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Wrong Number - 15









ठीक है मै कल शाम तक पहुंच जाउगी l अपना ख्याल रखना अच्छे से किसी और के लिये नहीं मेरे लिए समझी तू जरा सी भी अनफ़िट दिखी तुझे छोडोगी नहीं समझी चल बाय l
ठीक है मेरी जान अपना ख्याल रखुगी l इज्ज़त

चन्द्रा खुद से हि कुछ तो मुझसे छिपा रही है अब कल आकर हि पता चलेगा l तेरे दादा कैसे मान गये?

अपना सिर झटका अपने कपड़े पैक करने लगी l

चन्द्रा से बात कर याचना कि पूरी नींद हि उड गई l अपने सिर पर हाथ धर बैठ गई क्या कहुगी? कैसे उसे समझाऊगी कितनी तो पोसेसिव है मेरे लिये l ओह गोड! क्या करु! कुछ सोचकर याचना फिर से बिस्तर पर पसर गई l एक बार अपना फोन देखा आज एक बार भी मेसेज या काल नहीं आई ऐसे तो कितनी बार हि आ जाता है सब ठीक तो होगा? जब वक़्त मिलेगा तो खुद हि कर लेगा मि राँग नम्बर! वैसे अब क्या बात होगी नये रिश्ते में बान्धी जा रही हूँ ना चाहते हुये भी आंख से एक कतरा बह हि गया !खुद संयत कर थोड़ा सोकर सुकून पा लु वैसे भी ज़िंदगी मेरे मजे ले हि रही है l

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अगले दिन.....
याचना के घर में जोरो शोरो से तैयारी होने लगी थी शादी भी सिम्पल तरिके से होनी थी जादे मेहमानो को नहीं बुलाया गया था l अयाची हर चीज़ बहुत ही ध्यान से देख रहा था कही कोई कमी ना रह जाय! मलाल है उसे अपनी बहन के लिये कुछ कर नहीं पा रहा है l अपने माँ पापा के आगे बेबस सा हो गया है l जिससे याचना कि शादी होनी थी उससे मिलने के लिये माँ पापा से पूछा तो साफ़ साफ़ मना हो गया बस इतना बता दिया कि वो बडा बिसनेस मैन है नाम सामर्थ्य है एक छोटी बहन है माँ पापा l इतना जानना तुम्हारे लिए जरूरी है बस कहकर बात वही खत्म कर दि l अयाची अपनी बातों में इस कदर गुम था कि उसे होश हि नहीं रहा कि कोई उसे बहुत बूरी तरह से घूर रहा है l
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सामर्थ्य का घर....!
छुटकी तू तैयार हो जा तुम्हारे लिए शोपिन्ग करने चलते हैं अपनी लिस्ट बना लो क्या चाहिए मैं बस रेडी होकर आ रहा हूँ l शिखर भी आता होगा साथ में चलेगे l आफ़्टर आल तुम्हारे भाई की शादी है उसका गाल सहला कर चला गया l बाहर आते ही मुस्कान हि गायब हो गई l गम्भीर सा चेहरा लिये अपना कमरे रेडी होने लगा l फोन उठाकर देखा मेसेज करने के लिए टाइप किया सेंड करने जा हि रहा था कि रुक गया l मिस राँग नम्बर अब शायद हि..... चुप हो गया!!


!!कुछ चाहते अधूरी हि रह जाती है!!


कहकर अपनी नम आंखों को पोछ दिया l सैम तू अब तक रेडी नहीं हुआ है मैं तो आ भी गया इतनी दूर से बाहर से हि चिल्लाते हुये सीधा सामर्थ्य के कमरे में घुस गया l सामर्थ्य.... हा मैं रेडी हो रहा हूँ तू सीधा घर आ गया अपने घर गया था कि नहीं अपने शर्ट कि बटन बंद करता हुआ बोला l
नहीं क्या करने जाऊ दिवारे देखने जाऊ क्या? तेरे बिना तो वैसे भी नहीं जाता तू तो था हि नहीं l (शिखर के माँ पापा नहीं है बचपन में चल बसे थे बड़े भाई भाभी है तो वो लोग काम के सिलसिले में दूसरे शहर में रहते है!) और ये सब छोड ये बता तू इतनी जल्दी शादी के लिये कैसे मान गया l मुझे तो सुनकर कुर्सी पर बैठा था कि धडाम से गिर गया था यार l मासूमियत से शिखर बोला l
अरे यार अपने पूज्य पिता जी का सब किया धरा है बोले शादी करनी है अब तू तो जानता है डैड से क्या हि कहता उनके सामने वैसे भी मुहँ नहीं खुलता मेरा l वो भी दो दिन के अंदर बताओ भला l
हा हा हा वैसे भी तेरे से कुछ होने से रहा अच्छा हुआ तेरे डैड हि ने तेरा ब्याह तय कर दिया l कहकर खुलकर मुस्कुरा पडा l
तेरे कहने क्या मतलब तेरे से कुछ होने से रहा कहकर एक धौल जमा दि शिखर के पीठ पर l

जारी है...!


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