ऐसे बरसे सावन - 2 Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऐसे बरसे सावन - 2

स्वरा हडबडी में नाश्ता करती हैं और टिफिन बेग में डालकर फटाफट बस स्टॉप के लिए निकलती हैं......

अब आगे -

जैसे ही स्वरा बस स्टॉप पहुंचती हैं , उसके सामने से ही उसकी बस निकल जाती हैं , वह थोड़ी दुःखी हो जाती हैं पर करे तो क्या करे l अब वह अगली बस का इंतजार करती है जो कि 20 मिनट बाद आने वाली होती है l

इसी बीच हल्की-फुल्की बूंदा बांदी होने लगती हैं,,, तो वह छाता निकालने के लिए अपना हाथ अपने बेग में डालती हैं और देखती हैं ,,,की वह हडबडी में तो छाता रखना ही भूल गई ,,,और निराश होकर अपने आप से कहती हैं,,,,हे भगवान ,आज तो सब गडबड हो रहा है, बस भी छूट गयी, छाता भी लाना भूल गयी,,, और ये दिन रात की बारिश उफ्फ..इस ने तो अलग ही परेशान कर रखा है ,,,अब तो कॉलेज पहुंचने में भी देर हो जायगी ,, और गुरुदेव की डांट खानी पड़ेगी वो अलग आज तो बस , सबके सामने इज्जत का फालूदा होने वाला है ।

माँ भी ठीक ही कहतीं हैं, थोड़ा जल्दी उठती तो ये सब परेशानी नहीं झेलनी पड़ती । बुजुर्गों ने ठीक ही कहा है - "जल्दी का काम शैतान का, देर का काम रहमान का" ही होते हैं ।

बस की तेज हॉर्न सुनकर वह अपनी कल्पना से बाहर निकलती हैं ,और सब के साथ वह भी जल्दी से बस में चढ़ जाती है l

आज बारिश की वज़ह से रोज की अपेक्षा बस में काफ़ी भीड़ थी इसलिए उसे खड़े खड़े ही सफर करना पड़ता है,,, उस पर यह ओछी मानसिकता वाले लड़के जिन्हें भीड़ को देखकर लगता है जैसे उन्हें अपना उल्लू सीधा करने का मौका मिल गया ।

ऐसे ही कुछ लड़के जानबूझकर स्वरा के ऊपर बार बार गिरकर उसे परेशान करते हैं, जैसे ही वह उनकी ओर देखती, सॉरी बोलकर,सीधे खड़े हो जाते ,,,और फिर दुबारा वैसे ही हरकतें करते हैं।

कुछ देर तो स्वरा सहती रहती है, पर जब उसे एहसास हो जाता है कि वह जानबूझकर कर रहें हैं तो उससे नहीं रहा जाता है,, और वह अपने गुस्से को काबु करते हुए बोलती है - भैया, थोड़ा ठीक से खड़े हो जाओ,,,आप की वज़ह से दूसरों को भी परेशानी हो रही हैं ।

इतने में वह लड़का कहता है- "अरे, मैडम बस में इतनी भीड़ हैं तो थोड़ा धक्का तो लगेगा ही ( और फिर कुटिल मुस्कान में) अगर आपको इतनी ही दिक्कत हो रही हैं तो अपनी गाड़ी से आया जाया करो ,, वैसे भी आप जैसी खूबसूरत लड़की को सरकारी बसों में यों धक्के खाना शोभा नहीं देता "यह बोलकर वह लड़का और उसके तीन दोस्त हंसने लगते हैं ।

स्वरा उनकी बातों से समझ गयी थी कि ये निहायती
बदतमीज हैं, और वह बस में कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी,,, इसलिए वह मन ही मन उन्हें सबक सिखाने का फैसला करती हैं ।

स्वरा उन बदमाश लड़कों को क्या सबक सिखाती है
जानने के लिए आगे पढ़ते रहिए
" ऐसे बरसे सावन "
llजय श्री राधे कृष्णा ll