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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - उपन्यास
Pradeep Shrivastava
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
भाग -१ काशी नगरी के पॉश एरिया में उनका अत्याधुनिक खूबसूरत मकान है। जिसके पोर्च में उन की बड़ी सी लग्जरी कार खड़ी होती है। एक छोटा गार्डेन नीचे है, तो उससे बड़ा पहले फ्लोर पर है। जहां वह कभी-कभी पति के साथ बैठकर अपने बिजनेस को और ऊचांइयों पर ले जाने की रणनीति बनाती हैं। तमाम फूलों, हरी-भरी घास, बोनशाई पेड़ों से भरपूर गार्डेन में वह रोज नहीं बैठ पातीं, क्योंकि व्यस्तता के कारण उनके पास समय नहीं होता। जो थोड़ा बहुत समय मिलता है, उसे वहअपने तीन बच्चों के साथ बिताती हैं । जो वास्तव में उनके नहीं
भाग -१ काशी नगरी के पॉश एरिया में उनका अत्याधुनिक खूबसूरत मकान है। जिसके पोर्च में उन की बड़ी सी लग्जरी कार खड़ी होती है। एक छोटा गार्डेन नीचे है, तो उससे बड़ा पहले फ्लोर पर है। जहां वह ...और पढ़ेपति के साथ बैठकर अपने बिजनेस को और ऊचांइयों पर ले जाने की रणनीति बनाती हैं। तमाम फूलों, हरी-भरी घास, बोनशाई पेड़ों से भरपूर गार्डेन में वह रोज नहीं बैठ पातीं, क्योंकि व्यस्तता के कारण उनके पास समय नहीं होता। जो थोड़ा बहुत समय मिलता है, उसे वहअपने तीन बच्चों के साथ बिताती हैं । जो वास्तव में उनके नहीं
भाग -२ अम्मी ने यह पता चलते ही कोहराम खड़ा कर दिया। लेकिन तब वह पांच छोटे-छोटे बच्चों के साथ अब्बू की ज्यादतियों के सामने कमजोर पड़ गईं। अब्बू के झांसें में आकर वह अपना जमा-जमाया काम-धंधा पहले ही ...और पढ़ेचुकी थीं। उन्होंने अब्बू से सारे रिश्ते-नाते खत्म कर घर छोड़ने के लिए कहा। 'खुला' देने की भी धमकी दी। लेकिन अब्बू टस से मस ना हुए, जमे रहे मकान में। अम्मी, बच्चों को बस जीने भर का खाना-पीना देते थे। लाज ढकने भर को कपड़े। अम्मी के लिए अपने वालिद को खोने के बाद यह सबसे बड़ा सदमा था,
भाग -३ अम्मी के बहुत दबाव पर जब आगे बढे तो कुछ इस तरह कि, कई जगह रिश्ते बनते-बनते ऐसे टूटे कि अम्मी आपा खो बैठीं। उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि, 'तुम जानबूझकर लड़कियों का निकाह नहीं होने देना ...और पढ़ेतुम इनकी कमाई हाथ से निकलने नहीं देना चाहते।' इस बात पर अब घर में खूब हंगामा होने लगा। कई महीने बड़े हंगामाखेज बीते। फिर अचानक ही एक जगह अम्मी के प्रयासों से दो बड़ी बहनों का निकाह एक ही घर में तय हो गया। एक ही दिन निकाह होना तय हुआ। अम्मी को परिवार बहुत भला लग रहा था।
भाग -४ देखते-देखते पूरा घर छान मारा गया। लेकिन दोनों अप्पी नहीं मिलीं। 'कहाँ गईं, जमीन निगल गई या आसमान ले उड़ा । या अल्लाह अब तू ही बता कहां हैं दोनों...।' अम्मी माथा पीटते हुए जमीन पर बैठ ...और पढ़ेअब्बू ने न आव देखा ना ताव हम दोनों ही बहनों को कई थप्पड़ रसीद करते हुए पूछा, ' तुम चारों एक ही कमरे में थीं, वो दोनों लापता हैं और तुम दोनों को खबर तक नहीं है। सच बताओ वरना खाल खींच डालूंगा तुम दोनों की।' हम दोनों ही छोटी बहनें मार खाती रहीं, लेकिन कुछ बोले नहीं, सिवाय
भाग - ५ 'जब आप इतना उतावले हो रहे हैं, तो बिना बताए कैसे रह सकती हूं। मैंने देखा कि बीवी तकिया लगाए सीधे लेटी थी। छत वाला पंखा पूरी स्पीड में चल रहा था। ना मियां के तन ...और पढ़ेएक कपड़ा था और ना बीवी के। छोटा बच्चा मां की छाती पर ही लेटा दूध पी रहा था। मियां की चुहुलबाजी चालू थी। वह दूसरी वाली छाती से बच्चा बन खेल रहा था। दोनों के हाथ भी एक दूसरे की शर्मगाहों में खेल रहे थे। जब बच्चा सो गया तो उसे दीवार की तरफ किनारे लिटा दिया। उसकेआगे देखने