Wrong Number - उपन्यास
Madhu
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
एक लड़की बेड पर बडो अजीबो गरीब स्थिति में जबरदस्ती खुद को बिस्तर पर डाले हुई थी कराहने कि आवाजे लगातार आ रही थी अपने हाथ से पेट को बार बार सलहा रही थी शायद असहनीय दर्द कम पड जाय लेकिन दर्द से छुटकारा पाने में नाकाम रही.......!!
मोबाइल कि घन्टी भी बार बार बज कर बन्द हो जाती,,,,, फिर घन्टी बजी बार बार बजने के कारण वो लडकी अपना पेट पकडे बाहर आकर मोबाइल को उठाती है....देखती है कोई wrong number का call आ रहा है वो इग्नोर करती बार बार आने कि वजह से झल्ला कर call उठाती है,,,, हैल्लो कौन......
उधर किसी लडके कि आवाज आई.... आपने काल कि थी....
लडकी....हैं.... मैने? नहीं मैने कोई काल नहीं कि वो तो आपकी हि काल आई है....कहा को काल कि है और कहा से बोल रहे हो....
लडका.....अरे आपने मिलाया था तभी हमने call कि है... आप बताओ कहा से बोल रही हो....
लडकी.... काल आपने मिलाया है तो आप बताओ कहा से बोल रहे हो,,,,,
लडका.... आप बताओ ना कहा से बोल रही हो,,,,
लडकी,,,,जहणुम से इतना कहकर call कट कर देती है,,,पता नहीं कहा कहा से call करते रहते हैं जब बताना नहीं होता है तो call करते हि क्यों है....पागल कही का,,,
लडका,,,,जहान्नुम अरे हम भी तो जहनुम में रहते है मिस राँग नम्बर धीमी से कहकर वो लडका मुस्कुराया,,,,
फिर अपने लिये किचेन में जाकर काफ़ी बनाया और पीने लगा,,,,
एक लड़की बेड पर बडो अजीबो गरीब स्थिति में जबरदस्ती खुद को बिस्तर पर डाले हुई थी कराहने कि आवाजे लगातार आ रही थी अपने हाथ से पेट को बार बार सलहा रही थी शायद असहनीय दर्द कम पड ...और पढ़ेलेकिन दर्द से छुटकारा पाने में नाकाम रही.......!! मोबाइल कि घन्टी भी बार बार बज कर बन्द हो जाती,,,,, फिर घन्टी बजी बार बार बजने के कारण वो लडकी अपना पेट पकडे बाहर आकर मोबाइल को उठाती है....देखती है कोई wrong number का call आ रहा है वो इग्नोर करती बार बार आने कि वजह से झल्ला कर call उठाती
वही याचना कि मम्मी याचना के पापा से आप क्यों नहीं कहते हैं कि याचना नौकरी छोडकर यहा आ जाय l हमारी पसंद के लडके से शादी कर ले उसे तो वैसे भी कोई पसंद नहीं करेगा एक तो ...और पढ़ेबेबाक अन्दाज ऊपर दिखने में खूबसूरती का ख भी नहीं लगती है l वहा जाकर अकेली रहती है कही किसी को पसंद वसन्द कर लिया या कोई उँचाई नीच हो गई तो क्या रह जायेगी हमारी इज्जत l याचना के पापा हा तुम सही कह रही हो मै आज हि बात करता हूँ मानने से मानी तो ठीक नहीं तो
याचना अपना फोन स्विच ऑफ़ था उसे ओन करती है तो देखती उसके दादा कि काल थी वो अपने भाई को दादा बोलती थी बाद में घर जाकर बात करुगी सुकून से ऐसा सोचकर फिर अपना काम करने लगी ...और पढ़ेअपना काम कर रही थी कि फोन वाइब्रेट हुआ देखा किसी wrong number का call था l वो ये ध्यान नहीं दि ये number उस दिन हि वाला था l याचना call उठाती हेल्लो कौन...... उधर से किसी लड़के कि आवाज आई आप कहा से बोल रही हो नाम क्या है आपका..... याचना..... गुस्सा तो बहुत आ रहा था खैर
वैसे आज सामर्थ्य और याचना का ओफ़िस में सामना नहीं हुआ l आज जैसी हि अपने फ़्लैट पर पहुची देखा लाक खुला हुआ उसके इस फ़्लैट कि चाभी याचना के अलावा अयाची के पास भी होती l वो ...और पढ़ेअन्दर जाती है तो देखती बहुत अच्छी खाने कि खुशबू आ रहा है l वो समझ जाती है कि उसके दादा रात का खाना तैयार कर रहे है l वो सोचने मे मगन थी कि किचेन से हि अयाची............ याचु फ़्रेश हो जा मै तेरे लिये दिनर लगाता हूँ वो भी तेरी पसंद का बना है l "जी
