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भय और आडम्बर का प्रचार - उपन्यास
Lakshmi Narayan Panna
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
मर गया पत्थर-दिल इन्शान( यह लेख लेखक के जीवन में घटित विभिन्न घटनाओं , लेखक के भीतर व्याप्त भय और भ्रम के विभिन्न दृश्यों को चित्रत करता है । लेखक का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या सम्प्रदाय को ठेस पहुंचाना नही है , यहाँ पर लेखक मात्र अपने विचार और स्वयं के जीवन में आने वाले बदलाव का चित्रण करना चाहता है । )रोज की तरह उस दिन भी मैं अपने स्कूल की आखरी घण्टी के बाद क्लास से निकला फिर साइकिल स्टैंड से साइकिल निकाली और घर के लिए चल पड़ा । विद्द्यालय के गेट से कुछ दूर पर
मर गया पत्थर-दिल इन्शान( यह लेख लेखक के जीवन में घटित विभिन्न घटनाओं , लेखक के भीतर व्याप्त भय और भ्रम के विभिन्न दृश्यों को चित्रत करता है । लेखक का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या सम्प्रदाय को ...और पढ़ेपहुंचाना नही है , यहाँ पर लेखक मात्र अपने विचार और स्वयं के जीवन में आने वाले बदलाव का चित्रण करना चाहता है । )रोज की तरह उस दिन भी मैं अपने स्कूल की आखरी घण्टी के बाद क्लास से निकला फिर साइकिल स्टैंड से साइकिल निकाली और घर के लिए चल पड़ा । विद्द्यालय के गेट से कुछ दूर पर
Part-2Chalenge to Godएक मंदिर गया था । उस मंदिर में बहुत भीड़ लगती है। जब मैं प्रसाद चढ़ाने जा रहा था तो देखा , लाइन में मुझसे पहले लगा एक आदमी जब मूर्ति तक पहुंचा , जैसे ही प्रसाद ...और पढ़ेके लिए वह आगे बढ़ा पुजारी ने रोक दिया । पुजारी बोला कि तुम प्रसाद नही चढा सकते मुझे दो मैं चढ़ाऊंगा । उस आदमी ने पूंछा - क्यों भाई ? मैं क्यों नही चढ़ा सकता ,क्या भगवान मेरे हाथ से नही लेंगे ? पुजारी बोला- ऐसी बात नही है यहाँ प्रसाद हम लोग ही चढ़ाते हैं । उस आदमी ने तुरंत जवाब दिया
Part-3कि अब माता जी ही कोई चमत्कार करें तो शायद भूख शांत हो । मुझे भी भरोसा था कि लोग कहते हैं कि हमको माता जी की कृपा से ब्रत में भूख नही लगती तो मुझे भी नही लगनी ...और पढ़े। मैं एक भोले भाले बालक की तरह माता से विनती करने लगा कि मेरी भूख शांत हो जाये ताकि मैं अपना उपवास पूरा कर सकूं । बहन को तो पानी पिला कर सुला दिया था , जब मुझे ख्याल आया कि मेरे पेट में जो दर्द है , वह भूख के कारण है तो समझ गया कि बहन भी
वह पेड़ जो हमें जीवनदायक ऑक्सीजन देता है , जो हमें आश्रय व भोजन देती है , वह प्रकृति , जो हमें दूध व अन्य विभिन्न वस्तुएं देते हैं वे पशु हमारी अनदेखी का शिकार हो रहे ...और पढ़े। तब मेरे मन में एक प्रश्न यह भी जन्म लेता है कि क्या यह औधोगिकीकरण गलत है ?......continuePart-4 Nature in Dangerजीवन के सभी पहलुओं को देखने पर समझ आया की औद्योगिकीकरण गलत नही है । इसके कारण ही तो समाजिक जीवन में सुधार आया है । अतः औद्योगिकीकरण अति आवश्यक है । बस इतना ध्यान रखना चाहिए कि मुनाफ़े के चक्कर में पर्यावरण
Part-5Cast discrimination in presentजब मुझे पता चला कि मेरे गाँव के मंदिर में हो भण्डारे के आयोजन की तैयारी के लिए बैठक बुलाई गई । उस बैठक में लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई । लोगों से कितना ...और पढ़ेलेना है , किस व्यक्ति से कितना चन्दा लेना है , कौन से कार्यक्रम होगें आदि । जैसे कि बैठक व्यवस्था कौन देखेगा ? चूँकि उसी दिन पत्रिवर्ष मेला भी लगाया जाता था तो इस बात का भी निर्णय लिया गया सांस्कृतिक कार्यक्रम कौन सम्भालेगा । भोजन व्यवस्था कौन देखेगा , साफ सफाई कौन देखेगा । बैठक का निर्णय सुनने के