Das Darvaje book and story is written by Subhash Neerav in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Das Darvaje is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दस दरवाज़े - उपन्यास
Subhash Neerav
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
घंटाभर चलकर बस रुकती है। मैं और राणा हैरान-से होकर उतरते हैं कि यह भला कौन-सी जगह हुई। बिल्कुल अनजान-सी। सोचते हैं कि कंडक्टर ने हमें सही जगह ही उतारा होगा। वह जानता था कि हमें बालमपुर जाना है। एक तरफ नहर बह रही थी और दूसरी तरह बारीक-सा कच्चा रास्ता, जिस पर सिर्फ़ एक वाहन ही निकल सकता था। यहाँ न किसी बस के रुकने के लिए अड्डा है, न ही कोई आदमी है और न आदमी का निशान। बियाबान की धूप। सब कुछ यूँ स्थिर, रूका हुआ मानो कभी हवा चली ही न हो। इतनी गरमी और ऊपर से हमारे पहने हुए वकीलों वाले काले कोट और नंगे सिर। नज़दीक कोई दरख़्त भी नहीं कि उसके नीचे खड़े हो सकें। मैं कहता हूँ -
घंटाभर चलकर बस रुकती है। मैं और राणा हैरान-से होकर उतरते हैं कि यह भला कौन-सी जगह हुई। बिल्कुल अनजान-सी। सोचते हैं कि कंडक्टर ने हमें सही जगह ही उतारा होगा। वह जानता था कि हमें बालमपुर जाना है। ...और पढ़ेतरफ नहर बह रही थी और दूसरी तरह बारीक-सा कच्चा रास्ता, जिस पर सिर्फ़ एक वाहन ही निकल सकता था। यहाँ न किसी बस के रुकने के लिए अड्डा है, न ही कोई आदमी है और न आदमी का निशान। बियाबान की धूप। सब कुछ यूँ स्थिर, रूका हुआ मानो कभी हवा चली ही न हो। इतनी गरमी और ऊपर से हमारे पहने हुए वकीलों वाले काले कोट और नंगे सिर। नज़दीक कोई दरख़्त भी नहीं कि उसके नीचे खड़े हो सकें। मैं कहता हूँ -
रेणुका देवी। एडवोकेट रेणुका देवी। इन्द्रेश शर्मा के साथ उसकी जूनियर बनकर कचेहरी में आती है। मेरी सीट इन्द्रेश शर्मा के बिल्कुल बराबर है। शर्मा का मुंशी बलदेव बहुत तेज़ लड़का है। शर्मा का ही रिश्तेदार है। वह बताता ...और पढ़ेकि हमारे परिवार में जो कोई पढ़-लिख जाता है, वकील बन जाता है और जो नहीं पढ़ पाता, वह मुंशी। कचेहरी में इन शर्माओं का ज़ोर है। इन्द्रेश शर्मा चंडीगढ़ भी प्रैक्टिस करता है, तीन दिन चंडीगढ़ और दो दिन यहाँ। रेणुका देवी को उसका कोई परिचित उससे मिलवाता है। राजेश और रेणुका देवी इस शर्मा परिवार के ही किसी घर में किराये पर रहते हैं।
कचेहरी में मैं उससे दूर रहने की कोशिश करता हूँ। वह भी समझती है और बिना मतलब बात नहीं करती। मेरे दोस्त उसका नाम लेकर मुझसे हल्के मजाक करते रहते हैं।
उसका पति राजेश कभी कभार कचेहरी आ जाया करता ...और पढ़ेयद्यपि वह शांत स्वभाव का व्यक्ति है, पर अक्सर अपने खानदान के बारे में बातें करने लगता है। अपने घर में होती रस्मों के विषय मे बताता रहता है और अपने गाँव आने के निमंत्रण देता रहता है। अपने परिवार के शेष सदस्यों से मिलने के भी। एक दिन कहता है -
स्ट्रैथम का इलाका है। शाम का झुटपुटा, ऊपर से कड़ाके की सर्दी। मैं रॉयल एस्टेट में से हाईंड हाउस को खोज रहा हूँ। यही बताया है मागला ने कि हाईंड हाउस के बहत्तर नंबर फ्लैट में नसोरा रहती है। ...और पढ़ेइमारतों की एस्टेट में से पहले तो हाईंड हाउस ढूँढ़ना ही कठिन पड़ता है। चारों ओर काले रंग के लड़के-लड़कियाँ मेरी अजनबी-सी कार की ओर घूर घूरकर देख रहे हैं। मेरी ओर इशारे-से करते हुए आपस में बात भी कर रहे हैं।
एक दिन नसोरा मुझसे कहती है -
“तेरी बात सच है कि अकेले रहना बहुत कठिन होता है।“
“नसोरा, अगर कहे तो किसी लड़के को तुझसे मिलवाऊँ?“
“लवी, मुझे लड़कों की कमी नहीं, मेरे इर्दगिर्द बहुत लड़के हैं।“
“जिस लड़के की मैं बात ...और पढ़ेरहा हूँ, वह उनसे अलग है। वो तुझे बहुत खुश रखेगा।“