Wrong Number - 12 Madhu द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Wrong Number - 12







कुछ घण्टो में सामर्थ्य अपने पैतृक घर...बाहर खड़ा था......
अपने घर को हि देखे जा रहा था कितने वक़्त बाद यहाँ था !कितनी हि यादे जुडी थी अपना बचपन माँ पापा का लाड दुलार अनुशासन सब तो यही सीखा था! ऐसा नहीं था कि उसे चाह नहीं थी आने कि बस अपने सपने को मुकाम देने के लिए दूर था बस दूरियो से दूरी थी ना कि दिल से l

सामर्थ्य घर कि चौखट पर पहुंचा था कि एक रौबदार आवाज से उसके कदम ठिठक गये l

वही ठहर जाओ!

चौककर देखने लगा उसे अपने पिता कि शख्सियत का अंदाजा था ऐसा हि कुछ होगा! फिर अपनी नजरे नीची कर ली l

अब इस दहलीज तभी लान्घोगे जब तुम शादी के हा बोलोगे
जिससे भी कराया जायगा उससे करोगे ये हमारा अंतिम फ़ैसला है हमने तुम्हारी हर ज़िद पूरी कि! आशा है कि हमारी बात का विरोध ना होगा सहर्ष स्वीकार करोगे l अपनी बात कहकर खमोशहो गये l

आश्चर्य से वो अपने पिता को देखे जा रहा था मानो कह रहा हो शादी कोई बच्चों का खेल नहीं है ताउम्र भर का साथ बिन जान पहचान मिले हि कैसे शादी कर लू!

शादी कि बात सुनकर उसे मिस राँग नम्बर का ख्याल आ गया बिन देखे हि उसके दिल के कोने में घर बना लि है!

अपने पिता के पास खड़े उसकी माँ भी भरीआँखो से हतोत्साहित से देख रही थी l मानो कह रही हो हा कह दो l
वो अपने पति का स्वाभाव अच्छे से जानती थी उनकी मुहँ से निकला हर एक शब्द पत्थर कि लकीर है l

अपने माँ कि ओर देख सामर्थ्य कुछ कह ना सका अपनी कुछ सोच पिता कि बात को स्वीकार कर लिया l

अब तुम आ सकते हो l शादी दो दिनों के भीतर हि है सारे इन्तजाम हो गये बस खुद के लिये कपड़े ले आना बिना सामर्थ्य से मिले उसका जवाब ले हि चले गये l

सामर्थ्य तेजी से आकर अपनी माँ के गले लग गया l उसकी माँ भी लग गई दोनों कुछ वक़्त साथ युही खड़े रहे l



सामर्थ्य..... छुटकी कहा है?

व... वो कमरे में है!

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याचना भी अयाची के साथ घर आ गई थी अयाची ने उसे कुछ बताया नहीं था यहा अपने घर में उसे बताता l अयाची चन्द्रा को बोल दिया था एक दिन बाद वो भी अपनी मम्मा के साथ आ जाये थोड़ी बाते अयाची और चन्द्रा में हुई थी l जिस तरह अयाची बात कर उसकी बाते बड़ी गम्भीर पूर्वक लग रही थी याचना और चन्द्रा कि हिम्मत नहीं पडी कुछ भी पूछने कि याचना को लेकर अयाची घर आ गया था याचना ने मेल कर दिया छुट्टी का l चन्द्रा भी अपने घर आ गई थी क्योंकि उसे भी याचना के घर निकलना था l



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याचना का घर

याचना इस वक़्त अपने में थी अपने हि ख्यालो में गुम थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके दादा उसे क्यों यहा लाय है वो भी कुछ बता नहीं रहे हैं उनके चेहरे का तेज भी फ़ीका लग रहा है जैसे वो कुछ कहना चाह रहे हो पर कह ना पा रहे हो!

तभी उसके कमरे को किसी ने नोक किया...
याचना तुम अन्दर हो क्या फ़ौरन हमारे कमरे में आओ आओ तुम्हारी मम्मी कुछ बात करेगी l

हा रहे है हम!

याचना कमरे में पहुँच देखा उसकी मम्मी पापा और दादा थे

अपनी मम्मी पापा को देख उसके मन टीस हुई जब से वो आई थी एक बार भी नहीं पूछा बेटा कैसी हो वहा ठीक से रहती हो कि नहीं समय पर खाती हो कि नहीं ना हि एक बार सिर पर प्रेम भरा स्पर्श किया l अजनबियो जैसे उसके मम्मी पापा बर्ताव कर रहे थे l

अरे अजनबी लोगों को के साथ रहते रहते भी लगाव हो जाता अपनियत आने लगती है क्या उन्हें एक बार भी महसूस नहीं होता है मै उनकी खुद कि बेटी हूँ ?
(याचना नहीं जानती है कि उसके मम्मी पापा उसके रियल माँ बाप नहीं है!)


कामिनी जी याचना कि ओर एक नजर डाल...... अयाची कि ओर देख जो खुद सिर झुकाय बैठा था l

याचना दो दिन बाद तुम्हारी शादी है तो तैयार रहना कोई तमाशा नहीं होना चाहिए! समझी?

याचना चौक उठी आश्चर्य से अपनी मम्मी को देखे जा रही कभी अपनी मम्मी को देखती कभी पापा कभी अपने दादा को!


जारी है!!