Pranava Bharti लिखित उपन्यास दास्ताँ ए दर्द !

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दास्ताँ ए दर्द ! द्वारा  Pranava Bharti in Hindi Novels
दास्ताँ ए दर्द ! 1 रिश्तों के बंधन, कुछ चाहे, कुछ अनचाहे ! कुछ गठरी में बंधे स्मृतियों के बोझ से तो कुछ खुलकर बिखर जा...
दास्ताँ ए दर्द ! द्वारा  Pranava Bharti in Hindi Novels
दास्ताँ ए दर्द ! 2 रवि पंडित जी ! ओह ! अचानक कितना कुछ पीछे गया हुआ स्मृति में भर जाता है | रीता व देव की देखा-देखी रव...
दास्ताँ ए दर्द ! द्वारा  Pranava Bharti in Hindi Novels
दास्ताँ ए दर्द ! 3 वह दिन प्रज्ञा के लिए यादगार बन गया था | वह अकेली लंदन की सड़कों पर घूम रही थी, किसी भी दुकान में घु...
दास्ताँ ए दर्द ! द्वारा  Pranava Bharti in Hindi Novels
दास्ताँ ए दर्द ! 4 कुछ देर बाद रवि भी मंदिर पहुँच गए और भजनों के सम्मिलित स्वर में अपना स्वर मिलाने की चेष्टा करने लगे...
दास्ताँ ए दर्द ! द्वारा  Pranava Bharti in Hindi Novels
दास्ताँ ए दर्द ! 5 उस दिन प्रज्ञा वास्तव में बहुत थक गई थी, बाद में मानसिक रूप से भी उन महाराज के वचनों व वहाँ की परि...