Mita ek ladki ke sangarsh ki kahaani book and story is written by Bhupendra Kuldeep in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mita ek ladki ke sangarsh ki kahaani is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मीता ; एक लड़की के संघर्ष की कहानी - उपन्यास
Bhupendra Kuldeep
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
अध्याय - 1आज कॉलेज का पहला दिन था सभी प्रथम वर्ष के छात्र पहली बार बी.ए. फ़र्स्ट ईयर की कक्षा में आये थे और करीब-करीब सभी कॉलेज में नए छात्रों के साथ रैगिंग या इन्ट्रो किया जाता है। यहाँ देवी प्रसाद महाविद्यालय में भी यही रिवाज निभाया जा रहा था। कॉलेज के कुछ सीनियर्स इन्ट्रो लेने के नाम पर कक्षा में आ गए थे। फ़र्स्ट इयर की क्लास में आधे से ज्यादा लड़कियाँ ही थी, और इन्हीं लड़कियों के बीच हमारी कहानी की पात्र भी थी मीता, मीता शर्मा। दिखने में आकर्षक और सुंदर। ग्रुप लीडर जो रैगिंग लेने आया था
अध्याय - 1आज कॉलेज का पहला दिन था सभी प्रथम वर्ष के छात्र पहली बार बी.ए. फ़र्स्ट ईयर की कक्षा में आये थे और करीब-करीब सभी कॉलेज में नए छात्रों के साथ रैगिंग या इन्ट्रो किया जाता है। यहाँ ...और पढ़ेप्रसाद महाविद्यालय में भी यही रिवाज निभाया जा रहा था। कॉलेज के कुछ सीनियर्स इन्ट्रो लेने के नाम पर कक्षा में आ गए थे। फ़र्स्ट इयर की क्लास में आधे से ज्यादा लड़कियाँ ही थी, और इन्हीं लड़कियों के बीच हमारी कहानी की पात्र भी थी मीता, मीता शर्मा। दिखने में आकर्षक और सुंदर। ग्रुप लीडर जो रैगिंग लेने आया था
अध्याय-25 मिनट, 10 मिनट, 15 मिनट से आधा घंटा बीत गया, परंतु दोनों मे से कोई एक शब्द नहीं बोला।अचानक एक छात्र आईसक्रीम लेकर उसके सामने से गुजरा, दोनो चुप्पी तोड़ते हुए एक साथ बोले -आईसक्रीम खाओगे ?और एक ...और पढ़ेहँस पड़े।ठीक है तुम बैठो सुबोध मैं आईसक्रीम लेकर आती हूँ, पर आज मुझे तुम्हारा जवाब जानना ही है।मीता उठकर आईसक्रीम लेने कैंटीन चली गई। सुबोध अब भी चिंतन में था। तभी मीता वापस आ गई।हाँ तो तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया सुबोध।मैं तुम्हारे मन की भावों का सम्मान करता हूँ मीता, परंतु कोई भी उत्तर देने से
अध्याय-3इधर मीता जब घर पहुँची तो उसकी माँ किचन में थी।माँ आपसे एक बात करनी है।अरे मीता तुम। तुम तो आज सुबोध को मिलाने लाने वाली थी न। माँ ने उल्टा सवाल दाग दिया।हाँ माँ उसी के बारे में ...और पढ़ेबात करनी थी।हाँ बताओ ? माँ ने कहा।दरअसल माँ मुझे तुम्हें उसके पारिवारिक स्थिति के बारे में आपको बताना था।हाँ तो बताओ ना ?माँ वो असल में एक सब्जी बेचने वाली फैमिली से बिलांग करता है।क्या ? उसकी माँ थोड़ी उग्र हो गई।हाँ माँ उसकी माँ मंडी में सब्जी बेचती है और उसके पिताजी ठेले पर सब्जी बेचते हैं।और तू
अध्याय-4दूसरे दिन सुबह अचानक उसके कान में आवाज सुनाई पड़ी।ओ मैडम उठिए। आठ बज गए हैं।मीता ने अंगड़ाई लेते हुए बाँहे फैलायी और सुबोध को अपने ऊपर खीच लिया।अरे रे रे! ये क्या कर रही हो। दरवाजा खुला है, ...और पढ़ेआ जाएगा अंदर।तो आ जाने दो अंदर। मुझे प्यार करो ना सुबोध।जब प्यार करने का वक्त था तब तो सो गई, अब काम में जाने के वक्त मैडम को प्यार की सूझी है।प्यार के लिए भी कोई वक्त होता है क्या।मीता ने उसके गले में हाथ डालकर पूछा।हाँ जी, कम से कम 10 से 05 तो नहीं होता। वो वक्त
अध्याय-5ट्रेन से उतरकर सुबोध ने पहले पेंईग गेस्ट वाले घर जाने का फैसला किया क्योंकि रहने का इंतजाम करना आवश्यक था इसलिए उसने तय किए गए घर की ओर रूख किया।हैलो आंटी। जी बोलिए।वो आपसे पेंईग गेस्ट के सिलसिले ...और पढ़ेबात हुई थी। क्या नाम है आपका ?जी मीता के नाम से बात किया था।अच्छा हाँ हाँ। आपने बात तो किया था। अंदर आईये। बैठिए।जी आंटी। सुबोध बोला।देखिए यहाँ पर तीन रूम है एक-एक रूम में दो-दो लड़कियाँ रहती हैं। अभी फिलहाल 5 लड़कियाँ है। एक रूम में एक ही लड़की है वही आप रह सकती है।और खाने की क्या व्यवस्था है