दोनों ढेरो बातो संग अपना खाना खत्म करते हैं l दादा मम्मी पापा कैसे है,, क्या उन्हें तनिक भी याद नहीं आती हमारी कि उनकी कोई बिटिया भी है l मै हूँ ना फिर तुम्हे क्या जरुरत है मेरे ...और पढ़ेप्यार से सिर पर हाथ फ़ेरते हुये कहता है अयाची ?नहीं ऐसी बात नहीं है आप ना होते तो शायद मै जिन्दा भी नहीं रहती ज़िन्दगी भर घुट घुट कर मर जाती है !!मेरे रहते तुम कभी घुट घुट कर नहीं जियोगी पूरी आजादी के साथ सही निर्यण के साथ जीवन जियो l एक बात हमेशा याद रखना मेरे बच्चे
याचना और अयाची बैठकर मूवी (हीरो सनी देओल और प्रीति ज़िन्टा) आधी हि हुई थी मूवी याचना बीच बीच में उघाने लगी l अयाची ; याचू तू सो जा जाकर मै पूरी मूवी देख कर हि सोऊगा l जी ...और पढ़ेकहकर चली गई अपने कमरे l अयाची ; मूवी देखने लगा l ......................कमरे में जाते ही वो सीधा बिस्तर पर पसर गई ,,पूरी नीन्द में जाने हि वाली थी कि उसका फोन बजने लगा (वो अपना फोन साईलेन्ट पर नहीं रखती थी, क्योंकि वो जब भी सो जाती थी पूरी कुंभ कर्ण बन जाती है कही किसी कि फोन आ
याचना और अयाची बैठकर मूवी ("हीरो "सनी देओल और प्रीति ज़िन्टा) आधी हि हुई थी मूवी ,,याचना बीच बीच में उघाने लगी l अयाची ; याचू तू सो जा जाकर मै पूरी मूवी देख कर हि सोऊगा l जी ...और पढ़ेकहकर चली गई अपने कमरे l अयाची ; मूवी देखने लगा l ......................कमरे में जाते ही वो सीधा बिस्तर पर पसर गई ,,पूरी नीन्द में जाने हि वाली थी कि उसका फोन बजने लगा (वो अपना फोन साईलेन्ट पर नहीं रखती थी, क्योंकि वो जब भी सो जाती थी पूरी कुंभ कर्ण बन जाती है कही किसी कि फोन आ
वो लडकी जैसे यहा होकर भी यहा नहीं थी ज़िन्दा लाश कि तरह लग रही थी l फिर से अर्जुन ने झँझोड़ा तब जाकर वो होश में आई l वो जाकर सीधे अर्जुन के गले लग गई बिलखने लगी ...और पढ़ेउसके गले लगने से अर्जुन जम सा गया उसके हाथ हवा में हि रह गए..... कुछ उसे बोलते ना बना!! वो लडकी सिसकते सिसकते हि अर्जुन के बाहो में झूल गई अर्जुन जल्दि से पकड लिया नहीं तो फिर से गिर पडती l यार क्या मुसिबत है अब अब मैं इसे कहा लेकर जाऊ ले उसे गोद में लिये ले
अयाची छत पर उन यादो को याद करके हाथ में पकडी हुई तस्वीर पर हाथ फ़ेरने लगा.....काश! मैने तुम्हे पहले हि बता दिया होता तो आज तुम्हॆ देखने के लिये तुम्हे महसूस करने के लिए तस्वीर का सहारा ना ...और पढ़ेपडता l यू अक्श बह चले यू तुम्हे याद करके यू होठ मुस्कुरा दिये तुम्हें देखकर करके यू टूट गया तुम्हें किसी और कि बाहो में देख करके!! या सिर्फ़ आंखों का धोखा था या सच्चाई हि कुछ और हो चली गर कुछ कह दिये होते तो यू मलाल ना होते यू अक्श बह चले यू तुम्हें याद करके यू
चन्द्रा मन में......अब तुझे क्या बताऊ तेरे दादा मेरे दिल में कब बस गये मुझे भी नहीं पता चला काश उनसे मिलना होता!!चिढने कि कोई खास वजह नही है बस जब तू मेरे साथ हुआ कर तो मेरी रहा ...और पढ़ेना कि अपने दादा कि समझी तू मेरे वक़्त पर तुझ पर मेरा अधिपत्य है l हाय मेरी हिरोईन इणा परेम हाय मरजावा मुस्कुराने लगी चन्द्रा के गले लग गई l वैसे हिरोईन ये बता मैनू तो मणे इतना परेम करे है तो.... आगे बोल l तो क्या तू फिर अपने उनसे क्या परेम करेगी कहकर इस बार जोरो से
