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जीवन @ शटडाऊन - उपन्यास
Neelam Kulshreshtha
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
[ कोरोनाकाल को याद तो कोई नहीं करना चाहता लेकिन ये उस समय की बिलकुल अलग कहानी है कि लोग किस तरह नाटकीय स्थितियों में फंस गये थे। पढ़िए पहले लॉकडाउन के आरम्भ के एक माह बाद की हमारी टाऊनशिप में घटी एक सत्य, दिलचस्प कथा ]
एपीसोड - 1
" हाय नीता मैम !मैं शनाया। आप वुडलैंड बिल्डिंग में रहतीं हैं ? "
"जी ?"
"मैं आपके पास वाली रोज़विला बिल्डिंग में रहतीं हूँ। मैं तो लॉकडाऊन से पहले अपने पेरेंट्स के पास आनंद आ गई थी लेकिन वहां मेरी रूम पार्टनर अभी स्युसाइड करने वाली है.प्लीज़ !उसे बचाइये। `
कोरोना ---कोविद-१९ ---कोरोंटाइन --लॉकडाऊन --- सोशल डिस्टेंसिंग [ हांलांकि` सोशल डिस्टेंसिंग `भारत में कब से पैर फैलाकर बैठ गया है -- आजकल इसका मतलब है शरीर की दूरी ] जैसे बिल्कुल अनजाने जाने शब्द जीवन में झम्म से गिरकर जीवन में क्या सारी दुनिया में बहुत तेज़ी से जाल फैला चुके थे -और अब इन सबके बीच आज रात के आठ बजे आत्महत्या की सम्भावना की सनसनी ----वह भी किसी अकेली रहती लड़की की?उसका मोबाइल पकड़े हुये हाथ काँप गया. दिल में तेज़ थरथराहट उठने लगी, उसने काँपती आवाज़ में उससे पूछा "मैं पहचानी नहीं कौन बोल रहीं हैं ?"
1 नीलम कुलश्रेष्ठ [ कोरोनाकाल को याद तो कोई नहीं करना चाहता लेकिन ये उस समय की बिलकुल अलग कहानी है कि लोग किस तरह नाटकीय स्थितियों में फंस गये थे। पढ़िए पहले लॉकडाउन के आरम्भ के एक माह ...और पढ़ेकी हमारी टाऊनशिप में घटी एक सत्य, दिलचस्प कथा ] एपीसोड - 1 " हाय नीता मैम !मैं शनाया। आप वुडलैंड बिल्डिंग में रहतीं हैं ? " "जी ?" "मैं आपके पास वाली रोज़विला बिल्डिंग में रहतीं हूँ। मैं तो लॉकडाऊन से पहले अपने पेरेंट्स के पास आनंद आ गई थी लेकिन वहां मेरी रूम पार्टनर अभी स्युसाइड करने वाली
एपीसोड --2 कैसा समय देखने को लिखा था ?चीन के वुहान में चमगादड़ों के ऊपर शोध करने वाली वैज्ञानिक `लेडी बैटमेन `ली झिंगली इस ख़तरनाक वायरस का रहस्य बताकर एकदम गायब हो गई।इसका परिचय देने वाले दूसरे डॉक्टर ली ...और पढ़ेको मौत उड़ा कर ले गई ?मौत कैसी कोरोना से या ---कौन जाने ? ग्लोबलाइज़्ड दुनियां में गूगल पर सर्च करते, सोशल साइट्स पर चैट करते, ब्रैंडेड कपड़े पहने गर्व से ऐंठते सोचते थे कि कैसा बैकवर्ड समय होगा, लोगों को विज्ञान का अधिक ज्ञान नहीं होगा जो बार बार महामारी की चपेट में आ जाते होंगे --पूअर गाइज़। वे
एपीसोड --3 अपने फ़्लैट का दरवाज़ा खोलने वाला एक वैल ड्रेस्ड युवा को देखकर प्रेसीडेंट को असमंजस में एक ही प्रश्न सूझा, "आपके घर में कितने मेंबर हैं ?" "मैं व मेरी वाइफ़ व दो छोटे बच्चे। ` "आजकल ...और पढ़ेहै, आप कहीं जा रहे हैं ?" वह भरपूर मुस्करा दिया, "नहीं जी, आजकल कौन निकल सकता है ?वो बच्चे होटल जाने की ज़िद कर रहे थे इसलिये वाइफ़ ने आइडिया दिया कि घर में होटल- होटल खेलकर उनकी पसंद की चीज़ें बनाई जायें। हम लोग जैसे ही खाने बैठे वे ज़िद करने लगे कि होटल में कोई गंदे कपड़ों
जीवन@शटडाऊन ---2 एपीसोड --1 घावों भरा साल बनाम विटामिन एम. -नीलम कुलश्रेष्ठ- फ़्लैश बैक नं. एकः “मैं तो आप के बेटे की कॉपी लेकर आपके घर आया था लेकिन आप लोग कहीं बाहर गये थे घर पर ताला था ...और पढ़े“कौन सी कॉपी ?” “आप के बच्चे की बोर्ड की परीक्षा की अंग्रेजी की कॉपी ।” “क्या?” फ़ोन पकड़ने वाला हाथ काँप गया, रक्त में जैसे चमकती बिजली ने झटका मारा हो, “मेरे बच्चे की कॉपी आपके पास कैसे आई?” “शायद आप मुझे ठीक से पहचान नहीं पाई हैं । मैं मिश्रा बोल रहा हूँ, श्याम बिहारी स्कूल का अध्यापक
एपीसोड –2 घावों भरा साल बनाम विटामिन एम. -नीलम कुलश्रेष्ठ- महिला शाखा ने वाकई कुछ काम कर दिखाया है । बहुत कड़े परिश्रम व समर्पण से मैंने इसे गढ़ा है । साथ में उसका भी नाम हो रहा है, ...और पढ़ेक्या ? कुछ महीनों बाद सकुचाई हुई सदस्याओं की बात सुन स्तब्ध हूँ । “आप लोगों का पेमेंट नही हुआ ? लेकिन मैंने व तृष्णा ने ‘पेमेंट रिपोर्ट’ अपने हस्ताक्षर करके मुख्यालय भेजी है।” उन लोगों से कुछ और भी अनियमितताएं जानकर मैं अंदर तक हिल गई हूँ । अध्यक्ष खबर करती हैं, “उसके घर कलर हो रहा था ।