Medha Jha लिखित उपन्यास तुम ना जाने किस जहां में खो गए.....

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तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... द्वारा  Medha Jha in Hindi Novels
हर्ष ,हर्ष! कहां हो तुम? तुम्हें ढूंढती, तुम्हारे पीछे भागती वही मैं और अचानक सपना टूट जाता है। क्यों बार-बार देख रही ह...
तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... द्वारा  Medha Jha in Hindi Novels
मई महीना बहुतों को गर्मी की चिपचिपाहट से भरा लगता है पर मेरे लिए तो हमेशा से यह रूमानियत वाला रहा है । इसकी शुरुआत उस सा...
तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... द्वारा  Medha Jha in Hindi Novels
पटना कॉलेज का विशाल प्रांगण अपनी विशालता से जितना प्रभावित करता है, नवागंतुकों को कहीं अंदर तक भयभीत भी करता है। मन में...
तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... द्वारा  Medha Jha in Hindi Novels
परीक्षाओं के दिनअचानक से कॉलेज के माहौल में शांति छा गई। हर कोई व्यस्त था नोट्स, अनुमानित प्रश्न और परीक्षा की तैयारियों...
तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... द्वारा  Medha Jha in Hindi Novels
हर्ष, हर्ष - मिलना चाहता है मुझसे। कायनात थम सी गई एक क्षण के लिए। अभी सुनी बात पर कानों को जैसे विश्वास नहीं हो पा रहा...