Adrashya Humsafar book and story is written by Vinay Panwar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Adrashya Humsafar is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अदृश्य हमसफ़र - उपन्यास
Vinay Panwar
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
ममता कुर्सी पर टेक लगाए ब्याह की गहमा गहमी मे खोई हुई थी। सब इधर उधर भाग रहे थे तैयारियों में जुटे हुए।
लगभग 5 साल बाद मायके आना हुआ था उसका वह भी भतीजी की शादी के बहाने से। भाई ने सीधा कह दिया था उसे- देख ममता, कितने साल हो गए हम भाई बहनों को साथ बैठकर चाय पर गप्पें हाँके हुए। मुम्बई न हुई सात समंदर पार से भी दूर हो गई तुम। देखो, तुम नही आई तो ब्याह की तारीख आगे बढ़ा दूँगा।
ममता कुर्सी पर टेक लगाए ब्याह की गहमा गहमी मे खोई हुई थी। सब इधर उधर भाग रहे थे तैयारियों में जुटे हुए।
लगभग 5 साल बाद मायके आना हुआ था उसका वह भी भतीजी की शादी के बहाने से। ...और पढ़ेने सीधा कह दिया था उसे- देख ममता, कितने साल हो गए हम भाई बहनों को साथ बैठकर चाय पर गप्पें हाँके हुए। मुम्बई न हुई सात समंदर पार से भी दूर हो गई तुम। देखो, तुम नही आई तो ब्याह की तारीख आगे बढ़ा दूँगा।
आज उसे मनोहर जी की बहुत याद आ रही थी। 5 बरस पहले अचानक ह्र्दयगति रुकने के कारण मनोहर जी ममता को सदा के लिए छोड़कर चले गए थे। उनके जाने के एक महीने बाद रस्म निभाने की खातिर ...और पढ़ेआयी थी। ममता की दोनों भाभियों का रो रोकर बुरा हाल हो गया था। दोनो भाई न रो पाए और न चुप रह पाए। ममता उनकी मनस्थिति को बखूबी समझ पा रही थी। बड़ी भाभी कहती जा रही थी -- ममता ये सूनी मांग देखी नही जा रही। इतनी सजी धजी रहने वाली मेरी बन्नो का ये सादा रूप मेरी रूह को कचोट रहा है।
ममता अतीत की सुनहरी यादों में गहरे तक डूबती जा रही थी कि ड्राइवर ने तन्द्रा भंग की।
दीदी, मैं आपका इंतजार करता हूँ। आप जाकर अनु बिटिया को ले आइये।
ममता एक पल को गाड़ी की पिछली ...और पढ़ेपर टेक लगाए खुद को सम्भालती रही फिर गहरी सांस लेकर गाड़ी से उतर चली। कुछ पल में ही दुल्हन बनी अनुष्का उर्फ अनु का हाथ पकड़े उसके साथ चली आ रही थी।
ममता रह रह कर उसे निहार रही थी आखिर कह उठी-
कन्यादान की रस्म आरम्भ हो चुकी थी। ममता अमु के साथ बातों में अन्तस् की पीड़ा को भूल चुकी थी। अमु के साथ घण्टों तोतली भाषा में बतियाना उसका सबसे पसंदीदा शगल था। ममता की बातों का सिलसिला टूटा ...और पढ़ेबड़ी भाभी उसे अनु की बिदाई की रस्म के लिए बुलाने आयी।
बड़ी भाभी- जिज्जी, चलिए न। अनु की विदाई का वक़्त हो चला है। उसकी नजरें आपको खोज रही हैं।
ममता उठी और अनु दा को ढूंढने लगी। ढूंढते ढूंढते छत पर जा पहुंची। अनु दा वहीं आराम कुर्सी पर टेक लगाए तारों को एकटक देखे जा रहे थे।
ममता- अनु दा, आप यहाँ अकेले क्यों बैठे हैं?
अनु ...और पढ़े बस यूं ही, अनुष्का की बिदाई देख नही पाता तो ऊपर आ गया।
ममता- और ये एकटक तारों को क्यों घूरते जा रहे हैं?
अनु दा- अपनी जगह तलाश रहा हूँ, बस कुछ दिन बाद मुझे भी तो इन्ही के संग रहना है।
ममता बुरी तरह से तड़प उठी। मनोहर जी के जाने के बाद से उससे इस तरह की बातें सहन नही होती थी ।