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Wrong Number - 18

अयाची के ऐसे पलटते देख याचना कि आंख नम हो गई l
कुछ नहीं कह रहे तेरे दादा वादा समझी!!! चुपकर चल मेरे साथ l उसे लगभग अपनी तरफ़ खिचते हुये बोली

याचना खुद को संयत कर..... चन्द्रा तू इतने देर से क्यों आई है आखिर हमारी शादी और हमारी एकलौती सखी हो तुम!!!

चन्द्रा याचना को आश्चर्य से देखती हुई!! तू पागल वागल हो गई है! क्यों क्यों कर रही है शादी?

सभी शादी करते हैं मैं भी कर रही हूँ! मैं बहुत खुश हूँ अब तू कुछ मत कहियो तुझे मेरी कसम है!!! और हाँ शादी के मजे लो और मुझे भी लेने दो!!

चन्द्रा कुछ नहीं बोली बस घूरती रही!
अब ऐसे क्या घूर रही है?

क्यों मेरी आंखॆ हैं! घूरु या देखु तुझे उससे क्या? कहकर चन्द्रा फ़ौरन हि बाथरूम के ओर रुख कर ली l

तेरा दिमाग खराब हो गया है पागल महिला!!

हाँ तेरे साथ रहते रहते हि मेरा दिमाग हिल गया है समझी गधी महिला! चन्द्रा बाथरूम के दरवाजे से झाँक कर बोली झट से दरवाजा बन्द भी कर ली !


अच्छा उसे घूरने लगी तब तक दरवाजा बन्द हो चुका था! उसके जाते ही याचना एक बार फिर अपने दादा का व्यवहार कचोटने लगा!


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शाम तक दोनों हि घरो में हल्दी और मेहँदी कि रस्म हो गई थी!
याचना अपने कमरे में बैठी उस अननोन नम्बर वाले शख्स को याद करने लगी वो दोनों हि एक दूसरे को नहीं जानते यहाँ तक नाम भी नहीं ना हि दोनों एक दूसरे से पूछने कि भी कोशिश कि हो और वैसे भी एक दूसरे को पता लगाना कोई मुश्किल ना था! एक दूसरे से बात करते करते कब आदत हो गई उन्हें भी ना पता चला! खैर वो अब क्या कर सकती थी उसकी शादी होने जा रही थी उसने एक बार भी उस तस्वीर को ना देखा जो उसकी मम्मी रख गई थी! बस ये शादी अपने दादा के मान रखने के कारण कर रही थी कुछ तो उसके दादा कि आँखों में जो उसे बताना चाह रहे थे लेकिन कह ना पा रहे हो!
हाथों में लगी मेहँदी और उस खूबसूरती से सजाया हुआ उसके दुल्हे के नाम पर भी निगाह ना फेरी थी! एक लड़की की शादी होती है तो कितने हि खूबसूरत रंगों से लबरेज रहती है कितनी चमक चेहरे से झलकती है होठो पर शर्मीली सी मुस्कराहट भी लेकिन अपनी याचना उसे तो ऐसा कुछ अहसास हि ना हुआ ना हि वो करना चाहती थी!

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चंद्रा छ्त पर कुछ समान रखने गई थी जो कि याचना कि मम्मी ने भेजा था छत भी लाइट कि रौशनी से नहाया हुआ था शादी वाला घर था सब जगह रौशनी कर दि गई थी! इस वक़्त छत पर कोई नहीं था वो जाने लगी कि किसी कि बुदबुदाहट पर रुकी उसने पीछे मुड़कर देखा कोई दिखा ना उसे आवाज तो आ हि रही थी वो उस आवाज कि दिशा की ओर गई देखा.......अयाची आंखें बंद दोनों हाथ फोल्ड किये हुये था क्षमा करना मेरे बच्चे तुम्हारे साथ बेगानो जैसा बर्ताव कर रहा हूँ जानता हूँ बहुत तकलीफ हो रही होगी पर मैं क्या करू बहुत बेबस हूँ मेरे बच्चे ये सब कहते हुये उसकी आँखें नम होती जा रही थी !
वो इतना धीरे धीरे बोल रहा था कि अगर कोई सुनता बहुत ध्यान लगाना पड़ता ऐसे खाली बुदबुदाहट सुनाई पड़ी रही थी!
अयाची इतना गुम था कि उसे अहसास हि ना हुआ कि कोई उसके नजदीक खड़ा उसकी बातें सुन रहा है! इस वक़्त अयाची टिशर्ट और लोवर में था बाल माथे पर बिखरे थे एक कान में में बाली पहनी हुई थी जो उसे और भी खूबसूरत बना रहे थे इससे पहले तो चन्द्रा ने कभी इतने नजदीक से देखा ना था तो वो आज बड़े ध्यान से अयाची को देख रही थी और लब भी उसके खुल बन्द हो रहे थे! उसे देखने में इतनी मग्न हो गई उसे ध्यान हि नहीं रहा है वो इस वक़्त कहाँ और किसे देख रही है!!

बहुत खूबसूरत लग रहा हूँ.......

हाँ बेहद....

कभी देखा नहीं था क्या?

ना कभी ना इतनी हिम्मत हि ना पड़ी....

तो अब कैसे आ गई....

क्या?

हिम्मत....

हैं...? उसे ध्यान आया अभी अभी वो क्या बोल गई!
वो अचकचा गई वो उसके बेहद करीब खड़ा था दायरा बनाकर घूरती आंखों के संग फिर भी वो असहज हो गई!

वो झटक के उससे दूर हो गई....

क्या हुआ? तुम्हें देखना था तो तुम्हारे समीप आ गया जिससे तुम्हें परेशानी ना हो!


नहीं... मैं.. तो.. वो... उसके इस तरह बोलने से हड़बड़ा गई!

मिस चन्द्रा आपको पता नहीं इस वक़्त आप कहाँ और किससे साथ है !

हाँ तो.... उसके इस तरह बोलने से चन्द्रा सम्भलकर तीखे तेवर से बोली!

तो कुछ नहीं जाओ यहाँ से !उसका लहजा देख अयाची फिर से आसमान कि ओर देखने लगा !

क्यों जाऊ?उसी हठ से बोली!

वो मुड़कर चन्द्रा को देखा फिर आसमान कि ओर देखने लगा क्योंकि वो जानता था अगर उसकी मम्मी या पापा ने देख लिया तो बवाल मचा देंगे! इसलिए वो खामोश हो गया!

तुम रो क्यों रहे थे? जब इतनी तकलीफ़ हो रही है तो क्यों याचना कि शादी कर रहे हो ? वो उसे गहरी नजरों से देखते हुये बोली!

........


कुछ बोलेगे !

..........

प्लीज़ कुछ तो कहो मैं जानती हूँ तुम कितना प्यार करते हो याचना से उसकी खुशी जाने बगैर उसकी शादी ना करते! उसकी खुशी के धरती अम्बर एक करने पर तुल जाते हो कोई तो बात जरुर है तभी तो तुम चुप हो!


उसका इतना ही कहने से अयाची कि आंख एक बार फिर नम हो गई! वो उसे बता नहीं सकता था इतना किसी से भी खुलता नहीं था अपने भावनाओ के लिये तो खासकर !


प्लीज़ तुम मुझ पर भरोसा कर सकते हो !!!चन्द्रा उसके कन्धे पर हाथ रख दि!

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है कह उसका हाथ झटक दिया चन्द्रा तुम कुछ ज्यादा हि सोच रही हो प्लीज़ यहाँ से जाओ!

नहीं बिल्कुल भी नहीं!

क्यों पीछे पड़ी एक बार में समझ नहीं आ रहा है! उसका बर्ताव ना चाहते हुये भी कठोर हो गया!


क्योंकि मेरी याचना कि जिंदगी का सवाल है समझे तुम !!उसका इस तरह बात करने से उसे भी गुस्सा आ गया!


तमीज नहीं है तुम्हें बात करने कि... कि मैं याचना का दादा हूँ! उसके इस तरह हठ से खीजने लगा!

