है )

आंटी (शिव भैया की माँ )-(प्राची की फॅमिली से ) आप सब से तो मिल चुके हैं। बस हमारी बेटी से मिलना बाकी है। (मेरी ओर इशारा करते हुए ) ये है चाहत शिव की बहन।

मैं -(हाथ जोड़ते हुए ) नमस्ते अंकल ,नमस्ते ऑन्टी !

अंकल (प्राची के पापा )-खुश रहो बेटा।

आंटी (प्राची की माँ )-हमेशा खुश रहो। (मेरे पास आकर मेरा सर सहलाते हुए ) बड़ी प्यारी लग रही हो।

मैं -थैंक्स आंटी ! ( तभी मैंने प्राची को देखा। प्राची लहंगे में बड़ी प्यारी लग रही है मैचिंग jewellary के साथ। ) प्राची ,u लुकिंग beautiful !

प्राची -थैंक्स !

आंटी (शिव भैया की माँ )-चीनू सब आ गए हैं बस सलिल और उसके दादाजी अभी रास्ते में हैं। हम सब अंदर जाते हैं तुम उनका यहाँ वेट करो और जैसे ही आयें उन्हें अंदर ले आना। (सब अंदर चले गए मुझे पहरेदारी देकर। नेहा और सुमन भी प्राची के साथ अंदर चली गयी। मैंने खुद को ही समझाया ,अब दूल्हे की बहन हूँ काम तो करना ही पड़ेगा। )

(अब एक गाड़ी आ कर रुकी उसमे से एक करीब सत्तर साल का बूढ़ा निकला। दिखने में पूरा फिट अच्छे से सूट -बूट पहने हुए, हाथ में छड़ी लिए हुए। वो दरवाजे की तरफ आ ही रहे हैं उनके जस्ट बगल में सलिल चल रहा है। उसने गोल्डन कलर का कुरता पहना हुआ है। ) मेरे पास पहुंचकर सलिल ने कहा -दादा जी ये चाहत है शिव की बहन।

मैं -(उनके पैर छूते हुए ) प्रणाम दादाजी !

दादाजी -खुश रहो बेटा ! वैसे हमारे यहाँ बेटियाँ पैर नहीं छूती।

सलिल (मेरी और देखते हुए ) हाँ पर बहू छू सकती है।

मैं -जी ?????

सलिल -हाँ। ये हमारे यहाँ का रिवाज़ है कि बहू पैर छू सकती हैं बेटियां नहीं।

दादाजी -बेटा। ये तो ऐसे ही सबको तंग करता रहता है। इसकी बातों पर ध्यान मत दो। वैसे मैं भी तुमसे मिलना चाहता था। प्राची बड़ी तारीफ करती है तुम्हारी।

सलिल -(ताना मारते हुए ) पर दादू ये मैडम किसी से नहीं मिलना चाहती।

दादाजी -सलिल ,चाहत को तंग मत करो।

मैं -आप लोग अंदर चलिए। सब आप का इंतज़ार कर रहें हैं। (दादाजी अंदर की ओर चल दिए मैं भी जाने ही लगी थी कि सलिल ने मेरा हाथ पकड़ लिया )

सलिल -कब तक इग्नोर करोगी ?

मैं -आपने मेरा हाथ क्यों पकड़ा है ?

सलिल -अभी तो बस कुछ बताने के लिए पकड़ा है।

मैं -क्या ?

सलिल -(थोड़ा सा झुक कर मेरे कान के पास अपना मुँह लाते हुए ) बहुत सुन्दर लग रही हो ! बिलकुल वैसी जैसा मैंने सोचा था।

मैं -(एक तो सलिल के इतना पास होने से बड़ी अज़ीब सी फीलिंग थी मन में ) आप मुझे छोड़िये। सब वेट कर रहे हैं आपका।

सलिल -(मेरा हाथ छोड़कर ) छोड़ दिया। (ये कहकर अंदर चला गया )