Prabodh Kumar Govil लिखित उपन्यास अपने साथ मेरा सफ़र

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अपने साथ मेरा सफ़र द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
मुझे अपने आरंभिक दिनों से ही ऐसा लगता था कि समाज के कुछ लोग मेरे मन पर बहुत असर डालते हैं। मैं ये कभी समझ नहीं पाता था क...
अपने साथ मेरा सफ़र द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
दो. टीनएज बीतते ही ज़िंदगी की अपने पैरों पर चलने वाली दौड़ शुरू हो गई। एक आम इंसान की तरह मैं भी रोटी, कपड़ा, मकान के लि...
अपने साथ मेरा सफ़र द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
तीन. अपनी ऐसी समझ के चलते ही साहित्यकारों के प्रति एक आंतरिक अनुभूति मुझे भीतर से प्रेरित करती कि किसी लेखक या साहित्यका...
अपने साथ मेरा सफ़र द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
चार. इस पृष्ठभूमि के साथ ही आपको एक और बात बताना भी ज़रूरी है। ये साहित्य को लेकर की जाने वाली रिसर्च या शोध से संबंधित...
अपने साथ मेरा सफ़र द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
पांच. इसका एकमात्र हल यही है कि जो कुछ लेखकों द्वारा लिखा जाए उसे पहले कुछ समय तक पाठकों के लिए बाज़ार में छोड़ दिया जाए...