याचना के हो तुम दादा वादा मेरे नहीं समझे!

क्यों तुम्हारा क्या हूँ फिर! उसका लहजा बदल गया वो शरारत से बोला!

उसका लहजा देख! बात मत बदलो तु..तुम्हें याचना कि कसम! आखिरकार उसने ये हथियार इस्तेमाल किया!

उसका इतना बोलने से वो कठोरता से उसे देखने लगा माथे कि नसे तन सी गई! उसने मुक्का जड़ दिया तेजी से दीवार पर!

सहम गई कहिं उसे हि ना जड़ देता अयाची ! खुद को संयत कर तुम पागल वागल तो नहीं हो गये हो ?अगर वो चली जायेगी तो कभी इस बात का पता नहीं चलेगा कि क्या वजह रही याचना कि शादी का! इसलिए वो वही डटी रही!

हाँ हो गया हूँ क्या जरूरत है तुम्हें कसम देने की!

क्योंकि तुम भी घुट रहे हो तुमको भी दर्द हो रहा है!

तो तुम्हें उससे क्या? मैं मर हि क्यों ना...... तब तक चन्द्रा ने तेजी से उसका मुहँ बन्द कर दिया हाथ रखकर!

चन्द्रा उसके ऐसे शब्द सुनते हि उसकी आँखें नम हो गई थी!

वो उसे हैरानी से देखने लगा! वो अपना ना में सिर हिला रही थी! उसकी आँखो में कितने हि जज्बात थे!

उसने तेजी से अपना दायरा तोड़ते हुये उसे खुद में हि भींच लिया! चन्द्रा ने भी अपनी बाँहे कस दी!

अब कुछ भी कहने कि जरुरत ना थी उनके रिश्ते को लेकर! वो सब सम्भाल लेता!

कुछ देर युही खड़े रहे!

अब बताओ क्या बात है? चन्द्रा खुद को संयत कर बोली अपनी भावनाओं में वो बह गई थी!

अयाची भी उससे नजर चुराने लगा! उसे अपने दायरे में हि रहना था! कुछ रुककर वो बोला.......


क्योंकि मम्मी पापा ने कसम दी है उसका सच बता देने का!

हैं...? उसे वाक्यी कसम वाली बात समझ ना आई!

बायोलोजिकल मम्मी पापा नहीं है याचना के मेरे मम्मी पापा! कितना दर्द हो रहा था उसे ये सब बताने में!

हओ अपने मुहँ पर हाथ रख लिया! चन्द्रा कुछ बोल हि ना सकी कुछ समय तक तो!

तुम ठीक तो हो ना! जानती थी कितना पीडा हो रही होगी कह उसके कन्धे पर हाथ रख दिया!

अयाची उसे भरी भरी आंखों से देखने लगा क्योंकि वो जानता था कि याचना उसकी बहन से बढकर है उसे जिंदगी में खुशिया देने का उसकी आँखो में आँसू ना देने का वादा कर उसे दर्द और आंसू दे रहा है!

तुरंत हि चन्द्रा ने उसे गले लगा लिया उसके सिर पर थपकी देने लगी इतना वात्सल्य मिलने पर वो बिलख पड़ा! उस आलिंगन में कितने हि भाव थे!

ठीक हो ना तुम ... उसका सिर पर हाथ धरते हुये बोली!

महादेव सब ठीक करेंगे !तुम परेशान मत हो!

हाँ !!उससे दूर होता हुआ बोला तेजी से अपने आंसू पोछ दिये!

अब तुम जाओ अब बहस मत करना कह उससे मुहँ फेर लिया!

मैं बहस करती हूँ !!आश्चर्य से बोली!

हाँ! देखो अभी तैयार हि बैठी हो!

हुन्ह मुहँ बिचका दिया! उसके बाल बिगाड़ते हुये
अब तो खूब करुगी बहस कह भाग गई!

वो अवाक सा उसे देखता रहा..... कुछ पल रुक पागली कह मुस्कुरा पड़ा!


















क्रमशः!













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