Bhadukada book and story is written by vandana A dubey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bhadukada is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
भदूकड़ा - उपन्यास
vandana A dubey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
जिज्जी….. हमें अपने पास बुला लो…” बस ये एक वाक्य कहते-कहते ही कुंती की आवाज़ भर्रा गयी थी. और इस भर्राई आवाज़ ने सुमित्रा जी को विचलित कर दिया. मन उद्विग्न हो गया उनका, जैसा कि हमेशा होता है. जितनी परेशान कुंती न हो रही होंगीं, उतनी सुमित्रा जी हो गयी थीं. मोबाइल पर तो बस इतना ही कह पाईं-“ का हुआ कुंती? इतनी परेशान काय हो? का हो गओ? आवै की का है, आ जाओ ई मैं पूछनै का है?”आगे और भी कुछ कहना चाहती थीं सुमित्रा जी, लेकिन दूसरी तरफ़ से फोन कट गया. सुमित्रा जी ने
जिज्जी….. हमें अपने पास बुला लो…” बस ये एक वाक्य कहते-कहते ही कुंती की आवाज़ भर्रा गयी थी. और इस भर्राई आवाज़ ने सुमित्रा जी को विचलित कर दिया. मन उद्विग्न हो गया उनका, जैसा कि हमेशा होता है. ...और पढ़ेपरेशान कुंती न हो रही होंगीं, उतनी सुमित्रा जी हो गयी थीं. मोबाइल पर तो बस इतना ही कह पाईं-“ का हुआ कुंती? इतनी परेशान काय हो? का हो गओ? आवै की का है, आ जाओ ई मैं पूछनै का है?”आगे और भी कुछ कहना चाहती थीं सुमित्रा जी, लेकिन दूसरी तरफ़ से फोन कट गया. सुमित्रा जी ने
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे की कहानी है ये. कस्बा छोटा, लेकिन रुतबे वाला था. और उससे भी अधिक रुतबे वाले थे वहां के तहसीलदार साब - केदारनाथ पांडे. लम्बी-चौड़ी कद काठी के पांडे जी देखने में ...और पढ़ेकम, थानेदार ज़्यादा लगते थे. बेहद ईमानदार और शास्त्रों के ज्ञाता पांडे जी बेटों से ज़्यादा अपनी बेटियों को प्यार करते थे. उनकी शिक्षा-दीक्षा, कपड़े, मनोरंजन हर चीज़ का ख़याल था उन्हें. अंग्रेज़ों के ज़माने के तहसीलदार पांडे जी, वैसे तो काफ़ी ज़मीन-जायदाद के मालिक थे, उनके अपने पुश्तैनी गांव में उनकी अस्सी एकड़ उपजाऊ ज़मीन थी, हवेलीनुमा मकान था,
छुट्टी के बाद जब दोनों लड़कियां घर पहुंचतीं, तो कुंती घर के दरवाज़े पर पहुंचते ही सुबकना शुरु कर देती, जो भीतर पहुंचते-पहुंचते रुदन में तब्दील हो जाता. आंखों से आंसू भी धारोंधार बह रहे होते. रो-रो के मां ...और पढ़ेबताया जाता कि ’बहन जी’ ने आज सुमित्रा की ज़रा सी ग़लती (!) पर कितनी बेरहमी से पिटाई की और इस पिटाई से कुंती को कितनी तकलीफ़ हुई. कुंती हिचक-हिचक के पूरी बात बता रही होती और सुमित्रा अवाक हो उसका मुंह देखती रह जाती! कुंती की ये हरकत सुमित्रा को दोतरफा दंड दिलाती. एक तो स्कूल में, दूसरी डांट
खूबसूरत तो अम्मा भी बहुत थीं. खूब गोरी, दुबली-पतली अम्मा, लम्बी भी खूब थीं. सुमित्रा उन्हीं को तो पड़ी थी. पांच बच्चे ग़ज़ब के सुन्दर और अकेली कुंती.............. बोलने वाले भी ऐसे कि कुंती के मुंह पे ही कह ...और पढ़े’मां-बाप इतने सुन्दर हैं, फिर जे कुंती किस पे पड़ गयी ?’ उनके बोलने में इतनी चिन्ता होती, जैसे कुंती को ब्याहने की ज़िम्मेदारी तो उन्हीं के सिर पर है. अब आप ये न कहने लगना कि लड़कियां केवल ब्याहने के लिये होती हैं क्या? अरे भाई ब्याहने का उदाहरण इसलिये दिया, कि वो समय लड़कियों को बहुत जल्दी ब्याह
वो कुंती मौसी का फोन था बेटा.’ ’हूं........’ मन ही मन मुस्कुराया अज्जू. जानता था मम्मी बतायेंगी ही. वैसे वो भी जान गया था कि फोन किसका रहा होगा. ’क्या कह रही थीं? आना चाहती होंगीं, या बीमार होंगीं, ...और पढ़ेबहुत परेशान....’ सुमित्रा जी के बताने के पहले ही अज्जू ने फोन की रटी रटाई वजहें गिनानी शुरु कर दीं. ’कुंती मौसी और परेशान!! हम लोग जानते तो हैं मम्मी उनकी आदत. उनकी वजह से दूसरे ही परेशानी उठाते हैं. वे ही सबको परेशान करती हैं, वो खुद कब से परेशान होने लगीं? और हां, अब तुम उन्हें बुला न