ऐसे बरसे सावन - 7 Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऐसे बरसे सावन - 7

माँ - हाँ पता हैं, पर तुम्हें भी पता होना चाहिए कि बड़ी मुश्किल से हमने अभी कोरोना जैसी बीमारी पर काबु पाया है और यह अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है इसलिए सावधानियां बहुत जरूरी है ,पब्लिक प्लेस पर मास्क और घर आते ही साबुन से हाथों को अच्छी तरह धोना हैं l

स्वरा - " हाँ , माँ मैं समझ गयी "

माँ , " हाँ बेटा वो तो तुम रोज कहतीं हो पर रोज अमल भी कर लिया करो, इसमे तुम्हारा और हमारा ही फायदा हैं l

स्वरा - " जी , माँ "
स्वरा की माँ फिर बोलती है , " हे ईश्वर ! पता नहीं ये लड़की कब बड़ी होगी l "

यह सुनकर स्वरा शरारती अंदाज में तुरंत अपनी माँ के बगल में आकर खड़ी हो जाती हैं और हाइट नापते हुए , " देखो मैं तो आप से भी बड़ी हो गई हूँ l "

" हे ईश्वर! कब अक्ल आएगी इस लड़की को हाइट से तो बड़ी हो गई हैं पर दिमाग से अभी भी बचकानी हरकतें करती रहती हैं l "

स्वरा - अच्छा माँ ,ये बताओ दिवाली आने वालीं हैं तो आप दिवाली पर कौन कौन सी मिठाइयाँ बना रही हो ?

माँ - " मेरी प्यारी बिटिया दिवाली पर मुझे अपने शरीर का दिवाला निकालने जैसा कोई इरादा नहीं है " l

स्वरा , " क्या माँ आपको तो पता है मुझे बाजार की मिठाइयाँ बिल्कुल भी पसंद नहीं है, मुझे तो सिर्फ आपके हाथों की बनी मिठाइयाँ पसंद हैं l "

माँ , " अच्छा ये बताओ तुम्हारी छुट्टियां कब से पड़ रही है ? "

स्वरा , " क्या माँ , मेरी छुट्टियों और मिठाइयों का क्या लेना-देना हैं l "

माँ , "हैं न बहुत लेना-देना हैं क्योंकि इस बार हम दोनों मिलकर मिठाइयाँ बनाने वाले हैं l "

स्वरा - क्या sssss
माँ - जी हां

माँ से बात करने के बाद स्वरा अपने पापा के साथ टीवी देखने बैठ जाती हैं l जिसमें दिवाली पूजन विधि और पूजा मुहूर्त के बारे में बताया जा रहा था और साथ ही पटाखों से होने वाले प्रदूषण के बारे में बताया जा रहा था l

टीवी देखते देखते स्वरा निर्णय लेती हैं और
अपने माता-पिता से कहती हैं , " मां इस बार हम लोग इको - फ्रेंडली दिवाली मनाएंगे जिससे हमारे पर्यावरण को नुकसान कम होगा l "

उसकी बातों से उसके माता-पिता सहमत होते हैं और बहुत खुश होते हैं कहते हैं कि , "सभी लोग अगर ऐसा सोचे तो हम अपने पर्यावरण को बचाने में छोटा सा योगदान तो दे ही सकते हैं l "

उसके बाद सभी लोग मिलकर डिनर करते हैं और फिर सोने चले जाते हैं

रात के समय स्वरा सोने की कोशिश करती हैं पर
उसे नींद नहीं आती है न चाहते हुए भी उस अजनबी की आँखे और उसका हाथ थामना उसे बार बार याद आता हैं l

वह जब भी आँखे बंद करती हैं उस अजनबी की आँखें उसे परेशान करती हैं l

करवट बदलते बदलते जब वह थक जाती हैं तब खुद से कहती हैं," ओ कान्हा जी, ये आज मुझे क्या हो गया है बार बार उस अजनबी की याद क्यों आ रही हैं , आज तक तो कभी ऐसा नहीं हुआ,पता नहीं उसकी आँखों की कशिश मुझे क्यों इतना परेशान कर रही हैं l

क्रमश:
Devaki Singh