मीता एक लड़की के संघर्ष की कहानी - अध्याय - 14 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मीता एक लड़की के संघर्ष की कहानी - अध्याय - 14

अध्याय-14

ये खबर तत्काल आग की तरह फैल गई। उसके पापा के पास जैसे ही ये खबर पहुँची वो विचलित हो गए। उन्होंने तुरंत अपने एक वकील मित्र को फोन किया और उसको लेकर सेंट्रल जेल पहुँच गए।
ये सब कैसे हो गया बेटा। शर्मा जी ने मीता से पूछा।
मीता चुपचाप बैठी थी।
क्या तुमने कुछ किया ?
मीता ने ना में सिर हिला दिया।
फिर कैसे हुआ कुछ बताओगी।
मीता के आँसू बह निकले।
मीता तुम पहलें शांत हो जाओ प्लीज। पापा बोले।
अब बताओ पूरी बात।
पापा, परसो जो आपसे चर्चा हुई थी। उसी के बाद की ये सारी घटना हुई है। मैंने उनके अवैध संपत्ति को वैध करवाने के लिए फाईल अपने उच्चाधिकारी को दे दी थी। उनकी सांसद से क्या बात हुई थी मुझे कुछ नहीं मालूम। उनके ऑफिस से कोई या उन्होंने खुद ये सब ऊपर बता दिया होगा। 24 घंटे अंदर सरकार ने छापा मारने की तैयारी कर ली और आज करीब 12 बजे आयकर विभाग की केन्द्रीय टीम ने छापा मारा। दीपक ने मुझे छापा पड़ने के करीब एक घंटे बाद फोन किया। उसने मेरे साथ बदतमीजी से बात की और मार डालने की धमकी भी दी। उसने मुझे तुरंत घर बुलाया, मैं वहां से घर वापस आई तो वो बाहर ही खड़ा था। उसने मुझे ऊपर भेज दिया। थोड़ी देर में वो ऊपर आया और तेजी से मुझे मारने के लिए लपका। इतने में चूकि बारिश का पानी बाल्कनी में पड़ा था उसका पैर स्लिप हो गया। उसने मुझे हाथ देने की कोशिश की पर मैं पकड़ नही पाई और वो नीचे गिर गया। यही पूरी बात है।
देखो मीता, अगर तुमने अदालत में अगर कहा कि वो तुम्हें मारने के लिए आया था तो बदला लेने की मंशा के तहत तुमने धक्का मार दिया होगा सोचेंगे ऐसे में दोष और पुख्ता हो जाएगा। तुम तो सिर्फ ये बताओ कि मालूम नहीं वो किस वजह से ऊपर आया था। वकील ने कहा।
मैं झूठ तो नहीं बोल सकती अंकल। मीता ने कहा।
तुमसे झूठ कहने कौन कह रहा है सिर्फ कुछ सच को छिपाने कह रहा हूँ। तुमने पूरा सच कहा तो तुम्हें उनका वकील फसा देगा वो भी तब जब हम सब जान रहे हैं कि तुम निर्दोष हो।
मुझे मर ही जाने दीजिए पापा। फाँसी ही हो जाए वो अच्छा है। अब मैं अंदर से टूट चुकी हूँ । कितनी तकलीफ और मिलने वाली है। ये तो भगवान ही जाने। आप लोग मुझे बचाने की चिंता मत करिए। अब मुझे सब सहने की आदत हो गई है। आप लोग जाईये।
ऐसा मत बोल बेटा तू तो मेरी आत्मा है और मैने हमेशा तुम्हें ही चोट पहुँचाया। तुमने मेरे लिए ना जाने कितनी कुर्बानियाँ दी होंगीं तुम कहो तो मैं जाकर जज साहब से बात करता हूँ। वो शायद थोड़ी संवेदनशीलता से मेरी बात सुने और सही निर्णय ले।
पर इसका विपरीत असर भी हो सकता है शर्मा जी। वकील ने कहा।
अगर वो चिढ़ गया आपके जाने से तो माफी के बजाए सजा भी हो सकती है और वो पुराने जज को तो मैं जानता भी था परंतु आज ही किसी नए जज ने नया प्रभार लिया है। मैं उनको नहीं जानता। आप एक दिन रूक जाइए। कल तो पुलिस को उनके सामने मीता को प्रस्तुत करना ही पड़ेगा। कल की एक्टिविटी देखे लेते हैं उसके बाद अगली रणनीति तय करेंगे।
