पार्ट -3
शाम को डिनर के बाद मैंने भैया और भाभी को अपने कॉलेज में फर्स्ट डे के बारे में बताया | साथ में नेहा और सुमन के बारे में भी बताया | ये भी बताया कि वो कितनी supportive हैं | ये सुन कर भैया -भाभी बहुत खुश हुए ,कि मुझे दोस्त मिल गए हैं कॉलेज में |
भाभी -ये हुई ना बात | कॉलेज के दोस्तों की तो बात ही अलग है |
मैं -अच्छा भाभी ,मैं रूम में जा रही हूँ | मुझे नोट्स कवर करने हैं | गुड नाईट |
भाभी -गुड नाईट !टाइम से सो जाना |
फिर मैंने रूम में आकर नोट्स बनाये | बेड पर लेटे -लेटे मैं नेहा और सुमन के बारे में सोचने लगी कि कितनी जल्दी वो दोनों मुझे अपनी सी लगी | सोचते -सोचते ना जाने कब नींद ने मुझे अपने आगोश में ले लिया | फिर तो मॉर्निंग अलार्म से ही नींद खुली | सोना मुझे बहुत पसंद है पर मैं टाइम से उठना ही पसंद करती हूँ | अलार्म ऑफ करके म्यूजिक ऑन किया ,और फिर अपना डांस स्टार्ट किया | मेरी सुबह डांस से ही शुरू होती है | डांस करने के बाद कॉलेज के लिए तैयार हुई और नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल गयी |
मैं अपनी स्कूटी पार्क करके क्लास के लिए जा ही रही थी कि मुझे किसी ने आवाज़ दी | पीछे मुड़ कर देखा तो शिव भैया अपने दोस्तों के साथ ऑडिटोरियम की स्टेप्स पर बैठे थे | मैं उनकी तरफ चल दी |
मैं -जी भैया ,आपने बुलाया मुझे ?
शिव भैया -चीनू ,आ तुझे मैं अपने दोस्तों से मिलवाता हूँ | भैया दोनों से कहते हैं ये है मेरी बहन चाहत | एक लड़की की ओर इशारा करते हुए ये प्राची है | ये तेरी ही क्लास में है |
(मैंने उस लड़की की और देखा | प्राची देखने में एकदम बार्बी डॉल जैसी क्यूट )
मैं -(हाथ बढ़ाते हुए )हेलो प्राची !
प्राची -(हाथ मिलाते हुए )हेलो !तो तुम हो शिव की बहन | बड़ी तारीफ़ करता है तुम्हारी शिव |
मैं -i hope अच्छी बातें ही करते होंगे मेरे बारे में !
शिव भैया -चीनू ,(एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए। लड़का देखने में ही रईस,6 फ़ीट हाइट, गोरा रंग कुल मिलाकर किसी भी लड़की का मिस्टर परफेक्ट | )ये है सलिल | मेरा जिगरी यार |
मैं -हेलो !
सलिल -हेलो ! nice to meet u !
मैं -(मन ही मन ये तो वही आवाज़ है जो लाइब्रेरी के बाहर कल सुनी थी )मुझे भी आप दोनों से मिलकर अच्छा लगा |
अच्छा शिव भैया मैं अब क्लास के लिए चलती हूँ | आप से बाद में मिलती हूँ | फिर मैं और प्राची क्लास के लिए चल पढ़े | आज मैं और प्राची एक ही बेंच पर बैठे | क्लास ऑफ होने के बाद नेहा और सुमन हमारे पास आए और उन्होंने कैंटीन जाने के लिए पूछा | हम सब कैंटीन में गप्पे मार रहे थे | तभी शिव भैया अपने दोस्त के साथ कैंटीन में आए पर वो अलग ही टेबल पर बैठे | (प्राची भी उनके पास जाकर बैठ गयी )
मैं -नेहा ,सुमन ,वो जो सामने लड़का बैठा है ना , प्राची के पास वो मेरा बड़ा भाई है | वो हमारे बगल वाले घर में रहते हैं | अभी कुछ महीनों पहले उन्होंने मुझे बहन माना है |
सुमन -कौन सा। वो वाइट शर्ट वाला |
मैं -नहीं ग्रे वाले | शिव भैया |
सुमन -मैंने सोचा वो हैंडसम तेरा भाई है | अगर वो तेरा भाई होता तो तुम मुझे अपनी भाभी बना लेती काश !
मैं -पर वो तो भैया के दोस्त हैं सलिल | भैया ने आज सुबह ही मिलवाया था | उनसे और प्राची से |
नेहा -क्या तू उस लड़के से मिली ?
मैं -हाँ !
सुमन -तू मुझे चुटी काट नेहा ! मुझे यकीन नहीं हो रहा |
मैं - पर तुम दोनों ऐसे बात क्यों कर रही हो ?
