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आधा आदमी - उपन्यास
Rajesh Malik
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
आधा आदमी राजेश मलिक अध्याय-1 नंगी राजनीति: चिथड़ी सड़कें और बज़बज़ाती गलियां ज्ञानदीप ने दरवाजा खोला तो सामने लल्ला खड़ा था। ‘‘आइये ज़नाब, आज इधर का रास्ता कैसे भूल पड़े?‘‘ ‘‘क्या करुँ, जा रहा था पानी टंकी़ गलती से मेरी बाइ़क तेरे दरवाज़े की तरफ़ मुड़ गई.” लल्ला कुर्सी खींच कर बैठ गया। “साले, गलती से मुड़ गई अभी बताता हूँ“ ज्ञानदीप ने उसका कान पकड़ लिया। ‘‘ अच्छा बाबा, भूल हो गई अब तो छोड़ दें.‘‘ ‘‘ अब दोबारा ऐसी गुस्ताख़ी मत करना.‘‘ ‘‘ नहीं होगी मेरी जान.‘‘ ‘‘ अब उठ, बहुत हो गई तेरी नौटंकी ले चाय पी.‘‘
आधा आदमी राजेश मलिक अध्याय-1 नंगी राजनीति: चिथड़ी सड़कें और बज़बज़ाती गलियां ज्ञानदीप ने दरवाजा खोला तो सामने लल्ला खड़ा था। ‘‘आइये ज़नाब, आज इधर का रास्ता कैसे भूल पड़े?‘‘ ‘‘क्या करुँ, जा रहा था पानी टंकी़ गलती से ...और पढ़ेबाइ़क तेरे दरवाज़े की तरफ़ मुड़ गई.” लल्ला कुर्सी खींच कर बैठ गया। “साले, गलती से मुड़ गई अभी बताता हूँ“ ज्ञानदीप ने उसका कान पकड़ लिया। ‘‘ अच्छा बाबा, भूल हो गई अब तो छोड़ दें.‘‘ ‘‘ अब दोबारा ऐसी गुस्ताख़ी मत करना.‘‘ ‘‘ नहीं होगी मेरी जान.‘‘ ‘‘ अब उठ, बहुत हो गई तेरी नौटंकी ले चाय पी.‘‘
आधा आदमी अध्याय-2 अभव कहित हय सुधर जाव.‘‘ कुल्ली ने हाथ हिला कर कहा। ‘‘अरी जा पहिले अपनी सोच, बड़ी आई हैं भविष्यवाणी माता बन के.‘‘ ‘‘अरी ऐ करमजलियों, ई डिग्गी (ढोलक) काहे बंद कर दी.‘‘ दीपिकामाई की आवाज़ ...और पढ़ेमें गूँजी। यह सुनते ही कुल्ली ढोलक बजाने लगी। एक बार फिर बेसुरा संगीत छिड़ गया। दीपिकामाई ऊँचे से आसन पर आसीन थी। उनके चेहरे पर गाढ़ी मेकअप थी। पतली-पतली भौंहे काजल से बनी थीं। बालों पर डाई ऐसी जैसे किसी ने काले रंग से पेंट कर दिया हो। कान, नाक, गला, कलाईयां, उंगलियाँ सोने से चमक रही थी। अपनी
आधा आदमी अध्याय-3 और याद आते ही बोली, ‘‘तुम लोगों ने झमकना (नाचना) क्यों बंद कर दिया। उठो और शुरु हो जाओं‘‘ सानिया और साहिबा एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नाचने लगी। दीपिकामाई बडी़ स्टाइल में गाने लगी- एक कहै ...और पढ़ेसोडा पीऊ एक कहै मैं लेमन पीऊ ज्ञानदीप बड़ी बारीकी से उनके किया-कलापों और हाव-भाव को देख रहा था। दीपिकामाई के कहते ही करिश्मा उठी और कमर पर दुपटटा बाँधकर नाचने लगी। लल्ली अम्मा के साथ-साथ सभी गाने लगी- अरी मैं तो ओढ़ चुनरिया जाऊगी मेले में ओ जी, मोरे बाँके सँवरिया मिलियो अकेले में।। अरी मैं तो........ मोटर गाड़ी
आधा आदमी अध्याय-4 सिकंदर महान, ब्रिटिश गायक जार्ज माइकल, रॉक संगीतकार टाम राबिंसन, फैशन डिजाइनर जियानी बेरसास, अमेरिकी कवि वाल्टव्हिट मैन और जाने कितनी जानी मानी हस्तियों के समलैंगिक संबंध रहे.‘‘ वरूण का सेलफोन बजते ही उसने थोडी देर ...और पढ़ेपहुँचने का वादा किया। एक एक करके उन सबने ज्ञानदीप से इज़ाज़त ली। उन सबके जाते ही ज्ञानदीप के ज़हन में कई सवाल मचलने लगे, ‘क्यों न समलैंगिकता पर ही कुछ लिखूँ? तभी उसे याद आया कि इस मैटर पर 1924 में बेचन शर्मा ने ‘चॉकलेट‘ कहानी लिखी थी। और इस्मत चुग़ताई की कहानी ‘लिहाफ‘ भी थी। उसने इस सबजेक्ट
आधा आदमी अध्याय-5 ज्ञानदीप उसे इस हालत में देख कर पीठ घुमाकर खड़ा हो गया। साहिबा को आभास हुआ कि कोई बरामदे में है। उसने पलटकर देखा, तो उसकी शंका सही थी। वह तेजी से कमरे की तरफ़ भागी। ...और पढ़ेको लिंग रहित देख कर ज्ञानदीप की चेतना के एक-एक तार हिल गए। पहली बार उसने किसी हिजड़े को निर्वस्त्र देखा था। वह लिंग जिससे संसार की उपज हुई। सल्तनत की सल्तनत तबाह हो गई। उसी लिंग का हिजडे़ समाज में कोई महत्व नहीं हैं? यह कैसा रहस्यमय समाज हैं? जहाँ हिजड़ा बनने के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती