Sholagarh @ 34 Kilometer book and story is written by Kumar Rahman in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sholagarh @ 34 Kilometer is also popular in जासूसी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - उपन्यास
Kumar Rahman
द्वारा
हिंदी जासूसी कहानी
जासूसी उपन्यास शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर @ कुमार रहमान कॉपी राइट एक्ट के तहत जासूसी उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ के सभी सार्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के उपयोग से पूर्व लेखक से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। डिस्क्लेमरः उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ के सभी पात्र, घटनाएं और स्थान झूठे हैं। और यह झूठ बोलने के लिए मैं शर्मिंदा नहीं हूं। बिल्ली की चोरी कम से कम सार्जेंट सलीम ने ऐसी खूबसूरत लड़की अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी। सबसे सुंदर उस लड़की की आंखें थीं। ऐसा लगता था कि
जासूसी उपन्यास शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर @ कुमार रहमान कॉपी राइट एक्ट के तहत जासूसी उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ के सभी सार्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के उपयोग से पूर्व लेखक से लिखित अनुमति ...और पढ़ेजरूरी है। डिस्क्लेमरः उपन्यास ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ के सभी पात्र, घटनाएं और स्थान झूठे हैं। और यह झूठ बोलने के लिए मैं शर्मिंदा नहीं हूं। बिल्ली की चोरी कम से कम सार्जेंट सलीम ने ऐसी खूबसूरत लड़की अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी। सबसे सुंदर उस लड़की की आंखें थीं। ऐसा लगता था कि
मारपीट मोबाइल के वाल पेपर पर एक लड़की की फोटो थी। यह वही लड़की थी, जिसे सार्जेंट सलीम ने एक दिन पहले होटल सिनेरियो में देखा था। सार्जेंट सलीम के जेहन में कल का पूरा दृश्य एक झटके से ...और पढ़ेगुजर गया। वह अचानक पानी के अंदर क्यों चली गई? क्या उसने खुदकुशी कर ली? या फिर कोई साजिश है? यह सवाल सलीम के दिमाग में गूंज रहे थे। उसकी तंद्रा उस वक्त टूटी जब उसके कानों में सोहराब की आवाज गई। वह चौंक कर सोहराब की तरफ देखने लगा। सोहराब कह रहा था, “इस मोबाइल को लैब में भेज
हीरोइन इंस्पेक्टर सोहराब को घूरते देखकर सलीम दूसरी तरफ देखने लगा। सोहराब, कैप्टन किशन के सामने दूसरे सोफे पर बैठ गया। सार्जेंट सलीम भी सोहराब की बगल में आकर बैठ गया। “जी बताइए, कैसे आना हुआ।” सोहराब ने नर्म ...और पढ़ेमें पूछा। “सोहराब साहब, शेयाली मेरी भतीजी थी। मैं एफआईआर लिखाने कोतवाली गया था। वहां से पता चला कि इस केस को आप देख रहे हैं। इसलिए इधर चला आया।” कैप्टन किशन ने गमगीन लहजे में कहा। “जी हां, यह केस खुफिया महकमे को ट्रांसफर हो गया है।” “यह तो अच्छी बात है कि अब केस जल्दी साल्व हो जाएगा।”
पेंटर लूसी सार्जेंट सलीम की पीठ से अपना जिस्म प्यार से रगड़ रही थी। लूसी को देख कर सलीम की आंखें फटी की फटी रह गईं। लूसी उसकी पर्सियन बिल्ली थी। एक दिन सड़क के किनारे से सलीम की ...और पढ़ेसे लूसी चोरी हो गई थी। उसके लिए वह काफी परेशान भी रहा था। मौजूदा सूरते हाल भी उसके लिए कम परेशानी की वजह नहीं थी। लूसी उसे शेयाली के घर में मिली थी। इसका भला क्या मतलब हो सकता है? क्या लूसी को शेयाली या उसके ब्वाय फ्रैंड ने चोरी किया था? या फिर....? वह इसके आगे नहीं
तकरार सार्जेंट सलीम खामोशी से जाकर टेबल के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया। उसके ठीक बगल की टेबल पर विक्रम के खान बैठा हुआ था। उसे वहां बैठा देख कर ही सार्जेंट सलीम ने मेकअप से अपना गेटअप ...और पढ़ेथा। विक्रम के सामने की सीट पर एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई थी। उसने मस्टर्ड कलर का टूल गाउन पहन रखा था। इसके साथ लड़की ने रेड मूंगे की ज्वैलरी की मैचिंग की थी। उसके बाल काले घने और काफी लंबे थे। बालों को उसने खोल रखा था। लड़की की आंखें गहरे काले रंग की थीं। आंखों में उसने