The Author Devaki Ďěvjěěţ Singh फॉलो Current Read ऐसे बरसे सावन - 16 By Devaki Ďěvjěěţ Singh हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books बारिश की बूंदें और वो - भाग 5 अनसुलझी भावनाएँ एक दिन, स्नेहा ने आदित्य से पूछा, "क्या आप अ... बारिश की बूंदें और वो - भाग 5 अनसुलझी भावनाएँ एक दिन, स्नेहा ने आदित्य से पूछा, "क्या आप अ... The Devils Journalist Wife - 6 जया रूम में आ जाति है ,उसे राजीव पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा... बैरी पिया.... - 46 नरेन दुबे जी के सामने से गुजरते हुए उनकी ओर देख कर कहता है "... नक़ल या अक्ल - 73 73 हादसा किशोर को ऐसे लहूलुहान देखकर, सरला और लक्ष्मण प्र... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 27 शेयर करे ऐसे बरसे सावन - 16 (5) 1.9k 4.2k योगाभ्यास खत्म होने के बाद अभिराम और उसके साथी आपस में बात करने लगते है..... अभिराम बहुत सोचता है कि वह वहां से निकलकर स्वरा से बात करे पर उसके सीनियर साथ होने की वजह से वह वहां से नहीं निकल पाता पर अपनी चोर नजर स्वरा पर जमाए रखता है l अब आगे दूसरी तरफ स्वरा नींबु पानी पीते हुए आर्मी की छावनी को निहारने में लगी थी छावनी में सभी पेड़ पौधे सभी बहुत ही करीने से लगे थे वहां का स्वच्छ वातावरण उसे बहुत ही मंत्रमुग्ध कर रहा है l इसी बीच कुछ औरतें स्वरा से योग के विषय मे बात करती हैं स्वरा के संतोषजनक जबाव से सभी संतुष्ट होती है......उसका भी निकलने का समय हो गया था इसलिए सभी को बाय बोलकर वह कॉलेज पहुंचने के लिए अपनी टीम के साथ बस में बैठ जाती है l अभिराम की चोर नज़रें स्वरा पर टिकी रहती है जिस बात से स्वरा बिल्कुल अनजान हैं.....स्वरा को बस में जाता देख जिन नजरों में कुछ घंटे पहले चमक नज़र आ रही थी अब उन नजरों में उदासी छा जाती हैं l पर वह मन में संतोष कर लेता है की कोई बात नहीं आज उससे बात नहीं हुई तो क्या हुआ कल जरूर उससे बात करूंगा l लेकिन स्वरा से बात न कर पाने की टिस उसके मन में रह जाती हैं l सभी धीरे धीरे अपने अपने वाहनों से अपने घरों की ओर जाने लगते हैं l अभिराम भी अपनी मां ,पिताजी और अधीरा को कार में लेकर अपने घर की लिए निकलता है इस उम्मीद से की शायद कल मुलाकात और बात हो जाये l इन सब के बीच एक इंसान ऐसा था जिसकी नज़रें अभिराम की बैचेनी को बखूबी मेहसूस कर रहा है......उसकी हर हरकत को बखूबी नोटिस कर रहा हैं जिसका पता अभिराम को भी नहीं है l अभिराम बिस्तर पर लेटे लेटे करवटें बदलने में लगा था.....स्वरा की याद में डूबा, नींद उसकी आँखों से कोसों दूर हैं....अगले दिन स्वरा से मिलने के ख्यालों में गुम था..... वह बस कल्पनाओं की बारिश में गोते लगाने लगा था कि स्वरा मिलेगी तो उससे ऐसे बातें करूंगा उससे वैसे बातें करूंगा सोचते सोचते वह कब नींद के आगोश में चला गया उसे पता न चला l अगले दिन सुबह ठीक चार बजे ही उसकी नींद खुल जाती है वह घड़ी में देखता है अभी तो चार ही बज रहे हैं ....वह स्वरा की याद में बिस्तर पर ही करवटें बदलता रहता है.....वह उससे मिलने के लिए एकदम बेकरार हैं पर यह समय हैं की जल्दी बीत ही नहीं रहा हैं....वह सोचता है जल्दी से 8 बजे और स्वरा से मिलकर उससे अपने दिल की बात बताए....पर यह घड़ी की सुईयां आज नखरे दिखाने में लगी है ..... आज उसके वश में न तो उसका दिल है और न ये समय l सच में शायद लोग ठीक ही कहते है - "दिवाना हर शख़्स को बना देता है इश्क़, जन्नत की सैर करा देता है इश्क, मरीज हो अगर दिल के तो कर लो इश्क क्योंकि धड़कना दिलों को सिखा देता है इश्क" स्वरा के ख्यालों में डूबे करवटें बदलते जब 6 बज जाते हैं तब वह बिस्तर से उठता है और उसे प्रभावित करने के लिए अच्छे से तैयार होता है.....