मि. शर्मा और वकील के जाते ही पुलिस मीता को पूछताछ के लिए रिमांड रूम में ले गई और एक महिला पुलिस अधिकारी ने पूछताछ प्रारंभ की।
बैठ जाइए मीता जी।
धन्यवाद मैडम।
आप मुझे ये बताइये कि ये सब कैसे हुआ।
देखिए मैडम मैं तो आफिस में थी मुझे तो कुछ भी पता नहीं था। अचानक 1 बजे के आसपास मुझे दीपक ने फोन करके बताया कि घर में आयकर विभाग छापा पड़ा है।
मतलब आप यह कह रही हैं कि आपको छापे के बारे बिलकुल जानकारी नहीं थी जबकि आप खुद एक आयकर अधिकारी थी।
नहीं मैडम। ये छापा तो केन्द्रीय टीम ने मारा था हमको तो कुछ भी खबर नहीं थी।
हमें पता चला है कि आप इनके बेनामी संपत्ति को लीगल करने की कोशिश कर रही थी ?
ऐसी कोई बात नहीं है मैडम। मैं एक ईमानदार महिला अधिकारी हूँ और ईमानदार पिता की बेटी हूँ।
पर आपके पिताजी भी तो भ्रष्टाचार में सस्पेंड किए गए थे। आफिसर ने पूछा।
परंतु मैडम उन्हें तो विभाग ने ही क्लीन चिट दे दी मतलब उन्होंने करप्शन नहीं किया।
ठीक है। उस दिन बाल्कनी में आपकी दीपक से कोई बात हुई थी।
नहीं मैडम। नीचे जब मैं आई तो उन्होंने मुझे सिर्फ ऊपर जाने के लिए कहा। फिर मैं ऊपर चली गई। वो मेरी ओर आ ही रहे थे बाल्कनी में कि अचानक उनका पैर बारिश के पानी में स्लिप हो गया। मैंने उनको बचाने की कोशिश भी की, परंतु वो गिर गए। मीता ने कहा।
देखिए मीता जी एक तो आप आयकर अधिकारी, दूसरा आपके घर छापा और तीसरा दीपक को गिरते वक्त आपके साथ होना, संदेह तो प्रगट करता ही है। बाकी हम आस पास के घरों में सीसीटीवी फुटेज तलाश रहे हैं। अगर मिल जाए तो स्थिति स्पष्ट हो जाए।
कल हम आपको पुलिस डायरी के साथ सेसन कोर्ट में 11 बजे प्रस्तुत करेंगे। कोर्ट से हम रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए अपील करने वाले हैं ताकि छानबीन किया जा सके।
दूसरे दिन पुलिस उसे कोर्ट लेकर गई। वो बैठकर अपनी बारी को इंतजार कर रहे थे। मीता के पिता भी वकील के साथ पहुँच गए। मीता की ओर से केस लड़ने के लिए उन्होंने अपने कागजात तैयार कर लिए थे। तभी बाहर गैलरी में मुनादी हुई।
अगला केस नम्बर 7321 मीता शर्मा वर्सेस दीपक साहनी हाजिर हो। जैसे ही मीता कोर्ट रूम के अंदर गई। उसकी आँखे खुली रह गई। वो एकदम स्तब्ध हो गई। ठीक उसके सामने जज की कुर्सी पर सुबोध बैठा था। वो अचानक उसको देखकर कंट्रोल नहीं कर पायी और फफक कर रो पड़ी। वो वही पर धड़ाम से बैठ गई और दोनो हाथों से मुँह छिपाकर रोने लगी।
ये आश्चर्यजनक किंतु सत्य था कि जीवन ने उन दोनो को ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया था जहाँ पर धोखा देने वाली मीता ? जो वो अब तक सुबोध की नजर में थी, उसका फैसला जज सुबोध को करना था। ये किसके लिए अवसर था और किसके लिए दुखद पल, ये तो विधाता ही जानता था। फिलहाल मीता नीचे फर्श पर बैठकर रोए जा रही थी तभी सुबोध ने पुलिस से कहा।
