Mita ek ladki ke sangarsh ki kahaani - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

मीता एक लड़की के संघर्ष की कहानी - अध्याय - 10

अध्याय-10

दूसरे दिन सांसद महोदय मिस्टर शर्मा के घर पहुँच गए।
जैसे ही शर्मा जी ने दरवाजा खोला तो देखा सामने सांसद महोदय खड़े थे।
अरे! आईए साहनी जी। प्लीज, प्लीज अंदर आईए। आईए बैठिए।
आपसे कुछ चर्चा करनी थी शर्मा जी।
हाँ बताईये।
ये बताईये आपके पत्नि बच्चे सब ठीक है ?
हाँ सब ठीक है, पर आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ?
बस ऐसे ही। मुझे पता चला था कि आपकी लड़की ने आपके मर्जी के खिलाफ शादी कर ली थी।
हाँ आपने सही सुना है साहनी जी। मेरी नाराजगी के बावजूद उसने अपनी मर्जी से एक सब्जी वाले से शादी कर ली थी।
तो क्या वो वहाँ खुश है ?
खुश ही होगी, तभी तो आज तक शिकायत नहीं की थी। अब तो और शिकायत नहीं करेगी, क्योंकि अब वो आयकर अधिकारी बन गई है।
और आप खुश हैं ?
क्या बताऊँ लड़की का बाप हूँ। चाहता तो था कि अपनी बेटी की शादी धूमधाम से किसी अच्छे घर में कराता। पर इस जन्म में तो ये संभव नहीं अब।
उसके कोई बच्चा है क्या शर्मा जी ?
नहीं आज तक तो नहीं है और मुझे जानकारी भी नहीं है कि क्यों उन्होंने अब तक बच्चा प्लान नहीं किया।
मैं बताता हूँ शर्मा जी क्योंकि लड़के में ही खराबी है। आपकी बेटी तो ठीक है।
आपको कैसे पता ? शर्मा जी पूछे।
वो जिस डॉक्टर को दिखाते हैं वो मेरी फैमिली फ्रैंड है।
पर ये सब आप क्यों पूछ रहे हैं ? शर्मा जी ने फिर पूछा।
देखिए शर्मा जी। मेरा एक ही बेटा है दीपक। वो डी.एस.पी. चयनित हुआ है और फिलहाल प्रशासन अकादमी में आपकी बेटी के साथ ट्रेनिंग कर रहा है। वो आपकी बेटी से शादी करना चाहता है।
ये क्या बोल रहे हैं साहनी जी ? उसकी शादी तो हो चुकी है।
देखिए जब दीपक उसको पसंद किया तो ये बात नहीं जानता था।
पर अब तो जानता है ना और आप भी जानते हैं, ये कैसे संभव है।
देखिए शर्मा जी उसको तो बच्चा है नहीं। आप चाहे तो दोनो को अलग करके उसकी शादी दीपक से करवा दीजिए।
ये नहीं हो सकता साहनी जी। मैं भले उससे नाराज हूँ लेकिन जानबूझकर उसकी खुशियों में आग नहीं लगा सकता। उसने बहुत मेहनत करके अपना संसार बसाया है मेरे सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करके आयकर अधिकारी बनी है। मैं ये नहीं कर सकता।
देखिए शर्मा जी मेरा एक ही बेटा है और उसकी इच्छा पूरी करने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। आप ये बात अच्छी तरह से जानते हैं। उसका पति कब ट्रक के नीचे आ जाएगा आपको पता नहीं चलेगा।
ऐसा मत करिए आप साहनी जी। आप समझते क्यों नहीं, ये संभव नहीं है।
मैं कुछ नहीं जानता शर्मा जी, वो नहीं तो आप दोनो सही। आप नहीं माने तो मैं आप दोनो की नौकरी खा जाऊँगा।
कैसी अजीब बातें कर रहे है साहनी जी। ये संभव नहीं है।
सब संभव है शर्मा जी। आप मुझे कल विचार करके बता दीजिए नहीं तो परसों आप परिणाम देखेंगे।
ठीक है साहनी जी मैं बताता हूँ आपको।
सांसद महोदय निकलकर चले गए।
श्यामा देवी दरवाजे से पीछे खड़े होकर सब सुन रही थी। वो तेजी से हॉल में आई।
ये क्या हो रहा था जी।
शर्मा जी चुप थे।
ये तो साफ-साफ धमकी देकर गए हैं।
क्या करूँ श्यामा। समझ नहीं आ रहा है। मैने तीन सालों में कभी भी अपनी बेटी से बात नहीं की। वो मेरे सामने गिड़गिड़ाते रही तब भी मैंने उससे बात नहीं की और अब उसके जीवन की सारी खुशी छीनने के लिए बात करूँ। ये तो उचित नहीं है।
आप ठीक बोल रहे हो जी। ना जाने अचानक ये मुसीबत कहाँ से आन पड़ी।