कुछ दिन तक याचना के साथ रुक अयाची वापस आ गया था l याचना और सामर्थ्य काल और मेसेज के जरिये बात हुई ओफ़िस में उन दोनों कभी मुलाकात नहीं हुई l दोनों अब काफ़ी सहज हो गये लेकिन ...और पढ़ेहि एक दूसरे से बिल्कुल अन्जान थे यहा तक नाम और पता भी नहीं जानते थे l शिखर और सामर्थ्य दोनों हि अभी इसी शहर में हि थे l उधर अर्जुन भी अपनी हि दुनिया में मग्न था गाहे बगाहे उसे मैत्री कि याद आ जाती थी उसे देखने कि तलब उठती थी l लेकिन मिलने नहीं गया l उसका
कुछ घण्टो में सामर्थ्य अपने पैतृक घर...बाहर खड़ा था...... अपने घर को हि देखे जा रहा था कितने वक़्त बाद यहाँ था !कितनी हि यादे जुडी थी अपना बचपन माँ पापा का लाड दुलार अनुशासन सब तो यही सीखा ...और पढ़ेऐसा नहीं था कि उसे चाह नहीं थी आने कि बस अपने सपने को मुकाम देने के लिए दूर था बस दूरियो से दूरी थी ना कि दिल से l सामर्थ्य घर कि चौखट पर पहुंचा था कि एक रौबदार आवाज से उसके कदम ठिठक गये l वही ठहर जाओ! चौककर देखने लगा उसे अपने पिता कि शख्सियत का अंदाजा
कामिनी जी याचना कि ओर एक नजर डाल...... अयाची कि ओर देख जो खुद सिर झुकाय बैठा था l याचना दो दिन बाद तुम्हारी शादी है तो तैयार रहना कोई तमाशा नहीं होना चाहिए! समझी?याचना चौक उठी आश्चर्य से ...और पढ़ेमम्मी को देखे जा रही कभी अपनी मम्मी को देखती कभी पापा कभी अपने दादा को! याचना एक टक अपने दादा को देखे जा रही थी उसके दादा उससे नजरे चुरा रहा थे याचना कि जब निगाहो कि तपिश सह ना पाय तो झूठी मुस्कुराहट के साथ उठकर उसके सिर पर हाथ फ़ेर कर चले जल्दी से चले गये l
अब तक आपने पढा सामर्थ्य मैत्री के कमरे आकर उसका सिर सहलाने लगता है किसी के स्पर्श से मैत्री चिहुक उठी अपने बराबर में सामर्थ्य को देख मुहँ फ़ेर दिया l अब आगे....! बच्चा कैसे हो आप? मुझे माफ़ ...और पढ़ेदो इतने दिन तुमसे दूर रहा l अब नहीं जाऊगा छुटकी प्यार से उसका सिर सहला दिया l पक्का ना भाई अब तो आप नहीं जाओगे ना मासूमियत से मैत्री बोली l जाकर सीधा सामर्थ्य के गले लग बिलख पडी l नहीं नहीं छुटकी रोते नहीं उसका सिर पर थपकी देने लगा l अपनी बहन को ऐसे रोते देख सामर्थ्य
ठीक है मै कल शाम तक पहुंच जाउगी l अपना ख्याल रखना अच्छे से किसी और के लिये नहीं मेरे लिए समझी तू जरा सी भी अनफ़िट दिखी तुझे छोडोगी नहीं समझी चल बाय l ठीक है मेरी जान ...और पढ़ेख्याल रखुगी l इज्ज़तचन्द्रा खुद से हि कुछ तो मुझसे छिपा रही है अब कल आकर हि पता चलेगा l तेरे दादा कैसे मान गये? अपना सिर झटका अपने कपड़े पैक करने लगी l चन्द्रा से बात कर याचना कि पूरी नींद हि उड गई l अपने सिर पर हाथ धर बैठ गई क्या कहुगी? कैसे उसे समझाऊगी कितनी तो
हाँ हाँ वैसे भी तेरे से कुछ होने से रहा अच्छा हुआ तेरे डैड हि ने तेरा ब्याह तय कर दिया l कहकर खुलकर मुस्कुरा पडा l तेरे कहने क्या मतलब तेरे से कुछ होने से रहा कहकर एक ...और पढ़ेजमा दि शिखर के पीठ पर l ऊऊऊऊउ माँ मार डाला रे! इतनी तेज चीखा कि मैत्री भागते हुये कमरे आ गई क्या हुआ इतने जोर क्यों चीखे? हैरान परेशान सी बोली l सामर्थ्य कुछ नहीं इसे दौरा पड़ने लगते हैं वक़्त पर वक़्त बेपरवाही से सामर्थ्य मैत्री से बोला l सामर्थ्य कि बात सुन मैत्री बड़ी बड़ी आंखों से