Prabodh Kumar Govil लिखित उपन्यास रेत होते रिश्ते

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रेत होते रिश्ते द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
एकरात के दो बजे थे, लेकिन कमरे की बत्ती जली हुई थी। मँुह से चादर हटाकर मैंने देखा तो अवाक् रह गया। शाबान रो रहा था। मैंन...
रेत होते रिश्ते द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
मैं सकपकाया। लेकिन तुरन्त ही संभलते हुए मैंने कहा— ‘‘वह मुझे निश्चित जगह पर मिलेगा सुबह।’’ ‘‘आपको इस समय नहीं पता कि वह...
रेत होते रिश्ते द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
मैं नहा-धोकर जब कमरे में आया तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि शाबान इत्मीनान से बैठा हुआ अखबार पढ़ रहा है। मेरे आने के...
रेत होते रिश्ते द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
शाबान और अरमान के जाने के बाद पूरे चौबीस घंटे भी नहीं गुजरे कि एक समस्या सामने आ गयी। आरती मेरे पास ही ठहरी हुई थी और सु...
रेत होते रिश्ते द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
मैं ऑफिस में बैठा हुआ शाम को निकलने की तैयारी ही कर रहा था कि कमाल का फोन आया। मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि राज्याध्यक...