मैडम इन्हें चुप कराकर ऊपर बैठाईये। इससे कोर्ट की कार्यवाही बाधित होती है। सुबोध एकदम शांत था। सुबोध को तो पहले से ही पता था कि ये उसकी ही मीता है। टीवी पर पेपर में न्यूज में सभी जगह उसकी खबरें चल रही थी और मीडिया ने तो उसे पहले से ही दोषी ठहरा दिया था। अब चूंकि ये बड़ा हाई प्रोफाइल केस था तो कोर्ट में भीड़ भी बहुत अधिक थी। सांसद महोदय तो नहीं आए थे पर उनकी पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में कोर्ट रूम के बाहर नारेबाजी कर रहे थे। वे नारेबाजी करके जज के ऊपर सजा देने का दबाव बना रहे थे।
सुबोध ने पुलिस से पूछा।
क्या आपके साथ कोई सीनियर अधिकारी आए हैं।
जी सर डी.एस.पी. साहब आए हैं।
ठीक है बुलाईये उनको।
जय हिन्द सर। डी.एस.पी. ने सैल्यूट मारा।
देखिए कैम्पस में नारेबाजी से आम लोगों को परेशानी हो सकती है। आप फोर्स बुलाईये और उन्हें कैम्पस से बाहर करिए। कैम्पस के बाहर वो चाहे तो नारेबाजी कर सकते हैं।
जी सर। कहकर डी.एस.पी. बाहर निकल गए।
मीता रह रहकर सुबोध की ओर देखती थी। सुबोध अब थोड़ा कमजोर दिखाई दे रहा था। दुख उसके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रहा था। परंतु फिर भी वह आत्मविश्वास से लबरेज था। मीता जानती थी कि सुबोध उससे नाराज होगा और वो तो उसे सजा ही देने की सोचेगा। क्योंकि उसने उसे धोखा दिया है।
वो सोच रही थी कि अच्छा हुआ मैने उसे धोखा दिया इससे वो कम से कम अपने जीवन में तरक्की तो किया। अब वो थोड़ा सुकुन महसूस कर रही थी कि उसका सुबोध अब सुखी और समृद्ध है अब चाहे वो मुझे फाँसी दे या आजीवन कारावास। मैं सब हँसकर सह लूँगी।
इधर मीता के पिता ने जब सुबोध को जज की सीट पर देेखा तो उनके भी आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। वो दिन और घटना उन्हें याद आ गया जब वो मीता के लिए भरी बारिश में उनके घर के सामने बैठकर गिड़गिड़ा रहा था। उन्हें समझ मे आ गया था कि सुबोध आज अवसर का लाभ उठाकर मीता को सजा अवश्य देगा आखिर मीता ने उसको धोखा देकर किसी और से शादी जो कर ली थी। वो बेहद चिंतित हो गए उन्हें लगा किसी तरह सुबोध से मिलकर उसे ये सब बताना पड़ेगा नहीं तो मीता बेचारी और फंस जाएगी।
साईलेंस!! सुबोध की आवाज गूँजी।
सभी चुप हो गए।
क्या पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करा ली है।
जी सर।
एफ.आई.आर. की कॉपी दिखाईये।
हम्म। और बयान कहाँ दर्ज है वो दिखाईये।
क्या बचाव पक्ष से कोई वकील है ?
जी सर मैं हूँ। मीता के वकील ने कहा।
आपके दस्तावेज कहाँ है दिखाईये। ठीक है मैं आपको बचाव पक्ष के वकील के लिए स्वीकृति देता हूँ। पुलिस की ओर से सरकारी वकील साहब कहाँ है।
नमस्कार सर मेरा नाम मोहन भंडारी है मैं ही सरकारी वकील हूँ।
ठीक है पहले सरकारी वकील अपना पक्ष प्रस्तुत करें। सुबोध ने कहा।
सर। केस एकदम साफ-साफ प्रतीत होता है। एक तो मीता देवी आयकर अधिकारी हैं तो उनको इस बात की तो समझ होती ही है कि संपत्ति से क्या वैध है और क्या अवैध है। फिलहाल ये मामला तो विभाग के पास है वो तय करेंगे कि क्या वैध था और क्या अवैध। प्वाइंट ये है सर कि चूंकि मीता देवी के द्वारा ही या उनके माध्यम से छापा पड़ा जिससे दीपक नाराज था। अब दीपक ने पक्का ऊपर बाल्कनी मे जाकर अपनी नाराजगी जताई होगी जिससे मीता देवी गुस्सा हो गई होंगी और उन्हें अवसर पाकर धक्का दे दिया।
क्या स्कीड के निशान बालकनी में पुलिस को मिले हैं ?
जी सर।
पर सर स्कीड को अवसर में तो बदला जा ही सकता है। मीता देवी तो वहीं खड़ी थी वो चाहती तो सामने आ जाती या उसे रोक सकती थी पर ऐसा उन्होंने नहीं किया। इससे ये साबित होता है कहीं ना कही वो इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं हो सकता है उन्होंने धक्का ही दे दिया हो।
बचाव पक्ष का क्या कहना है ?
माननीय जज साहब। मेरी क्लाइंट एक राज्य आयकर सेवा की अधिकारी हैं। और जो छापा सांसद महोदय के घर पड़ा वो पूर्णतः केन्द्रीय आयकर विभाग का छापा था। अतः यह संभव ही नहीं था कि उसको छापे के विषय में पता चले। सांसद महोदय के संपत्ति की फाईल के विषय में मेरे क्लाइंट को कुछ भी ज्ञात नहीं था और वेसे भी मेरे क्लाइंट को उनके घर गए महीने डेढ़ महीने ही हुए थे। तो इतनी जल्दी उनके संपत्तियों के बारे में जानना संभव नहीं था।
दूसरा दीपक ने उसे स्वयं फोन करके बुलाया था वो खुद चलकर नहीं आई थी घर। मतलब प्लानिंग का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
और तीसरा स्कीड का निशान ये साबित करता है कि वो स्वयं फिसला था। इसलिए मुझे इसमें मेरे क्लाइंट की संलिप्तता दिखाई नहीं देती।
जज महोदय स्कीड का निशान तो धक्का देने से भी आ सकता है। सरकारी वकील ने बोला।
क्या इस प्रकरण में कोई गवाह है।
जी महोदय। कुछ सरकारी आयकर विभाग के अधिकारी वहाँ पर खड़े थे।
तो उन्हें अगली पेशी में बुलाईये और सी.सी.टी.वी. फुटेज देखिए अगर आसपास के घर में कहीं लगा हो।
उससे स्थिति और क्लीयर हो जायेगी।
जी सर पुलिस छानबीन में लगी हुई है और इसके लिए हमें कम से कम सात दिनों की रिमांड चाहिए।
मीता देवी क्या आप कुछ कहना चाहती हैं। सुबोध ने कहा।
मीता सन्न रह गई। अचानक ये नाम सुबोध के मुँह से सुनकर, वो फिर व्यथित हो गई। उसकी आँखों के सामने पूरा तीन साल तैर गया। वो फिर फफक कर रो पड़ी।
क्या आप बोलने की स्थिति में है सुबोध ने फिर पूछा।
नहीं सर। मुझे कुछ नहीं कहना है। मीता की आँखों में आँसू भरे थे।
ठीक है फिर मैं पुलिस को सात दिन की रिमांड स्वीकृत करता हूँ तब तक मीता देवी आप पुलिस की हिरासत में रहेंगी और सरकारी वकील साहब मुझे अगले सोमवार को सारे सबूत, गवाह, सीसीटीवी फुटेज जो भी आप ला सके इकट्ठा चाहिए। मैं फैसला तुरंत करूँगा।
जी सर।
द कोर्ट इज एडजर्ण्ड । सुबोध बोला और एक नजर मीता की ओर देखा, मीता उसी की ओर देख रही थी। दोनो की नजरें टकराई ओर सुबोध बाहर निकल गया। वो अपनी सरकारी गाड़ी की ओर जा रहा था।

क्रमशः

मेरी अन्य दो कहानिया उड़ान और नमकीन चाय भी matrubharti पर उपलब्ध है कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दें- भूपेंद्र कुलदीप।