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कामवाली बाई - उपन्यास
Saroj Verma
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
गीता एक नौकरानी है,जो लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा बरतन करके अपना और अपने परिवार का पेट पालती है,यूँ तो उसकी उम्र अठारह साल है लेकिन दुनिया को समझते समझते उसमें इतनी समझदारी आ गई हैं कि उसे अब लगने लगा है कि वो समय से पहले बूढ़ी हो गई है,अपने माँ-बाप के सभी बच्चों में वो बहुत ही खूबसूरत है,इसलिए तो उसका बापू उससे नफरत करता है,नफरत करने की वजह ये नहीं है कि वो बहुत खूबसूरत है बल्कि उसकी वजह कुछ और ही है,
इस बात के लिए उसके बापू को उसकी अम्मा पर शक़ है,क्योंकि उसके इस दुनिया में आने से पहले उसकी माँ कावेरी किसी साहब के चक्कर में फँसी थी,वो साहब तलाकशुदा और बहुत ही सुन्दर-गोरा चिट्टा था और अच्छा खासा पैसा कमाता था,कावेरी उसके यहाँ खाना बनाने जाती थी,धीरे धीरे कावेरी उसके प्यार में पड़ गई और उसका ज्यादातर समय साहब के घर में ही बीतने लगा,उसके बाद गीता कावेरी की जिन्दगी में आई,तो गीता के बापू सियाराम को पूरा यकीन है कि गीता उसी साहब की सन्तान है,सियाराम ने वैसे भी अपने परिवार के लिए आज तक कुछ नहीं किया,जीवन भर दारू पी है और जुएँ में पैसा हारा है,बेचारी कावेरी हर रात खाना खाने से पहले उसके हाथों से मार खाती थी,जब सियाराम उसके साथ ऐसा व्यवहार करने लगा तो कावेरी ने भी खुद को खुश रखने और सियाराम से बदला लेने के लिए साहब से सम्बन्ध बना लिए,
गीता एक नौकरानी है,जो लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा बरतन करके अपना और अपने परिवार का पेट पालती है,यूँ तो उसकी उम्र अठारह साल है लेकिन दुनिया को समझते समझते उसमें इतनी समझदारी आ गई हैं कि उसे अब ...और पढ़ेलगा है कि वो समय से पहले बूढ़ी हो गई है,अपने माँ-बाप के सभी बच्चों में वो बहुत ही खूबसूरत है,इसलिए तो उसका बापू उससे नफरत करता है,नफरत करने की वजह ये नहीं है कि वो बहुत खूबसूरत है बल्कि उसकी वजह कुछ और ही है, इस बात के लिए उसके बापू को उसकी अम्मा पर शक़ है,क्योंकि उसके इस
गीता मिसेज शर्मा के घर पहुँची ही थी कि उनकी सास शकुन्तला देवी जो आज ही प्रयाग से उनके घर आईं थीं,वें बोलीं.... ए लड़की तू कितनी देर से आईं हैं,घर का पोछा झाडू़ नहीं हुआ अब तक,मुझे आज ...और पढ़ेके लिए कितनी देर हो गई... वो अम्मा जी!कहीं उलझ गई थी इसलिए देर हो गई,गीता बोली।। मैँ तेरे सब बहाने जानती हूँ,अब खड़ी खड़ी मेरा मुँह क्या ताक रही है चुपचाप काम पर लग जा,शकुन्तला देवी बोलीं.... जी!अम्मा जी!और इतना कहकर गीता ने अपने दुपट्टे को कमर के चारों ओर लपेटा और झाड़ू उठाकर काम पर लग गईं,जब अकेले
गीता एक दिन अपनी बहन लक्ष्मी के घर गई थी,घर का दरवाज़ा खुला हुआ था इसलिए गीता भीतर चली गई,लेकिन वहाँ पहुँचकर उसने जो देखा वो देखकर उसने अपनी आँखें मींच लीं,उसकी बहन लक्ष्मी किसी आदमी के साथ नग्नावस्था ...और पढ़ेबिस्तर पर थी,जैसे ही लक्ष्मी की नजर गीता पर पड़ी तो उसने चादर ओढ़ ली और उस आदमी ने भी वहीं पड़ी लक्ष्मी की साड़ी से अपना तन ढ़क लिया,गीता का मन ग्लानि से भर गया और वो सीधे घर से बाहर चली गई..... गीता ने घर पहुँचकर अपनी माँ कावेरी से तो कुछ नहीं बताया लेकिन मन ही मन
गीता ने रोमा मेमसाब के घर का काम छोड़कर एक नये घर का काम पकड़ लिया और वो थीं डाक्टर सुभद्रा कुलकर्णी और उनके पति भी डाँक्टर थे जिनका नाम वासुदेव कुलकर्णी था,उन दोनों की अपनी खुद की क्लीनिक ...और पढ़ेजिसे वें दोनों मिलकर सम्भालते थे,काम में इतने ब्यस्त रहते थे कि उन्हें अपने बेटे हर्षित के लिए फुरसत ही नहीं मिलती थी,इसलिए उनका बेटा बोर्डिंग में पढ़ा था,लेकिन अब उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और उसने अपने ब्यस्त माँ बाप को देखकर पहले ही अपने माता पिता की तरह मेडिकल की पढ़ाई करने से इनकार कर दिया था,वो
गीता का दिमाग़ हिल चुका था, डेनियल और हर्षित के बीच के सम्बन्ध को जानकर,वो अब मिसेज कुलकर्णी के घर काम पर जाती थी तो उसे हर्षित के बारें में सोचकर कुछ अज़ीब सा लगता था,अब वो हर्षित से ...और पढ़ेतरह से बात नहीं करती थी जैसा कि पहले किया करती थी,ये बात हर्षित ने भी नोटिस की थी कि अब गीता उससे पहले की तरह बातें नहीं करती थीं,एक दिन जब गीता उसके कमरें मेँ खाना देने गई तो उसने गीता से पूछ ही लिया.... क्या बात है गीता?आजकल तुम मुझसे पहले की तरह बात नहीं करती, भइया!ऐसी कोई