एक व्यक्ति मंदिर में प्रसाद चढ़ाने गया, लेकिन पुजारी ने उसे रोक दिया और कहा कि वह खुद प्रसाद चढ़ाएगा। उस व्यक्ति ने पुजारी से सवाल किया कि क्या भगवान उसके हाथ से प्रसाद नहीं लेंगे। उसने यह भी कहा कि पुजारी चाहते हैं कि वह प्रसाद चढ़ाए और खुद मिठाई रख ले। उसने यह तर्क दिया कि भगवान मिठाई के लिए भूखा नहीं है और पुजारी केवल अपने लाभ के लिए ऐसा कर रहे हैं। उस व्यक्ति ने मिठाई मंदिर में फेंकी और कहा कि भगवान अगर लेना चाहते हैं तो ले लें, वरना पुजारियों के गुलाम बने रहेंगे। वह व्यक्ति चला गया, और सुनने वाले ने महसूस किया कि उसकी बात सही थी। उसने तय किया कि वह अब मंदिर नहीं जाएगा और अपनी मेहनत पर भरोसा करेगा। कुछ समय बाद, वही पुजारी उसके घर आया, और वह समझ गया कि पुजारी फिर से राशन और तेल मांगने आया है। उसने पुजारी से पूछा कि शनि की साढ़े साती कब खत्म होगी, लेकिन जब पुजारी ने उसे गुस्से में जवाब दिया, तो उसने कहा कि वह अब पूजा नहीं करवाएगा। जब पुजारी ने उसे डराने की कोशिश की, तो उसने लाठी उठाई और कहा कि वह उसे फिर से अपने दरवाजे पर न देखने दे। कुछ लोग इस पर नाराज हुए, लेकिन उसने अपनी सोच में बदलाव लाने का फैसला किया। भय और आडम्बर का प्रचार - भगवान को चुनौती - 2 Lakshmi Narayan Panna द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 6 3.7k Downloads 11.1k Views Writen by Lakshmi Narayan Panna Category प्रेरक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Part-2Chalenge to Godएक मंदिर गया था । उस मंदिर में बहुत भीड़ लगती है। जब मैं प्रसाद चढ़ाने जा रहा था तो देखा , लाइन में मुझसे पहले लगा एक आदमी जब मूर्ति तक पहुंचा , जैसे ही प्रसाद चढ़ाने के लिए वह आगे बढ़ा पुजारी ने रोक दिया । पुजारी बोला कि तुम प्रसाद नही चढा सकते मुझे दो मैं चढ़ाऊंगा । उस आदमी ने पूंछा - क्यों भाई ? मैं क्यों नही चढ़ा सकता ,क्या भगवान मेरे हाथ से नही लेंगे ? पुजारी बोला- ऐसी बात नही है यहाँ प्रसाद हम लोग ही चढ़ाते हैं । उस आदमी ने तुरंत जवाब दिया Novels भय और आडम्बर का प्रचार मर गया पत्थर-दिल इन्शान( यह लेख लेखक के जीवन में घटित विभिन्न घटनाओं , लेखक के भीतर व्याप्त भय और भ्रम के विभिन्न दृश्यों को चित्रत करता है । लेखक का... More Likes This शब्दों का बोझ द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR नारद भक्ति सूत्र - 13. कर्म फल का त्याग द्वारा Radhey Shreemali कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले तक - 3 - (अंतिम भाग) द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR काफला यूँ ही चलता रहा - 1 द्वारा Neeraj Sharma डॉ. बी.आर. अंबेडकर जीवन परिचय - 2 द्वारा Miss Chhoti हर कदम एक नई जंग है - 1 द्वारा Sumit Sharma दया का महत्व द्वारा DINESH KUMAR KEER अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी