वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 3 Pooja Singh द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 3

अगली योजना बनती है
" गावं के चारो तरफ ये बारुद की रेेेेखाएँँ बना दो "इशिता ने कहा
" इससे क्या होगा ....?"
" इससे बहुत कुछ होगा सोमेश और सुमित मेरी हेल्प करो प्लीज़ "
" जी बिल्कुल "
सारी तैयारी हो चुकी होती है अब बस इंतजार था तो बस डाकुओं के हमले का ऐसा ही होता है उसी शाम गांव में डाकू आते है
" कौन है हमारे आदमी पर वार करने वाला बड़ी हिम्मत आ गयी है हमसे मुकाबला करने का "
तभी मेयर वहां पहुंच जाते है ....." हां आ गई है .... हां बोल ....."
इशिता : ये क्यु आ गये बाहर ...!
सोमेश : रूकिए ये खड़गेल नही है उसका साथी है ..!
इशिता : कोई बात नहीं इसको ही सबक सिखाती हूं ...तुम मेयर जी को अंदर ले जाना और अपने दोस्तो से मना कर देना मशाल नीचे न फैंके ..!
सोमेश : जी ...!
डाकू मेयर पर बंदूक तान देता है तभी उसपर पीछे से गोली चलती है ......डाकू : कौन है मुझ पर हमला करने वाला हिम्मत है तो सामने आ ..."
इशिता : मैं हूं तेरे पर हमला करने वाली ...उनसे क्या भिड़ता है मुझसे सामना कर ..."
डाकू : जानती नही हो अभी कौन हूं मैं
इशिता : जानती हूं तुम डाकू हो जो निहत्थे और कमजोर लोगों पर अपना साहस दिखाते हो हिम्मत है तो मुझसे मुकाबला कर ..."
डाकू जोर जोर से हंसने लगता है ..." एक लड़की मुझे धमकी दे रही है तुझे तो हम उठा ले जाएंगेे और वैसे भी तुझे देखकर सरदार बहुत खुश होंगे ....!
इशिता : अबे ओए ..सपने मत देख ...नीचे उतर फिर बतातीं हूं किसे खुशी मिलेंगी....!
डाकू : मुझे धमकी दे रही है ....!
डाकू पूरे जोश में इशिता के पास जाता है पर उसे पता नहीं है जिसे वो छूने जा रहा है वो फूल नहीं काटां है .......इशिता ने गुस्से में आकर उसपर पिस्टल तान देती है ...
डाकू : इससे मैं नहीं डरता ...!
हाथ से पिस्टल दूर कर देता पर उसे पता नहीं अभी वो कौन है ..........डाकू ने जैसे इशिता का हाथ पकड़ा उसने उसे तमाचा जड़ दिया गुस्से में आकर डाकू ज्यो इशिता पर हाथ उठाता है उसका हाथ पकड़कर घुमा देती है अब शुरू होती है दोनो की लडाई .........एक परफैक्ट जुडो कराटे एक्सपर्ट से कौन जीत सकता था ....काफि देर तक लड़ने के बाद आखिर में इशिता उस डाकू को अपनी पिस्टल की नोक पर ला ही देती है .....
इशिता : अब बोल कौन खुश होगा ...उडा़ दू तेरा भेजा
डाकू: नननन नही ...छोड़ दो मुझे
इशिता : ठीक है अपने साथियों से बोल हथियार हमारे हवाले कर दे ..!
डाकू : हां बोलता हूं .... सुना नहीं तुमने हथियार इन्हे दे दो ...!
इशिता : सुमित, सोमेश इनके हथियार ले जाओ अंदर ....और सुन जाने के बाद जिन जिन लोगों को तुमने अपने पास कैद कर रखा है दो घंटे के अंदर अंदर उन्हे गांव छोड़कर जाऐगा .....!
डाकू : हहां छोड़ देंगे ...!
इशिता : चल जा ....!
सब लोग अपने अपने घरो से बाहर आते है
निराली :.. पुरूषो को वीर कहते है न तो आज से तुम हमारी .....वीरा ......!
मेयर : तुम्हारे साहस के कारण आज से तुम ही हमारे गांव की ...मुखिया ...हो ...ठीक है न सरपंच जी ..!
सरपंच : हां बिल्कुल
"... हमारी मुखिया वीरा की जय ....सब चिल्लाने लगे
....ये था इशिता का वीरा बनने का सफर ....
क्रमशः............
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