Asamartho ka bal Samarth Rmadas book and story is written by ՏᎪᎠᎻᎪᏙᏆ ՏOΝᎪᎡᏦᎪᎡ ⸙ in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Asamartho ka bal Samarth Rmadas is also popular in जीवनी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
असमर्थों का बल समर्थ रामदास - उपन्यास
ՏᎪᎠᎻᎪᏙᏆ ՏOΝᎪᎡᏦᎪᎡ ⸙
द्वारा
हिंदी जीवनी
युगों-युगों से पृथ्वी पर महापुरुषों का आगमन होता आया है। उनके द्वारा ज्ञान, ध्यान, निःस्वार्थ प्रेम और भक्ति से वर्तमान समाज की पात्रता बढ़ाने का कार्य निरंतरता से चलते आया है। समाज के उद्धार के लिए उन्होंने अनासक्ति और अव्यक्तिगत जीवन की कई मिसालें कायम की हैं.
इसके लिए कई महात्माओं ने समाज के रोष और कड़े विरोध का सामना किया मगर अपने लक्ष्य से नहीं हटे। आज हम ऐसे ही महापुरुष के बारे में जानेंगे, जिन्होंने भक्ति द्वारा लोगों में शक्ति जगाने का कार्य किया, जिनके नाम में ही उनका सामर्थ्य छिपा हुआ है, वे महात्मा हैं– स्वामी समर्थ रामदास!
वर्तमान में परिस्थितिजन्य कोलाहल के बीच सुख, समाधान, शांति पाने हेतु महान संतों की जीवनी तथा उनके कार्यों का अध्ययन निश्चित रूप से हमें प्रेरणा देता है।
समर्थ रामदास को केवल संत कहना उचित नहीं होगा क्योंकि वे तपस्वी के साथ ही प्रतिभावान कवि और दिग्गज विद्वान भी थे, हैं और रहेंगे। महान समयदर्शी व राजनीतिज्ञ समर्थ रामदास अपने प्रांत में देवतुल्य तथा हनुमानजी का अवतार माने जाते हैं।
युगों-युगों से पृथ्वी पर महापुरुषों का आगमन होता आया है। उनके द्वारा ज्ञान, ध्यान, निःस्वार्थ प्रेम और भक्ति से वर्तमान समाज की पात्रता बढ़ाने का कार्य निरंतरता से चलते आया है। समाज के उद्धार के लिए उन्होंने अनासक्ति और ...और पढ़ेजीवन की कई मिसालें कायम की हैं.इसके लिए कई महात्माओं ने समाज के रोष और कड़े विरोध का सामना किया मगर अपने लक्ष्य से नहीं हटे। आज हम ऐसे ही महापुरुष के बारे में जानेंगे, जिन्होंने भक्ति द्वारा लोगों में शक्ति जगाने का कार्य किया, जिनके नाम में ही उनका सामर्थ्य छिपा हुआ है, वे महात्मा हैं– स्वामी समर्थ रामदास!
बाल्यकाल और नया पड़ाव माँ राणुबाई की परवरिश में दोनों बच्चे पल-बढ़ रहे थे। दिन बीतते गए और देखते ही देखते बड़ा बेटा गंगाधर विवाह योग्य हो गया। एक सुयोग्य वधु ढूँढ़कर उसका विवाह किया गया। लेकिन इससे नारायण ...और पढ़ेसामने एक समस्या उत्पन्न हो गई। अकसर घर में बड़ों की शादी के बाद छोटों के विवाह की भी चर्चाएँ शुरू होती हैं। नारायण इससे भला कैसे छूटते! बारह साल की उम्र में ही घर में नारायण के विवाह की बातें शुरू हो गईं। बड़े भाई से अब तक नाममंत्र नहीं मिला था और ऊपर से शादी की चर्चाएँ! इससे
ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग नारायण में आए बदलाव माँ की नज़रों से छिपे नहीं थे। पिता के देहांत के बाद बड़े धैर्य से उन्होंने दोनों बच्चों का पालन-पोषण किया था। नाममंत्र मिलने के बाद नारायण शांत ...और पढ़ेगंभीर हो गए थे। माँ से वे बड़े आदर और प्रेम से पेश आने लगे थे। उनकी हर बात मानने लगे थे। यह देखकर कुछ ही दिनों में माँ ने फिर से नारायण को शादी के लिए मनाना शुरू कर दिया। एक दिन मौका पाकर, माँ ने नारायण से पूछा, “बेटा, क्या तुम मुझे तकलीफ में देखना चाहते हो?” नारायण
पंचवटी में प्रभु दर्शन विवाह मंडप से भागने के बाद आगे कहाँ जाएँ, क्या करें, किससे मिलें, नारायण को कुछ पता नहीं था। उन्हें खोजने के लिए बड़े भाई और बाराती ज़रूर आएँगे, यह वे भली-भाँति जानते थे। उनके ...और पढ़ेपकड़े गए तो गले में वरमाला पड़ना निश्चित था। इसलिए वे एक बड़े से पीपल के पेड़ की जड़ में जाकर छिप गए। उन्हें खोजने आए हुए लोग कुछ देर तक यहाँ-वहाँ उनकी खोज करके, मायूस होकर चले गए। सारा कोलाहल शांत होने के बाद, चार-पाँच दिन यहाँ-वहाँ छिपने के बाद नारायण उस गाँव से निकल पड़े। अचानक ही घर
टाकली में साधना करना टाकली में साधना करना नारायण के लिए आसान नहीं था। शुरुआत में उस गाँव के कुछ दुष्टों ने, शरारती लोगों ने उन्हें काफी परेशान किया। उनका मज़ाक उड़ाकर, उन्हें वहाँ से भगाने की कोशिश तक ...और पढ़ेजब कोई आपको जान-बूझकर परेशान करता है तो आपका परेशान होना सामनेवाले को और ऊर्जा देता है। आपको परेशान देखकर उसे मज़ा आता है। इसके विपरीत यदि आप परेशान नहीं होते तो उसका उद्देश्य सफल नहीं होता और उसकी ऊर्जा निकल जाती है। बिलकुल ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई, जब नारायण ने अपना ध्यान लोगों की दी हुई परेशानी पर