Veera Humari Bahadur Mukhiya book and story is written by Pooja Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Veera Humari Bahadur Mukhiya is also popular in महिला विशेष in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
वीरा हमारी बहादुर मुखिया - उपन्यास
Pooja Singh
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
"हैलो !इशिता"
"हाय!पायल "
"तेरी फाइटींग की ट्रेनिंग पूरी हो गयी"
"हां!"
"अब क्या करगी "
"मैं सोशल वर्क करूंगी मां की यही इच्छा थी"
"अच्छा है!तो तू अचलापूर में काम कर ले वहां की हालत काफी खराब है"
तभी
"तू पागल है
" अरे !शिखा तू "
"पता है वहां की हालत इसलिए खराब है क्योकि वहां डकैट है "
"तो क्या हुआ शिखा मैं सब कुछ हैंडल कर लूंगी अब तो मैं वहां ही सुधार करूंगी .....कल मैं वहां जाऊंगी "
"ठीक है तेरी मर्जी बेस्ट आफ लक "
इशिता अगले दिन अचलापूर पहुंचती है
"मैम !मैं इससे आगे नहींं जा सकता आगे डकैत कार वार को लुट लेते है " ड्राइवर ने कहा
"ठीक है !तुम जाओ........यहां कोई रहता भी है इतना विराना "
अचलापूर में इतनी शांती देखकर इशिता हैरान रह जाती तभी कोई दिखता है
"एक्सक्यूज़ मी! यहां कोई रहता भी है नहीं"
"है !पर आप कौन ?यहां किससे मिलना है"
"हैलो !इशिता""हाय!पायल ""तेरी फाइटींग की ट्रेनिंग पूरी हो गयी""हां!""अब क्या करगी ""मैं सोशल वर्क करूंगी मां की यही इच्छा थी""अच्छा है!तो तू अचलापूर में काम कर ले वहां की हालत काफी खराब है"तभी"तू पागल है " अरे !शिखा तू ...और पढ़ेहै वहां की हालत इसलिए खराब है क्योकि वहां डकैट है ""तो क्या हुआ शिखा मैं सब कुछ हैंडल कर लूंगी अब तो मैं वहां ही सुधार करूंगी .....कल मैं वहां जाऊंगी ""ठीक है तेरी मर्जी बेस्ट आफ लक "इशिता अगले दिन अचलापूर पहुंचती है "मैम !मैं इससे आगे नहींं जा सकता आगे डकैत कार वार को लुट लेते है " ड्राइवर
"हम आपको सब से मिलवाते है ........पहले इनसे मिलिए ये है हमारे मेयर जी हममे सबसे बहादुर ...पर गांव के दुश्मनो ने इन्हे आज इस हाल में पहुंचा दिया इनका चलना मुश्क़िल हो गया है... " तभी "मैं हूं ...और पढ़ेतुम मुझे निराली चाची बोल सकती हो ये मेरा बेटा सोमेश और ये मेरी बेटी नंदनी ""अच्छा ठीक है " सरपंच ने कहा सरपंच सारे गांव से इशिता का परिचय करवाता है "अच्छा अब आप इस गांव के दुश्मनो के बारे में बताओ ""हां !इनके बारे में जानकर शायद तुम चली जाओ ""नही !...इशिता अब इस गांव का विकास करके ही जाऐगी आप
अगली योजना बनती है " गावं के चारो तरफ ये बारुद की रेेेेखाएँँ बना दो "इशिता ने कहा" इससे क्या होगा ....?"" इससे बहुत कुछ होगा सोमेश और सुमित मेरी हेल्प करो प्लीज़ "" जी बिल्कुल "सारी तैयारी ...और पढ़ेचुकी होती है अब बस इंतजार था तो बस डाकुओं के हमले का ऐसा ही होता है उसी शाम गांव में डाकू आते है " कौन है हमारे आदमी पर वार करने वाला बड़ी हिम्मत आ गयी है हमसे मुकाबला करने का "तभी मेयर वहां पहुंच जाते है ....." हां आ गई है .... हां बोल ....."इशिता : ये क्यु आ गये बाहर
" हमारी मुखिया वीरा की जय ...की जयकार होने लगती हैइशिता : नये नाम केे लिए शुक्रििया .....पर अभी जंग बाकि है ...अभी आफत टली नहीं हैं खड़गेल का झुकना बाकि हैइसलिए हर वक्त चौकन्ना रहना होगा...!ननुमेय(संदेशवाहक) : सरपंच ...और पढ़े..! हमारे आदमी कैद से छुटकर आ गये ...!..."हमे बचाने के लिए शुक्रिया ...."सरपंच : हमने आपको नहीं बचाया है ..हमारी नई मुखिया ने आप सबको बचाया है ...!...धन्यवाद... मुखिया जी... "इशिता: आप सब खुश है ये अच्छा है ...इन्हे अंदर ले जाइऐ ...असली जंग अब होगी ,इसके लिए आप
सोमेश : वीरा जी ...(जोर से चिल्लाता है )....हटो सामने से वीरा जी को गोली लगी है .....बरखा : डाक्टर साहब को बुलाओ जल्दी....!सरपंच : हां ...सोहनलाल डाक्टर को बुलाओ ...!निराली : जल्दी डाक्टर को बुलाओ न ...देखो ...और पढ़ेघाव हो गया हैं ...!इशिता : चाची घबरायो मत ठीक हो जाऐगा ..निराली : तुम चुप रहो ..देखो कितना खुन बह रहा हैं...!नंदिता : मां डाक्टर गये ...! डाक्टर : (ट्रीटमेंट के बाद ) सरपंच जी घबराई नहीं गोली छू कर निकल गया है इसलिए ये जल्दी ठीक हो जाएंगी...!.....उसी शाम सब चौपाल पर पहुंचते हैं.......सरपंच : मुखिया जी ...आप बाहर क्यूं