नेहा -वो लड़का सलिल जैसवाल है | topper है ,स्पोर्ट्स में भी बेस्ट ,स्मार्ट तो है ही | पर लड़कियों से दूर रहता है | उसे सब विश्वामित्र कहते हैं | हमारी सुमन कब से try कर रही है उससे बात करने की पर अफ़सोस बेचारी को सफलता नहीं मिली | उसने तुजसे बात की हम दोनों को यकीन नहीं हो रहा |
सुमन -वाह यार चाहत ! यू आर लकी !
मैं- (सलिल की और देखते हुए ) इसमें लकी वाली क्या बात है ? देखो ! वो प्राची से बात कर रहा है |
सुमन -हाँ ! उससे तो बात करेगा ही वो उसकी बहन जो है |
मैं -क्या ?
नेहा -हाँ ! वो दोनों भाई -बहन हैं | अच्छी -खासी अमीर फॅमिली से हैं |
सुमन -यार ,मैं तो उस पे फ़िदा हूँ | पर उसने तो आज तक मेरी तरफ देखा भी नहीं |
नेहा -ड्रामा बंध कर सुमन | चल नेक्स्ट क्लास के लिए चलते हैं |
(फिर हम सब क्लास के लिए चले गए | )
सच में पहली बार ऐसा लग रहा था कि वक़्त कितना जल्दी बीत रहा है | अब मुझे तीन महीने हो गए थे कॉलेज में जाते हुए | इन तीन महीनों में कितना कुछ बदल गया था मेरी ज़िन्दगी में | अब नेहा ,प्राची और सुमन मेरे बेस्ट फ्रेंड्स बन गए थे | अपने में ही खोये रहने वाली चाहत अब अपनी तिकड़ी के साथ जम कर गप्पे मारती थी | शिव भैया और सलिल भी कभी -कभार हमें ज्वाइन करते थे | सलिल के आने से सुमन की तो lottery ही लग जाती थी | सब आपस में एक -दूसरे के साथ सहज थे सिवाय मेरे | पता नहीं मैं सलिल के आने के बाद कोई न कोई बहाना बनाकर लाइब्रेरी चली जाती थी | शायद मैं अब भी अपनी ही दुनिया से बाहर नहीं आना चाहती थी | किसी नए इंसान से बात करना मेरे लिए माउंट एवेरेस्ट चढ़ने जैसा था | वही बीतते वक़्त के साथ हमारा और शिव भैया का परिवार और करीब आ गया था | शिव भैया इस बात का पूरा ध्यान रखते कि कोई लड़का मुझे कॉलेज में परेशान ना करने पाए |
खैर ,हम अपने फर्स्ट ईयर के मिड में पहुंच गए हैं | मैं ,नेहा ,और प्राची अपनी पढ़ाई को लेकर सीरियस हैं | सुमन अब भी मिस्टर राइट की तलाश में fb ,इंस्टाग्राम ,स्नैपचैट ,etc .पर अब भी एक्टिव है | नेहा और प्राची दोनों मिलकर सुमन की खूब टांग खींचते हैं | मुझे भी देखने में खूब मजा आता है | नेहा तो स्वाभाव से है ही चंचल | पर प्राची के फैमिली स्टेटस को देखकर हमे नहीं लगा था की वो हमसे इस तरह घुल -मिल जाएगी |
आज मार्केटिंग का लेक्चर पूरा हो चुका है | हम सब कैंटीन के लिए जाने ही वाले थे कि सुमन ने हमे रोका और क्लासरूम का दरवाजा लॉक कर लिया |
नेहा -क्या हुआ सुमन ? तुमने दरवाज़ा लॉक क्यों किया ?
सुमन -मुझे तुम तीनों को कुछ बताना है |
प्राची -हाँ बोलो |
सुमन -मुझे fb पर एक लड़का एक वीक से परेशान कर रहा है | उसने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी तो मैंने एक्सेप्ट कर ली लेकिन अब पीछे ही पड गया है | वो अपने ही कॉलेज का है | वो फाइनल ईयर में है |
मैं -और तू अब बता रही है | पागल ! पहले नहीं बता सकती थी |
नेहा -तू उसकी प्रोफाइल दिखा fb पर अभी |
सुमन- (अपना फ़ोन दिखाते हुए )ये है |
नेहा -ये तो अपना सीनियर है | इसका नाम अमन है |
मैं -फिर सीनियर है तो लड़िकयों को परेशान करेगा | अच्छा सुमन ! ये बता इस वक़्त अमन कहाँ मिलेगा ?
प्राची -इस वक़्त ज्यादातर लड़के कैंटीन वाले पार्क में होते हैं | ये भी वही मिलेगा |
फिर हमने सुमन को साथ लिया और पार्क की और चल दिए | प्राची ने इशारा करके बताया वो रहा | (अमन बेंच पर बैठे हुए फ़ोन देख रहा है | )
तभी हम उसकी और गए | वो हमे देख कर खड़ा हुआ | मेरा इशारा पाते ही नेहा और प्राची ने उसके हाथों को पकड़ लिया | मैंने अपनी जूती निकाल कर उसे दे मारी | बड़ी ज़ोर की आवाज़ आयी कसम से| फिर मैंने उसे धमकी के लहजे में कहा -आज के बाद तुमने हमारी दोस्त को तंग किया तो हम तुम्हरी complain डीन से कर देंगे |
सुमन -यार ! बस करो सब देख रहे हैं |
मैं -तू चुप कर सुमन ! आज इसकी अक्ल ठिकाने लगाने दे |
अमन -(रोनी सी सूरत बनाकर ) तुम लोग मुझे वार्निंग भी दे सकते थे मारा क्यों ?