तुमको क्या लगता है श्यामा। ये सांसद कुछ करेगा या सिर्फ ऐसे ही धमका रहा था।
कुछ बोल नहीं सकते जी। इनकी सरकार में काफी पकड़ है गलत ढंग से आरोप लगाकर फँसा भी सकता है। श्यामा देवी बोली। वैसे भी कुछ रेत ठेकेदार के ऊपर अपने शिंकजा कसा था। ये सब राजनीति से प्रेरित ही होते हैं।
तुम ठीक कह रही हो श्यामा। पर बेटी को तो मैं नहीं बोल पाऊँगा।
आप चिंता मत करिए जी। कल परसों तक देख लेते हैं।
दूसरे, तीसरे दिन भी दोनो ने हिम्मत नहीं की मीता से बात करने की, और पूरा दिन शांतिमय तरीके गुजर गया। मीता के लिए भी सुबोध के लिए भी और उसके माता-पिता के लिए भी।
इन दो तीन दिनों में मीता और सुबोध की बात भी हुई थी परंतु मीता ने आई गई बात हो गई करके सुबोध को इन घटनाओं के बारे में नहीं बताया था।
इधर मीता के पिता भी तीन दिनों में थोड़े रिलैक्स हो गए थे कि सासंद सिर्फ गीदड़ भभकी ही दे रहे थे।
वो अब शायद शांत हो गए हों हालांकि विभाग में थोड़ी सुगबुगाहट थी कि शर्मा जी के खिलाफ बड़ी शिकायत हुई है।
चैथे दिन अचानक सचिव कार्यालय से शर्मा जी के संस्पेशन का पत्र आया। वो एकदम विचलित हो गए। वो लगातर दिन भर सचिव से मिलने की कोशिश करते रहे। पर सचिव ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया। उन्होंने विभागीय मंत्री से भी मिलने की कोशिश की परंतु उन्होंने भी समय नहीं दिया। शर्मा जी को समझ में आ गया था कि ये सांसद महोदय की करतूत है। वो जब पूरी तरह से हताश हो गए तो पत्र को लेकर घर आ गए। घर पर पत्नि इंतजार कर रही थी। वो पत्र को टेबल पर पटक कर रोने लग गए।
क्या हुआ जी ? श्यामा देवी ने पूछा।
तुम्ही देख लो क्या हुआ।
श्यामा देवी ने देखा कि ये उनके संस्पेंशन का पत्र था।
वो एकदम दुखी हो गई और बोली -
ये उसी सांसद की करतूत है जी।
श्यामा मेरे 25 साल की नौकरी में मुझ पर कभी दाग नहीं लगा और आज ये दिन देखना पड़ रहा है। मैं क्या करूँ बताओ।
मैं क्या बताऊँ जी। आपको तो मालूम ही है कि ये किस लिए किया जा रहा है। ये सब कल समाचार पत्र में भी आ जाएगा और वे लोग मेरे साथ भी ऐसा ही करने की कोशिश करेंगे।
अभी ये खबर मीडिया वालों को नहीं दी गई है श्यामा मैं अगर उनको फोन करके नहीं बताया तो वो इस खबर को मीडिया में फैला देंगे।
पर हमारी नौकरी को बचाने के लिए बेटी का जीवन दाँव में लगाना ऊचित है क्या जी ?
नही श्यामा। मुझे अपनी नौकरी की चिंता नहीं है, ना ही तुम्हारी नौकरी की चिंता है। लेकिन जो लोग मेरी नौकरी और तुम्हारी नौकरी को नुकसान पहुँचा सकते हैं वो क्या उसके पति को जान से नहीं मार सकते।
बिलकुल मार सकते हैं जी। उन्होंने तो साफ-साफ धमकी भी दी थी। श्यामा देवी बोली।
तो क्या करूँ बताओ ?
मीता से तो बात करना ही पडे़गा।
मेरी तो इस तरह की बात करने की हिम्मत नहीं है श्यामा। तुम करो ना बात।
नहीं, नहीं। बात आप ही करोगे तो वो समझदारी से जवाब देगी।
मैं उसे फोन लगाती हूँ । कहकर श्यामा देवी ने मीता को फोन लगाया।
मीता रूम पर ही थी। अचानक उसने देखा कि घर से फोन आ रहा है।
हैलो मीता। मैं मम्मी बोल रही हूँ।
मम्मी आपने फोन किया। पापा को पता नहीं है क्या ? मीता बोली।
पता है तेरे पापा ही बात करने के लिए फोन लगवाए हैं।
अच्छा। पापा से बात करने के लिए मैं तड़प रही गई हूँ।
मम्मी। उन्हें फोन दो। श्यामा देवी ने मिस्टर शर्मा को फोन दिया।
हैलो मीता।
अपना नाम पापा के मुँह से सुनकर मीता के आँखों मे आँसू आ गए।
हैलो पापा। और मीता रोने लगी।
हाँ बेटा मीता ? तुम रो रही हो ?
