Tapte Jeth me Gulmohar Jaisa book and story is written by Sapna Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tapte Jeth me Gulmohar Jaisa is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - उपन्यास
Sapna Singh
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
वह तेज-तेज चलने की कोशिश में हैं, पर अब उन्हें महसूस होने लगा है कि, इस तरह तेज चलना उनके लिए संभव नहीं रहा! पिछले कुछ समय से ऐसा होने लगा है कि तेज चलने की कोशिश में सांस उखड़ने लगती है। उन्होंने चाल धीमी कर दी है! वह मुख्य सड़क पर थोड़ा सा चलकर दायीं तरफ वाली सड़क पर मुड़ जाते हैं! दोनों तरफ आम, जामुन, महुआ के पेड़ों से आच्छादित ये सड़क उन्हें अपने गाॅँव की सड़क की याद दिला देती है।
वह तेज-तेज चलने की कोशिश में हैं, पर अब उन्हें महसूस होने लगा है कि, इस तरह तेज चलना उनके लिए संभव नहीं रहा! पिछले कुछ समय से ऐसा होने लगा है कि तेज चलने की कोशिश में सांस ...और पढ़ेलगती है। उन्होंने चाल धीमी कर दी है! वह मुख्य सड़क पर थोड़ा सा चलकर दायीं तरफ वाली सड़क पर मुड़ जाते हैं! दोनों तरफ आम, जामुन, महुआ के पेड़ों से आच्छादित ये सड़क उन्हें अपने गाॅँव की सड़क की याद दिला देती है।
तब वो वक्त था जब दंगे फसाद आज की तरह आम बात नहीं थे। इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद भड़के दंगे ... उस पीढ़ी का पहला त्रासद अनुभव था। पर वो सब सिर्फ खबरों के द्वारा सुना ...और पढ़े...पढ़ा जाता था। हमारी कहानी के नायक नायिका दिल्ली से मीलों दूर थे ... और खासतौर पर अप्पी के लिए तो दिल्ली और उसके आस-पास की घटनाओं का उतना ही महत्व था जैसे आज की पीढ़ी के लिए गाजा पट्टी पर चल रहा युद्ध।
उन्होंने तैयार होते हुए शीशे मंे खुद को देखा है......
कितने कमजोर हो गये हैं.... आप। अपना अच्छे से ख्याल नहीं रखते.....? लगा अप्पी की आवाज है ये......पता नहीं कब से ऐसा होने लगा है वो अपने आप को अप्पी ...और पढ़ेनजर से देखने लगे हैं कोई कैसे अनुपस्थित रहते हुए भी हरदम उपस्थित रहता है।
......उन्हे आज भी याद है वो दिन, वो तारीख। इलहाबाद मेडिकल काॅलेज में वो हाउस जाब कर रहे थे..... रात दिन की ड्यूटी। ऐसे में पोस्टमैन जब वह पत्र देकर गया तो उन्होंने बिना खोले ही उसे टेबल पर ...और पढ़ेदिया था। इतनी व्यस्तता रहती थी कि दिमाग ने ये सोचने की जहमत भी नहीं उठाई..... कि लिफाफे में लिखा नाम ’अपराजिता राव’ कौन है भला।
अपराजिता जी
नमस्कार।
आपका पत्र मिला, विलम्ब के लिए माफी चाहता हूॅँ। पत्र पढ़ के काफी हर्ष हुआ यह जान के खुशी भी हुई कि जिसे हम अच्छी तरह जानते न हो..... उसपे मेरा इतना प्रभाव पड़ सकता है।
आपका पत्र पढ़ ...और पढ़ेतो कोई भी प्रभावित हो जायेगा। मैं तो जरूर आपकी खुशी चाहूॅँगा..... इसलिए आपको पत्र लिख रहा हूॅँ। हिन्दी में मै बहुत कम पत्र लिखता हूॅँं इसलिए पत्र में गलती होगी तो माफ कीजिएगा।