प्राची -कमीने ,काम तो तेरे मार खाने के ही हैं |
नेहा -साले ! नाम तेरा अमन और फैला तूने अशांति रखी है हमारी दोस्त की लाइफ में |
तभी शिव भैया और सलिल भी वहां पर आ गए |
शिव भैया -चीनू ,क्या हुआ ? इसने तुमसे कुछ कहा |
फिर मैंने भैया को सारी बात बताई | भैया ने फिर अमन को डांँटा और सुमन से माफ़ी मांगने के लिए कहा | अमन ने अपनी गलती मानी और माफी मांगकर चला गया |
शिव भैया -सुमन ,तुम ध्यान रखा करो | किसी से भी बात मत किया करो |
सुमन -okk !
सलिल - (मेरी और देखते हुए ) वैसे तुम उसे thaapad भी मार सकती थी | फिर जूती से ही क्यों मारा ?
मैं -ऐसे लोगों के लिए मेरी जूती ही काफी है | मैं अपने हाथ ऐसे लोगों पर साफ़ नहीं करती |
सलिल -वैसे कहना पड़ेगा हो तुम बहादुर | जो सबके सामने एक लड़के को इतनी जोर से मारा |
प्राची,नेहा ,और सुमन मिलकर कहते हैं -दोस्त किसकी है ?
(सलिल और भैया हॅसते है | फिर वो क्लास का बोल कर निकल जाते हैं | तभी सुमन कहती है -थैंक्स यार ! तुम सब ना होते तो पता नहीं मैं किससे अपनी प्रॉब्लम शेयर करती |
नेहा -वैसे सुमन तुमने fb पर इतना नहीं सीखा कि दोस्ती में नो थैंक्स नो सॉरी !
प्राची -पागल दोस्त हैं हम सब | ये फॉर्मैलिटी मत कर |
मैं -सुमन ,दोस्त सिर्फ इसलिए नहीं होते कि वो तुम्हे tease कर सके , तुम्हारे साथ गप्पे मार सके ,घूम सके | बल्कि वो इसलिए होते हैं कि समय पड़ने पर वो तुम्हारा सहारा बने |
सुमन -ओके ! मेरी तिकड़ी !
(उसके बाद हम सब ज़ोर से हँसते हैं | और चारों गले मिलते हैं | )
वक़्त कहाँ किसी के लिए रुकता है ? ये तो अपनी गति से चलता ही जाता है | इंसान भी वक़्त के साथ धीरे -धीरे तालमेल बैठाना सीख ही जाता है | यही हमारे साथ हो रहा था | मैं अपनी स्टडी में बिजी रहती हूँ ,भैया अपने हॉस्पिटल में | फिर भी हम दोनों भाभी को हमेशा खुश रखते थे | भाभी ने भी अपने खाली टाइम का सही उपयोग करने के लिए बच्चों को टूशन देनी स्टार्ट कर दी थी | अब हमारे फर्स्ट ईयर को पूरा होने में सिर्फ दो महीने ही बाकी हैं| हम अपने एनुअल एग्जाम को लेकर काफी सीरियस हैं | लेकिन वक़्त के साथ हमारी दोस्ती में कोई कमी नहीं आयी ,बल्कि हम हर मुश्किल में एक -दूसरे के साथ खड़े रहे | शिव भैया और सलिल भी हमारे ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं | फरवरी का महीना चल रहा है | कॉलेज में जिसे देखो वही प्यार की नाव में सवार होने की कोशिश में लगा है | इसी नाव में हमारे दो दोस्तों ने पाँव रख दिए थे | हम इन सब से अनजान थे |
(वैलेंटाइन वीक स्टार्ट हो चुका है | मैं ,नेहा और प्राची ऑडिटोरियम में बैठे किसी टॉपिक पे बात कर रहे थे | तभी सुमन और अमन हमारे पास आते हैं | )
सुमन -मुझे तुम तीनों को कुछ बताना है |
नेहा -बात बाद में करेंगे | पहले तू ये बता ये अमन यहाँ क्या कर रहा है ?
सुमन -इसके बारे में ही तो बात करनी है |
मैं -इसने फिर कुछ किया |
अमन -नहीं चाहत ,मैंने कुछ नहीं किया |
प्राची -तो फिर बात क्या है ?
सुमन -वो हम दोनों एक -दूसरे से.......
मैं -आगे बोलो सुमन !
अमन -प्यार करते हैं हम एक -दूसरे से |