वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 6 Pooja Singh द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 6

सरपंच : मुखिया जी ...आप उसका सामना कैसे करेंगी, आप अभी घायल हैं ....!
इशिता : मैं घायल जरुर हूं सरपंच जी पर कमजोर नहीं हूं ..मैं उसे सीमा को चोट नहीं पहुंचाने दूंगी .....बरखा गन दो मेरी ...सुमित वो कितने लोग हैं ...!
सुमित : मुखिया जी... वो सिर्फ दो ही हैै एक वो रांगा और उसका साथी ...!
इशिता : उनसे मैं अकेले ही निपट लूंगी ...तुम तैयारी मत करना ...!
सुमित : ठीक है .....!
आज इशिता और रांगा पहली बार आमने सामने होंगें
रांंगा : क्यूं रे गांव वालो में बड़ी हिम्मत आ गई ...बिना मेरी इजाजत के अब इस गांव में ब्याह होगा ...!
सोमेश : हां आ गई है हिम्मत ..!
रांगा : अच्छा ...भीमा उठा ले इस लड़की को ...!
जैसे ही भीमा उस लड़की को उठाने के लिए जाता सोमेश उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है ....
सोमेश : हाथ भी मत लगाना सीमा को ....नहीं तो मुखिया तेरे हाथ पैर तोड़ देंगी ...दूर हट ..!
रांगा : बड़ी हिम्मत आ रही हैं ...अब कौन नया फरिश्ता आ गया मरने के लिए ....जैसे पहले हुआ था वही दोहराऊंगा.. कहां है तुम्हारा मुखिया ..बुला उसे .. आज उसको भी देखते है ...!
सोमेश : बुला नही पीछे देख ..पीछे देख वो रही हमारी मुखिया ...वीरा ...!
रांगा पीछे देखता ..इशिता बरखा के साथ उसी के पास पहुंचती है ...रांगा तो इशिता को बस एक टक देखें ही जा रहा था ...हमारी इशिता वैसे तो वॉरियर है पर वो देखने में है भी उतनी ही सुंदर .....रांगा जो बस एक टक इशिता को देख ही रहा था ,इशिता उसके सामने जाकर चुटकी बजाती है , उसे इशिता की चुटकी से होश आया....
रांगा : लड़की ...एक लड़की ...ओह ! तो अब इस गांव की रक्षक एक लड़की बनेगी ..!
निराली : ये लड़की अब इस गांव की बेटी है ...इसलिए अब हम सब एक साथ अपने गांव की रक्षा करेंगे...!
इशिता : चाची ठीक कह रही हैं ....दूर हटो सीमा से ...अब तुम्हारी बारी है (उसकी कनपटी पर गन तान देती है)
भीमा : सरदार ..
रांगा :दूर रह भीमा ...लड़ाई तो मैं चाहता नही हूं ...
.और ये बंदूक तो बच्चों के खेलने की चीज है , हमारे हथियार के आगे ये कुछ भी नही है ....( रांगा इशिता के पास जाकर धीरे से कहता है ) वैसे मैं अपने बनाये नियम कभी बदलता नही हूं और इन गांव वालो की मुझसे विद्रोह करनी की तो ऐसी सजा देता दोबारा कभी बदले की नही सोचते ..वो तो तुम मेरे मन को भा गई... वीरा ...अब तुम ही मेरी पत्नी बनोगी ...मुखिया वीरा ...!
इशिता रांगा की बात सुनकर सन्न रह जाती है ...आज रांगा की बात सुनकर इशिता की आंख में आंसु आ गये पर सामने उजागर नही होने दिया और अपने को भावहीन किया ...
इशिता : अपनी हद में रहो ...वीरा कभी ऐसा नहीं होने देगी ..वीरा औरो की तरह नहीं है ..(रांगा बीच में टोकते हुऐ बोला )
रांगा : न ..नहीं ...वीरा अब रांगा की ..जाओ छोड़ दिया गांव वालो को पर तुम्हें अपना बनाकर ही रहूंगा ...!
रांगा इशिता से जो बाते करी इसे सिर्फ मेयर के अलावा किसी को नहीं सुनाई दी ..
रांगा के बिना आंतक मचाऐ चले जाने से सब खुश हो जाते हैं पर इशिता किसी गम में गुम हो जाती है ...उसके मन में यही बात .....मैं रांगा को कभी नहीं अपनाउंगी...😠
.....क्रमशः ....