Badi baai saab book and story is written by vandana A dubey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Badi baai saab is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बड़ी बाई साब - उपन्यास
vandana A dubey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
“ ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते !!.......नीचे मंडप में पंडित जी कलश स्थापना कर रहे थे. खिड़की से सिर टेके खड़ी गौरी चुपचाप सारे काम होते देख रही है. छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ज़रूरत के लिये भी पंडित जी बड़ी बाईसाब को याद करते हैं. हर रस्म के लिये भी उन्हें ही बुलाया जाता है. गौरी को तो यदि किसी ने खबर कर दी तो मंडप में पहुंच जाती है, वरना उसकी अनुपस्थिति में ही रस्म पूरी हो जाती है. कई बार तो गौरी भूल ही जाती है कि ये सारा सरंजाम
“ ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते !!.......नीचे मंडप में पंडित जी कलश स्थापना कर रहे थे. खिड़की से सिर टेके खड़ी गौरी चुपचाप सारे काम होते देख रही है. छोटी से छोटी और बड़ी ...और पढ़ेबड़ी ज़रूरत के लिये भी पंडित जी बड़ी बाईसाब को याद करते हैं. हर रस्म के लिये भी उन्हें ही बुलाया जाता है. गौरी को तो यदि किसी ने खबर कर दी तो मंडप में पहुंच जाती है, वरना उसकी अनुपस्थिति में ही रस्म पूरी हो जाती है. कई बार तो गौरी भूल ही जाती है कि ये सारा सरंजाम
नीलू कब मुस्कुराने लगी, कब करवट लेने लगी, कब पलटने लगी, गौरी को पता ही नहीं. उसकी सहेलियां पूछतीं-”बिटिया अब तो पलटने लगी होगी न गौरी? खूब ध्यान रखना अब वरना बिस्तर से नीचे गिर जायेगी.’ गौरी क्या बताती? ...और पढ़ेके हां-हां कह देती. जब भी उसने सास से कहा कि वे अपना काम करें, बच्ची को दे दें सम्भालने के लिये’ तब-तब सास ने उसे झिड़क दिया-’ मुझे क्या काम करने हैं भला? अब काम करने की उमर है मेरी? तुम सम्भाल तो रही कामकाज. मुझे बच्ची सम्भालने दो. काम-वाम न होता मुझसे.’ गौरी का मन तो होता कि
ऐसे अद्भुत व्यक्तित्व के धनी बहुत कम होते हैं, सो उनके जोड़ की बहू कैसे मिलती? सब उनसे उन्नीस ही थे. बीस कोई मिला ही नहीं, या उन्होंने खोजी ही उन्नीस. लड़के का ब्याह भी ऐसी उमर में कर ...और पढ़ेजब मना करने का न उसे शऊर था, न हिम्मत. अपनी पसन्द बताना तो बहुत दूर की बात. “गौरी भाभी, बड़ी बाईसाब टेर रहीं आपको” कमला की आवाज़ से तंद्रा टूटी गौरी की. “कहां थीं गौरी? जब कोई रस्म हो रही हो तो तुम्हें आस-पास नहीं रहना चाहिये क्या? पंडित जी को कभी किसी चीज़ की ज़रूरत है, तो कभी
ाशाह रवैया नहीं अपनाया या ऐसा फ़ैसला जिसे ग़लत ठहराया जा सके, लिया भी नहीं. गौरी की शादी के वक़्त जब बड़ी बाईसाब खुद बारात में आईं, तो लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं. उस वक़्त तक महिलाओं, ...और पढ़ेसे सास का बारात में आना एकदम नहीं होता था. महिलाओं के नाम पर छोटी लड़कियां ही बारात में जा पाती थीं. ऐसे में बड़ी बाईसाब का दमकता व्यक्तित्व जब दरवाज़े पर पहुंचा तो लोग हकलाने लगे. उन्होंने भी स्थिति को समझा और वाकपटु बड़ी बाईसाब ने तत्काल कमान संभाली. बारात में आने का मक़सद साफ़ किया. बोलीं-“ यूं तो
दादी के बेहिसाब लाड़-प्यार में पली नीलू बचपन से ही भरे बदन की थी. ये भरा बदन, उम्र के साथ-साथ मोटापे में तब्दील हो गया. बचपन में प्यारा लगने वाला गोल-मटोलपन, अब खटकने लगा. नीलू की आदतें ऐसीं, कि ...और पढ़ेमुंह से कुछ निकला नहीं कि हाज़िर. खाने की तरफ़ से मुंह फेर लेने वाली नीलू पिज़्ज़ा, बर्गर, चाउमिन बड़े शौक से खाती. हर जगह के नम्बर उसके पास नोट थे. जब चाहिये, नम्बर घुमाया और बंदा बड़ा सा डब्बा ले के हाज़िर! शुरु में तो दादी बड़े गर्व से बतातीं-’ हमारी नीलू तो सब्ज़ी-रोटी को हाथ ही नहीं लगाती.’