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नर्क - उपन्यास
Priyansu Jain
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
एक अद्भुत सा दिव्य प्रकाश, जिसका कोई अंत नजर न आ रहा था और उस प्रकाश में बनती एक धुंधली सी आकृति। उस आकृति के सामने हाथ बांधे एक लड़का खड़ा था जो पहनावे और शरीर की बनावट से कोई योद्धा ही लग रहा था। उसके योद्धा होने की पुष्टि उसके हाथ में थमी तलवार और पीठ पर टंगे फरसे से हो रही थी। उसकी आँख में आंसू थे, वो चुपचाप सुन रहा था।
वो बोला-" पिताजी मानता हूँ, भाई ने जो किया वो गलत था। उसकी वजह से कई ग्रहों का जीवन नष्ट हो गया। परन्तु पिताजी आखिर वो भी तो आपका बेटा है। इस सृष्टि में आपकी इच्छा के बिना एक भी सांस नहीं ली जाती, फिर मेरे भाई ने ऐसा कैसे कर दिया वो भी आपकी जानकारी में आये बगैर?? माफ कीजियेगा पिताजी मैं आपसे सवाल कर रहा हूँ, परन्तु मेरा हृदय दुःख के बोझ से फटा जा रहा है। हम दोनों भाई हमेशा से साथ रहे, साथ खेले, आपकी छाँव में पले-बढे़। अब मेरा भाई मुझे छोड़ हमारे परिवार से विश्वासघात करके चला गया। उसने बुराई का रास्ता चुन लिया, इस से बुरा और क्या हो सकता है?? पिताजी विनती है आपसे, उसके साथ-साथ मुझे भी मिटा दीजिये। मैं न आपके बिना रह सकता हूँ न ही उसके बिना.. और उसके किये गए विश्वासघात से अब मेरी जीने की इच्छा ही ख़त्म हो गयी है। या फिर मैं किसी ऐसी जगह चला जाता हूँ जहाँ बस मैं अकेला ही रहूं।"
एक अद्भुत सा दिव्य प्रकाश, जिसका कोई अंत नजर न आ रहा था और उस प्रकाश में बनती एक धुंधली सी आकृति। उस आकृति के सामने हाथ बांधे एक लड़का खड़ा था जो पहनावे और शरीर की बनावट से ...और पढ़ेयोद्धा ही लग रहा था। उसके योद्धा होने की पुष्टि उसके हाथ में थमी तलवार और पीठ पर टंगे फरसे से हो रही थी। उसकी आँख में आंसू थे, वो चुपचाप सुन रहा था। वो बोला-" पिताजी मानता हूँ, भाई ने जो किया वो गलत था। उसकी वजह से कई ग्रहों का जीवन नष्ट हो गया। परन्तु पिताजी आखिर वो
पियूष ड्राइव करके ऑफिस पहुंचा। काफी बड़ा ऑफिस था। अंदर जाते ही सारा स्टाफ उसे गुड मॉर्निंग बोलने लगा, पर उसने किसी को कोई जवाब न दिया। शायद स्टाफ भी इसका अभ्यस्त था तो सब तुरंत अपने-अपने काम लग ...और पढ़ेचेयरमैन के केबिन में जाने के बाद वहां एग्जीक्यूटिव चेयर पर बैठकर उसने चपरासी को बुलाने की घंटी बजायी। चपरासी के आने के बाद वो बोला-" निशा मैडम को भेजो।" चपरासी 'जी साहब' कह कर चला गया। उसके बाद एक लड़की वहांँ आयी। गोल, मोटे लेन्सेस का चस्मा लगाए, बालों में तेल लगाकर गुंथी हुई चोटी, सलवार सूट पहने हुए
अगले दिन सारे न्यूज चैनल शहर में फैली दहशत को और फैलाने का काम कर रहे थे। वो येन-केन-प्रकारेण अपनी टी.आर.पी. बढा़ने में लगे थे। सब समाचारों में उस गुमनाम बेरहम कातिल की चर्चा जोरों पर थी। बोट में ...और पढ़ेसामान मिला था वो साफ-साफ इंगित कर रहा था कि ये कोई बहुत बड़े ड्रगलोर्ड का माल है। इतने बड़े गैंगस्टर के आदमियों को इतनी बेरहमी से किसने काट डाला, इसके कयास लगाए जा रहे थे। शहर के लोगों में भी कौतुहल का माहौल बन गया था। ______________ निशा को काम करते-करते बहुत देर हो गयी थी। वो बीच-बीच में
"पियूष लडे़ जा रहा था, बड़ी खूंखारता से अपना फरसा घुमाये जा रहा था। उसकी धार में आने वाली हर चीज टुकड़ों में विभक्त हो रही थी। चारों तरफ आतंक फैल रहा था। परन्तु दुश्मन भी कम न थे, ...और पढ़ेरणनीति के साथ घेर कर हमला कर रहे थे और पियूष को घाव दिए जा रहे थे। पियूष भी दरिंदों की तरह उनको काटे जा रहा था। परन्तु वो संख्या में ज्यादा थे। पियूष के रणकौशल और ताकत के आगे वो आखिर टिक न पाए। सबके सब मारे गए। पियूष भी बुरी तरह घायल हो गया था। उसके शरीर में
निशा का दिल टूट गया। उसे लगने लगा कि अब उसको और उसके भाई को मरना ही पड़ेगा इसके अलावा और कोई चारा ही नहीं बचा वो बस मुँह नीचे छुपाकर रोये ही जा रही थी। उसको रोते देख ...और पढ़ेकलीग और खास सहेली मधु उसके पास आयी। वो बोली- "क्या हुआ निशा??" हालाँकि वो समझ रही थी कि क्या हुआ होगा, सब ने उसकी और मैनेजर की बात सुन ली थी। निशा ने रोते-रोते वो लिफाफा उसको पकड़ा दिया। मधु ने वो लेटर पढ़ा उसका चेहरा कठोर हो गया। वो बोली चलो मेरे साथ। निशा चौंक गयी कि मधु