वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 7 Pooja Singh द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 7

इशिता : अब आप सब को रांगा से डरने कि जरुरत नहीं हैं …उसका सामना अब इशिता से पड़ा है …… काका आप बिना डरे सीमा कि शादी करो ….!
मंगल : आपका धन्यवाद मुखिया जी ….!
चली जाती हैं ……!
मेयर : वीरा ……!
इशिता : आप है मेयर जी ….आइऐ ..!
मेयर : वीरा .…उस रांगा की बात पर ध्यान मत दो और अपने को कमजोर मत होने दो …उसका मुकाबला करना हे तुम्हें ….!
इशिता : मैं उसके सामने कमजोर नही होऊंगी …वीरा कमजोर नही है …रांगा को अब और मासूमों पर अत्याचार नही करने दूंगी …उसका सामना अब वीरा से है ….
मेयर : तुम मेरे सोच से कही ज्यादा समझदार हो ….अपना ध्यान रखना ….
इशिता : थैंक्स मेयर जी ……
तभी बरखा आती हैं.......
बरखा : वीरा…!
इशिता : क्या बात है बरखा ....
बरखा : अरे घबराने की बात नही है .....तुम्हें सरपंच जी ने चौपाल पर बुलाया है.....
इशिता : चलो .....मेयर जो चलिए......
तीनों चौपाल पर पहुंचते हैैं....
" सरपंच जी मुखिया जी आ गई.. "
सरपंच : आइऐ बैठिए मुखिया जी....
इशिता : थैंक्स सरपंच जी.....
सोमेश : धन्यवाद तो आपका करना चाहिए मुखिया जी... डाकुओं से छुटकारा दिलाया है आपने और अब रांगा को भी भेज दिया.....
" मानना पड़ेगा आप बहुत बहादुर हैं मुखिया जी "
सुमित : वीरा जी...... आपके लिए एक छोटा सा उपहार..
इशिता : कैसा उपहार......?
सुमित : देखिए तो सही बाबा ने खास आपके लिए बनाया है...... (इशिता सुमित के दिये हुए गिफ्ट को लाल कपड़े से हटाती है खुश हो जाती हैं
इशिता : वाव ....नाईस नाईफ......
सुमित : न न वीरा जी...... ये नायफ नही है... ये तो खंजर है..(इशिता हंस जाती हैं)
इशिता : सुमित नाइफ होता है..... और ये खंजर बहुत अच्छा है मैं हमेशा इसे अपने हाथ रखूंगी…
सुमित : धन्यवाद वीरा जी......
सोमैश चिढ़ जाता हैं.. " वीरा जी...... मैं भी आपको कल एक उपहार दूंगा... "
सोमेश की इस बात से सब हंस जाते है....
इशिता : हां.... बरखा चाची नही है....
बरखा : वीरा जी...... वो अभी थोड़ी देर में पहुंच जाएंगी...
इशिता : ठीक‌ है...... (चारो तरफ देखकर) सरपंच जी गांव में इलेक्ट्रिक नही है.....
सरपंच : हम समझे नहीं मुखिया जी...
इशिता : मतलब आई थिंक बिजली.....
सरपंच : नहीं है मुखिया जी... हमे कई बार कलेक्टर साहब से बात की पर उनका कोई जवाब नहीं आता शायद गांव के दुश्मनों ने उन्हें भी डरा दिया है......
इशिता : आप चिंता मत किजिए कल मैं खुद वहां जाकर देखकर आऊंगी....
सब एक साथ डरकर बोलते है " आप जाएंगी मुखिया जी... "
इशिता सबको भांप लेती सब उसके जाने से डर रहे हैं उन्हें समझाती हुई कहती है....
इशिता : डरने की जरुरत नहीं आप सबको ....मैं सुमित को अपने साथ लेकर जाऊंगी , मैंने डी . एम आफिस देखा भी नहीं हैं सुमित बता देना..... और किसी से डरने की जरुरत नहीं हैं मैं जल्दी वापिस आ जाऊंगी.....
अब सबका संदेह कुछ कम होता है.. तभी निराली हाथो में दुध का गिलास लिये आती हैं....
निराली : बस सरपंच जी अब आप सब योजना ही बनाते रहेंगे य मेरी वीरा को आराम भी करने देंगे.... लो वीरा ये दूध पी लो ....
सरपंच : निराली ठीक कह रही है... मुखिया जी... आराम बाद में करना जरा हमारे इस रंगारग कार्यक्रम को देख ले आपको अच्छा लगेगा......
मेयर : आपने सही किया सरपंच जी.... वीरा कुछ अघात भी हो गई थी सुबह उनका ध्यान भी हट जाएगा.....
गांव का नाटक कार्यक्रम शुरू होता है.... वीरा के साथ सब ही बहुत खुश थे बरखा बार बोल वीरा को डांस के लिए बुला रही थी... आखिर इशिता ने थोड़ी बहुत मस्ती कर ली...
निराली : बैठ जाओ वीरा अभी तुम्हारा घाव भरा नही है....
सब अब आपस में हंसी मजाक कर रहे थे.... इसी बीच निराली ने इशिता से एक ऐसा सवाल कर दिया जो उसके दिल पर जाकर लग गया..... इशिता वहां से चली गई....