Aise Barse Sawan book and story is written by Devaki Ďěvjěěţ Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aise Barse Sawan is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ऐसे बरसे सावन - उपन्यास
Devaki Ďěvjěěţ Singh
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
स्वरा..... स्वरा....उठो स्वरा ....कब तक यूं ही सोती रहोगी ??
क्या माँ....सोने भी दो ना.... बिल्कुल भी नहीं.....
चलो जल्दी उठो
जाओ देखो तुम्हारी बरडी तुम्हारा कब से इंतजार कर रही हैं ...आज उन्हें दाना नहीं दोगी
उनको देखो सुबह 5 बजे से ही हल्ला मचाए हुए हैं.... और तुम हो की 6 बज गए हैं....
और उठने का नाम नहीं ले रही हो....
ओहो.....मेरी प्यारी माँ....
माँ के गले लिपटते हुए.... आई एम सो सॉरी....
चलो हटो .....
कितनी बार कहा है ...
बिना ब्रश किए ... मेरे गले मत लगा करो
ओ ,,मेरी प्यारी माँ ,तुम्हारी इस प्यारी डांट से मेरा दिन बन जाता है । चलो अच्छा , ज्यादा माखन मत
लगाओ .....बताओ क्या बात हैं ? माँ मुझे कॉलेज नहीं जाना हैं लेकिन क्यों देख तो रहे हो आप कितनी बारिश हो रही है । ऊपर से मेरा कॉलेज कितनी दूर हैं । यहाँ से बस पकड़ना और फिर ऑटो पकड़कर कॉलेज जाना । आज मैं नहीं जाऊँगी ।
स्वरा..... स्वरा....उठो स्वरा ....कब तक यूं ही सोती रहोगी ?? क्या माँ....सोने भी दो ना.... बिल्कुल भी नहीं.....चलो जल्दी उठो जाओ देखो तुम्हारी बरडी तुम्हारा कब से इंतजार कर रही हैं ...आज उन्हें दाना नहीं दोगी उनको देखो सुबह ...और पढ़ेबजे से ही हल्ला मचाए हुए हैं.... और तुम हो की 6 बज गए हैं....और उठने का नाम नहीं ले रही हो....ओहो.....मेरी प्यारी माँ....माँ के गले लिपटते हुए.... आई एम सो सॉरी....चलो हटो .....कितनी बार कहा है ...बिना ब्रश किए ... मेरे गले मत लगा करो ओ ,,मेरी प्यारी माँ ,तुम्हारी इस प्यारी
स्वरा हडबडी में नाश्ता करती हैं और टिफिन बेग में डालकर फटाफट बस स्टॉप के लिए निकलती हैं......अब आगे -जैसे ही स्वरा बस स्टॉप पहुंचती हैं , उसके सामने से ही उसकी बस निकल जाती हैं , वह थोड़ी ...और पढ़ेहो जाती हैं पर करे तो क्या करे l अब वह अगली बस का इंतजार करती है जो कि 20 मिनट बाद आने वाली होती है lइसी बीच हल्की-फुल्की बूंदा बांदी होने लगती हैं,,, तो वह छाता निकालने के लिए अपना हाथ अपने बेग में डालती हैं और देखती हैं ,,,की वह हडबडी में तो छाता रखना ही भूल गई
स्वरा उनकी बातों से समझ गयी थी कि ये निहायतीबदतमीज हैं, और वह बस में कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी,,, इसलिए वह मन ही मन उन्हें सबक सिखाने का फैसला करती हैं । अब आगे... इस बार स्वरा ...और पढ़ेगुस्से को नए अंदाज में उन लफंगे पर बरसाने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी । उसने मन ही मन तय कर लिया था ,"आज इन लड़कों को छठी का दूध न याद दिलाया तो मेरा नाम भी स्वरा नहीं" जैसे ही वह लड़का स्वरा पर गिरने का नाटक करता हैं , वैसे ही स्वरा अपने सैन्डल की हिल
गैलरी में किसी अजनबी से टकरा जाती है और उसके हाथों का सामान बिखर जाता है l वह जैसे ही गिरने वाली होती हैं वह अजनबी अपने मजबूत हाथों से उसका हाथ थाम लेता है जिससे वह गिरने से ...और पढ़ेजाती है , पर अजनबी को थैंक्स बोलने की बजाए वह उल्टा उस पर चिल्ला देती हैं - "अंधे हो क्या ? देख कर नहीं चल सकते ,तुम्हारी वज़ह से मेरी सारी किताबें गिर गयी "इतना बोलकर उससे अपना हाथ छुड़ाती हैं और जल्दी जल्दी अपना सामान समेटकर (अजनबी की ओर बिना कोई ध्यान दिए) वह अपनी कक्षा की ओर
इस बात पर भी स्वरा की फीकी मुस्कान देखकर, क्या यार इतनी कंजूसी,यह उदासी के बादल की घटा को हटा और मुस्कान के सावन बरसा , फिर कोहनी मारते हुए, क्या यार जल्दी से अपनी पांच इंच वाली मुस्कान ...और पढ़ेदिखा दे , और चिढ़ाते हुए.. तुझ पर यह पिगी वाला फेश हैं न बिल्कुल भी सूट नहीं करता ऐसा बोलकर तेजी से भागती हैं lस्वरा अपनी उदासी भूलकर उसके पीछे तेजी से भागते हुए ओये रुक जा , तेरी तो अब खैर नहीं अमूल बेबी अजनबी ठीक 3:30 बजे प्रिंसिपल ऑफिस में पहुँचता हैं और प्रिन्सिपल को अपना परिचय