आप नहीं जानते पापा आपसे बात करने के लिए मै कितना तड़पी हूँ। मुझे माफ कर दीजिए पापा। मैंने आपके सपने तोड़े। आपको हमेश निराश किया, मुझे माफ कर दीजिए।
नहीं बेटा। उल्टा तुम मुझे माफ कर दो। मैं पता नहीं क्यों तुमसे इतने साल नाराज रहा। तुमसे बहुत प्यार करता हूँ बेटी।
मैं जानती हूँ पापा और मुझे यकीन था एक दिन आप मुझे माफ कर देंगे।
पता नहीं बेटा मैं अच्छा हूँ या बुरा। पर हर दिन मैं तुमको याद करता था।
मैं भी पापा। ऐसा कोई दिन नहीं गया जिस दिन मैंने आपको याद नहीं किया हो।
अचानक उसके पापा रोने लगे।
क्या हुआ पापा ? आप रो क्यों रहे हैं ?
कुछ नहीं बेटा। क्या बताऊँ तुम्हें। मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही है।
बताईये पापा क्या बात है ?
बेटी हमारा परिवार एक बड़ी मुसीबत में आ गया है।
कैसी मुसीबत पापा ?
क्या तुम्हारे क्लास में कोई दीपक साहनी नाम का लड़का पढ़ता है ?
हाँ पढ़ता है पापा। वो डी.एस.पी. की पोस्ट पर यहाँ ट्रेनिंग के लिए आया है और बहुत ही बदतमीज है।
क्या तुम्हें मालूम है उसके फादर यहाँ के सांसद है ?
हाँ मुझे मालूम है।
क्या दीपक के साथ तुम्हारा कोई घटनाक्रम हुआ है ?
ये सब आप क्यो पूछ रहे हैं पापा ?
प्लीज मुझे बताओ ? कोई बात हुई है क्या ?
जी पापा। जब से मैं यहाँ आई हूँ तब से ये लड़का मेरे पीछे पड़ा हुआ है। पहले मेरे बारे में पता किया फिर बार-बार मुझसे दोस्ती करने की कोशिश की। मैंने उसे स्पष्ट रूप से मना कर दिया था। लेकिन एक दिन जब मैं और मेरी सहेली शाम को क्लास से वापस आ रहे थे तो उसने रास्ते में ही हम लोंगो को रोक लिया और मुझसे शादी करने की बात करने लगा। उसने सुबोध को बारे में उल्टा सीधा कहा तो मैंने गुस्से में आकर उसे तमाचा जड़ दिया।
उस दिन तो वह चुपचाप चला गया। लेकिन दूसरे दिन जब मेरी शिकायत के बाद डायरेक्टर सर ने उसे डांटा तो बाहर निकलकर उसने मुझे धमकी दी कि देखों मैं अब क्या करता हूँ। उसने ये भी कहा था कि अगर मैंने किसी को बताया तो वो उसे जान से मरवा देगा। इसीलिए मैंने उसकी चर्चा ना तो माँ से की और ना ही सुबोध से। पर ये सब के बारे में आप कैसे जानते हैं पापा ?
उसके फादर जो यहाँ के लोकल सांसद हैं ना ?
हाँ हाँ पापा।
वो तीन दिन पहले हमारे घर आए थे।
अपने बेटे के जिद्द के लिए हमको मजबूर करने।
मतलब ?
मतलब उसका बेटा जिद्द कर रहा है कि वो तुमसे शादी करना चाहता है तो वो मुझसे तुमको माँगने आए थे।
क्या ? मीता एकदम शॉक्ड थी। ये आप क्या बोल रहे हैं पापा। आपने उनको बताया नहीं कि मैं शादी शुदा हूँ।
बताया बेटा लेकिन वो सुनने के लिए तैयार ही थे। तुम लोग जिस डॉक्टर को दिखाते हो वो उसका फैमिली फ्रैंड है उसने बता दिया कि सुबोध की वजह से बच्चा नहीं हो रहा है।
तो क्या हुआ पापा। अगर उसकी वजह से बच्चा नहीं हो रहा है तो मैं उसे छोड़ दूँ। वो सांसद पागल तो नहीं हो गया है। मैं मर जाऊँगी लेकिन सुबोध को धोखा नहीं दूंगी।
मैं जानता हूँ बेटा पर तू मेरी पूरी बात तो सुन उसने सुबोध को जान से मार देने की धमकी तो दी ही है। हम दोनो की नौकरी को नुकसान पहुँचाने की भी धमकी दी है।
वो ऐसा कुछ नहीं करेगा पापा आप चिंता मत करिए।
नहीं बेटा उसने ऐसा कर दिया है। आज मुझे अपने विभाग से सस्पेंड कर दिया गया है।
क्या ? मीता हतप्रभ थी।
हाँ बेटा आज उसने मुझे झूठे केस में सस्पेंड करा दिया और हो सकता है दो चार दिन में तेरी मम्मी को भी सस्पेंड करा दे। मेरी 25 साल की ईमानदारी की सर्विस में उसने आज दाग लगा दिया बेटा। मैंने सचिव और मंत्री से मिलने के लिए ट्राई भी किया परंतु उन्होंने मिलने से मना कर दिया। उसने धमकी दी है बेटा वो ये सब मीडिया में दे देगा और तब तक मुझे रिस्टैण्ड नहीं करेगा जब तक तुम हाँ नहीं करोगी और उसने सुबोध को भी ट्रक से कुचलने की कोशिश की। मीता ये सब सुनकर रोने लगी।
मैं क्या करूँ बेटा मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा हूँ । मुझे अपनी और तेरी मम्मी की नौकरी की चिंता नहीं है बेटा पर वो किसी भी हद तक जा सकते हैं वो सुबोध को भी जान से भी मार सकते हैं। मैं ही मर जाती हूँ पापा। मीता रोते रोते बोली।
मेरे मर जाने से सबकी परेशानी खत्म हो जाएगी।
नहीं बेटा ऐसा मत बोल। अगर तुमने कुछ कर लिया तो तीन लोगो का जीवन बर्बाद हो जाएगा। मेरा, तुम्हारी मम्मी और सुबोध का। तुम्हें तो कोई और रास्ता सोचना होगा बेटा।
मैं क्या करूँ पापा। मेरी वजह से तीन लोगों के जीवन को खतरा हो गया है। वो अब भी रो रही थी। मेरी वजह से आपके जीवन में भी परेशानी ही परेशानी हो रही है पापा। मैं आपके लिए श्राप बन गई हूँ पापा। मैं नहीं चाहती कि आपको बार-बार मेरी वजह से लज्जित होना पड़े और क्या रास्ता है पापा, आप ही बताईये। वो कमीना सिर्फ मुझसे बदला लेने के लिए ये सब कर रहा है। वो मेरे शरीर को नोंच नोच कर खा जाएगा पापा। मैं क्या करूँ। मैं क्या करूँ पापा। वो जोर जोर से रोने लगी।
तू घर आजा बेटा। मैं सुबह तुझे लेने आता हूँ, और सुबोध से तो बिलकुल चर्चा मत कर नहीं तो वो कुछ कर ना बैठे।
हाँ पापा अगर उसे पता चला तो वो तो दीपक की जान ले लेगा। लेकिन आप दोनो की परेशानी बढ़ जाएगी और मैं ऐसा अब नहीं चाहती कि मेरे और सुबोध की वजह से दुबारा आप लोगों के जीवन में परेशानी आए। मुझे आप लोगों को परेशानी से बचाने के लिए उसके जीवन से अलग होना पड़ेगा। अगर उसे लगा कि आप ने हमें अलग किया है तो वो आपको भी नुकसान पहुँचाने से पीछे नहीं हटेगा। केवल एक ही तरीका है पापा कि मैं उसे अपने से धोखा दूँ। वो मुझसे भले नफरत करे लेकिन वो मेरे नफरत के सहारे जीवित रहेगा। वो अब भी सुबक रही थी।
ठीक है बेटा। मैं कल सुबह तुमको लेने आऊँगा।
बाकी सुबोध को बताना है कि नहीं तुम देख लो।
नही पापा मैं उसे अपने से अलग कर दूंगी, बार बार आपको मेरी वजह से लज्जित होना पड़े ये मैं नहीं चाहती। आप सुबह आइये मैं तैयार रहूँगी। अब मैं फोन स्वीच ऑफ कर देती हूँ पापा। क्योंकि सुबोध अगर फोन करेगा तो मुझसे उसे कुछ भी बताने की हिम्मत नहीं होगी।
ठीक है मीता।
जी पापा। कहकर मीता ने फोन स्वीच ऑफ कर दिया।

क्रमशः

मेरी अन्य दो कहानिया उफान और नमकीन चाय भी matrubharti पर उपलब्ध है कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दें- भूपेंद्र कुलदीप।

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