आज वह अपना एडीदास का नया वाला डार्क ब्लू कलर ट्रैक सूट निकालता है और उसे पहनता हैं साथ मे एडीदास के ही व्हाइट शू पहनता है......स्वरा को प्रभावित करने और खुद स्मार्ट दिखाने के लिए उसने एक दिन पहले ही शाम को अपनी स्टाइलिस्ट हेरकटिंग करवा ली थी....जिसे आज वह बहुत ही करीने से कंघी करता हैं....फिर अपने आप पर पर्फ्यूम स्प्रे करता हैं. .. और आईने में खुद को देखकर स्माइल करता हैं और वहीं पर खड़े खड़े खुद के 2,3 पोज की पिक्चर क्लिक करता हैं....मोबाइल में अपनी खींची हुई पिक्चर को देखकर संतुष्ट होता है फिर स्माइल करता हैं l अभिराम पूरी तरह तैयार होकर ठीक 7: 30 बजे योग ग्राउंड के लिए पहुंचता है और अपनी गाड़ी को एक तरफ पार्क करता हैं और मन ही मन स्वरा का इंतजार करता हैं l स्वरा का इंतजार में उस वक़्त उसके मन में इश्क़ के हजारों गुलाब खिले हुए थे पर इंतजार की घड़ियां खत्म ही नहीं हो रही हैं एक एक सेकंड एक एक घंटे के बराबर लग रहा हैं l कुछ पल के इंतजार के बाद उसे स्वरा की बस आती हुई दिखाई देती हैं .... जिसे देखकर मन ही मन बहुत खुश होते हुए कहता है कि " चलो ये इंतजार की घड़ियां तो खत्म हुई" l वह पार्किंग एरिया से हटकर ग्राउंड की तरफ जाने वाले रास्ते पर खड़ा हो जाता है और स्वरा का इंतजार करने लगता हैं l इस उम्मीद में की वह जल्दी से आए और वह अपनी मोहब्बत का जल्द से जल्द इज़हार करे l ड्राइवर बस को पार्किंग में खड़ी कर देता है,,सभी छात्र उतरकर ग्राउंड की तरफ जाने लगते हैं l स्वरा भी साथ ही जाती हैं पर कुछ भूल गयी थी इसलिए वापस बस में आती हैं....इतने में उसके सभी साथी आगे निकल जाते हैं lवह बस से पेपर लेकर ग्राउंड की तरफ़ बढ़ती हैं l अभिराम जो उस वक़्त रास्ते में किनारे खड़ा होकर उसका इंतजार कर रहा था स्वरा को अकेले देख उसका मन बेकाबू होने लगा था उसके मन मे खुशियों के सावन बरसने लगते हैं l स्वरा इधर उधर देखते हुए जैसे ही उसके पास से गुज़रती हैं वह किसी चीज़ से टकरा जाती हैं और गिरने वाली होती ही है तभी अभिराम उसे तुरंत अपनी बाहों के सहारे थाम लेता हैl दोनों ही एक पल के लिए एकदूसरे की आँखों में खो जाते हैं जैसे ही अभिराम मोहब्बत का इज़हार करने के लिए मुह खोलता हैं . वैसे ही उसका हल्का सा बैलेंस बिगड़ता हैं और दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठो पर आ जाते हैं और साथ मे बारिश....माहौल को और भी रोमांटिक बना देती हैं ....उस वक़्त अभिराम को ऐसा लगता है जैसे मोहब्बतें इज़हार में आज कुदरत भी उसका साथ दे रही हैं l लेकिन इस बार पानी की बूँदों के ऐहसास के साथ किसी शोर का आभास होता है .....पर वह अभी भी नींद में ही होता है l अधीरा चिल्ला रही होती है उठो भाई ,उठो 6:30 हो गए . पर वह नहीं उठता.... तो अधीरा जो पहले पानी के छींटे डाल रही थी इस बार गुस्से में जग भरकर पानी उड़ेल देती है ....जिससे अभिराम हडबड़ा कर उठता है और सामने अधीरा को देखकर उदास हो जाता है कि स्वरा से मिलना मात्र एक सपना था और यह बारिश अधीरा कर रही है l अभिराम गुस्से में - ये कौन सा तरीका हैं मुझे उठाने का.... सारा बिस्तर गीला कर दिया l अधीरा - मुझे तो यही तरीका आता है.... मैं आपको 15 मिनट से उठा रही हूँ पर आप हैं की उठ ही नहीं रहे थे .....इसलिए मुझे पानी डालना प़डा......पर आप ये बताओ, रोज मुझे लेक्चर देने वाले आज खुद घोड़े बेच कर कैसे सो रहे हैं मुझ पर गुस्सा करने से पहले ....जरा घड़ी पर तो नज़र डालो l अभिराम - ओह गॉड , 6 :45 हो गए , फिर झुंझलाहट में....माँ आपने हमें उठाया क्यों नहीं ? क्या वह स्वरा से इश्क़ का इजहार कर पाएगा जानने के लिए पढ़ते रहिए "ऐसे बरसे सावन " ll जय श्री राधे कृष्णा ll ‹ पिछला प्रकरणऐसे बरसे सावन - 15 › अगला प्रकरण ऐसे बरसे सावन - 17 Download Our App