Veera Humari Bahadur Mukhiya - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 11

इशिता जब गांव पहुंचती है तो सबको परेशान देख हैरान रह जाती है......
" सरपंच जी मुखिया जी आ गई...."
इशिता : क्या बात है मेयर जी आप सब इतने परेशान क्यूं लग रहे सुबह तक तो सब सही था....
सरपंच : मुखिया जी..... आपके जाने के बाद रांगा आया था और हम सबको धमकी देकर गया है अगर आप शाम तक गांव में नहीं लौटी तो आतंक मचा देगा.....
गांववासी : हम तो बहुत डर गये थे मुखिया जी.... अच्छा हुआ आप आ गई......
तभी मेयर टोकते हुए कहते हैं...." तुम सब इतनी जल्दी घबरा जाते हो मुखिया जी को बैठने तो दो..."
चौपाल पर बैठते हुए इशिता बोली " आप बताएंगे क्यूं डर गये......आपको लगा कि मैं अब गांव वापस नहीं आऊंगी ...
पंच (सुखदेव)..: नहीं मुखिया जी हमें आप पर भरोसा है लेकिन सब उस रांगा की वजह से डर गये क्योंकि आप उस समय गांव में नहीं थी और वो पता नहीं क्या कर देता..
गुस्से में इशिता खड़े होकर बोली...." यही डर ....आप सबको जीने नहीं देता.... क्या आप बताएंगे रांगा से आप क्यूं डरते हैं..."
सरपंच : मुखिया जी ये आप क्या कह रही है... उनके पास हथियार है जिसके बलबूते वो हमपर रौब जमाता है.....
सरपंच की बात में सब हां में सिर हिलाते हैं....
इशिता : क्या सिर्फ हथियार की वजह से आप डरते हैं ठीक है मैं आप सबको हथियार दूंगी और चलाना भी सिखाऊंगी फिर आपको किसी से कोई डर नहीं रहेगा.... क्यूं सरपंच जी मैंने सही कहा न....
इशिता की बात सुनकर सब अपना सिर झुका लेते हैं.....
मेयर : बोलो अब .... बोलती क्यूं बंद हो गई.....अरे ! तुम सब कायर हो जो अपनी रक्षा नहीं कर सकते....
इशिता : नहीं मेयर जी इन्हें मत समझाइए ....ये कायर नहीं है ...आप सबमें कमी है आत्मविश्वास की अगर आप सब ठान लें हमें उस रांगा और डाकुओं को अपने गांव में कब्जा नहीं करने देंगे तो किसी में ये मजाल नहीं की वो आपको प्रताड़ित कर सके या आप पर अपना रौब जमा सके.... आपको खुद जागना होगा तभी हम कुछ कर पाएंगे......आप सब सोच रहे हैं डाकु अब दोबारा नहीं आएंगे क्योंकि वो मुझसे डर गये... नहीं ऐसा नहीं है वो डरे नहीं है वो योजना तैयार कर रहे हैं कैसे वो दोबारा गांव पहुंचे और उनका मकसद यही होगा... मुझे खत्म करना... मैं अकेले कबतक संभाल सकती हूं आखिर में मुझे मरना तो पड़ेगा न .....तब क्या किसी और के आने का इंतजार करेंगे कोई आये और हमें बचाए .... ऐसा कबतक चलेगा... कोई बता सकता है.....
तभी सुमित और सोमेश चिल्लाते हैं......." हम ऐसा नहीं होने देंगे मुखिया जी... अपने गांव के दुश्मनों से हम भी सामना करेंगे आप अकेली नहीं मुखिया जी......
बरखा : मैं भी मुखिया जी के साथ हूं ....
गांववासी बोलते हैं.... हमे माफ़ कर देना मुखिया जी हमने आजतक ऐसा सोचा ही नहीं था.... हमारी कमजोरी की वजह से ही आजतक हमें दबाया गया है...अब हम चुप नहीं रहेंगे हम भी आपका साथ देंगे अब नहीं डरेंगे.....
इशिता : अच्छी बात है आपको समझ तो आया...अब आप सब अपने अपने घर जाइए......(इशिता के कहने पर सब‌ चले जाते हैं लेकिन बरखा ,मेयर जी, सरंपच, सुमित और सोमेश इशिता के पास ही थे).....
इशिता को खोया देख बरखा पुछती है......: क्या बात है वीरा तुम अब भी परेशान लग रही हो....?.


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